राजस्थान रॉयल्स (RR) के खेमे में इस वक्त सवाल सिर्फ टीम कॉम्बिनेशन का नहीं है, बल्कि उस फैसले का है जो आने वाले वक्त में कई करियर की दिशा तय कर सकता है. टीम इंडिया के युवा सितारे यशस्वी जायसवाल, जिनके बल्ले से भविष्य की उम्मीदें जुड़ी हैं, फिलहाल राजस्थान रॉयल्स की कप्तानी से एक कदम दूर खड़े दिखाई देते हैं.
पूर्व भारतीय बल्लेबाज रॉबिन उथप्पा की राय इस कहानी को और गहराई देती है. उनका मानना है कि यशस्वी को अभी इंतजार करना होगा, क्योंकि कप्तानी की दौड़ फिलहाल अनुभव और भरोसे के इर्द-गिर्द घूम रही है. संजू सैमसन के चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) चले जाने के बाद राजस्थान की पहचान, उसका नेतृत्व और उसका भविष्य- तीनों सवालों के घेरे में हैं.
आईपीएल 2025 में जब संजू सैमसन टीम से बाहर रहे, तो रियान पराग के कंधों पर राजस्थान रॉयल्स की कप्तानी की जिम्मेदारी आई. यह उसके लिए महज़ एक अस्थायी भूमिका नहीं थी, बल्कि मैनेजमेंट के भरोसे और उसके नेतृत्व कौशल की कड़ी परीक्षा थी. दूसरी ओर रवींद्र जडेजा का राजस्थान आना सिर्फ एक साधारण ट्रेड नहीं माना जा रहा, क्योंकि वह अपने साथ अनुभव, दबाव झेलने की क्षमता और कप्तानी की एक पूरी विरासत लेकर आए हैं. चेन्नई में 18 करोड़ की फीस छोड़कर 14. करोड़ रु. में राजस्थान से जुड़ना भी कई सवाल खड़े करता है- क्या यह सिर्फ एक आर्थिक समझौता था, या फिर कप्तानी की ओर बढ़ाया गया सोचा-समझा कदम?
लेकिन जडेजा की कप्तानी की यादें भी टीम मैनेजमेंट को सोचने पर मजबूर करती हैं. 2022 में चेन्नई में अधूरी रह गई उनकी कप्तानी और एमएस धोनी की वापसी अब भी क्रिकेट प्रेमियों के जहन में ताजा है. यही वजह है कि राजस्थान के लिए यह फैसला आसान नहीं.
इस बीच यशस्वी जायसवाल की कहानी चुपचाप आगे बढ़ती है. वह खिलाड़ी, जिसने अपने खेल से करोड़ों दिल जीते, अब शायद धैर्य की सबसे कठिन पारी खेलने को मजबूर है. टीम की जरूरतें, मैनेजमेंट की रणनीति और अनुभव की मांग- इन सबके बीच यशस्वी का नाम फिलहाल भविष्य की सूची में रखा गया है, वर्तमान की नहीं.
अनिल कुंबले की बात इस पूरे संदर्भ को एक भावुक मोड़ देती है. उनके मुताबिक कप्तानी ही वह धुरी है, जिस पर पूरी टीम का संतुलन टिका है. अगर संजू सैमसन जैसी शख्सियत की तलाश है, तो ध्रुव जुरेल उस खालीपन के सबसे करीब नजर आते हैं. यह बयान बताता है कि राजस्थान सिर्फ कप्तान नहीं, एक चेहरा ढूंढ रहा है.
राजस्थान रॉयल्स की टीम कागज पर मजबूत दिखती है- तेज गेंदबाजों की फौज, जडेजा-बिश्नोई जैसे स्पिनर, और गहराई से भरी बल्लेबाजी, लेकिन क्रिकेट सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं, भावनाओं और फैसलों का भी खेल है.
2008 की यादों से 2022 के अधूरे सपने तक, राजस्थान रॉयल्स एक बार फिर उसी मोड़ पर खड़ी है, जहां एक सही फैसला इतिहास रच सकता है और एक गलत फैसला सालों तक चुभ सकता है. सवाल यही है—क्या यह इंतजार यशस्वी जायसवाल को और मज़बूत बनाएगा, या यह मौका किसी और की किस्मत लिख देगा?
राजस्थान रॉयल्स (25 खिलाड़ी): यशस्वी जायसवाल, रियान पराग, ध्रुव जुरेल (विकेटकीपर), वैभव सूर्यवंशी, शुभम दुबे, युद्धवीर सिंह, संदीप शर्मा, तुषार देशपांडे, शिमरॉन हेटमायर, लुआन-ड्रे प्रीटोरियस, जोफ्रा आर्चर, क्वेना मफाका, नांद्रे बर्गर, रवींद्र जडेजा (चेन्नई से ट्रेड), सैम करन (चेन्नई से ट्रेड), डोनोवन फरेरा (दिल्ली से ट्रेड), रवि बिश्नोई, सुशांत मिश्रा, यश राज पुंजा, विग्नेश पुथुर, रवि सिंह, अमन राव, ब्रिजेश शर्मा, एडम मिल्ने और कुलदीप सेन.
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