Right To Match Rules in IPL: आईपीएल नीलामी में कैसे काम करेगा RTM नियम? खिलाड़ियों पर होगी पैसों की बरसात, जानिए क्या है ये

IPL 2025 मेगा ऑक्शन से पहले सभी 10 फ्रेंचाइजी को अपने रिटेन और रिलीज प्लेयर्स की लिस्ट सौंपनी होगी. इसकी आखिरी तारीख 31 अक्टूबर है. BCCI ने हाल ही में नए नियम जारी किए हैं. इसके मुताबिक, एक फ्रेंचाइजी ज्यादा से ज्यादा 6 खिलाड़ी रिटेन कर सकती है. यदि कोई टीम 6 से कम खिलाड़ियों को रिटेन करती है, तो उस स्थिति में फ्रेंचाइजी को ऑक्शन के दौरान राइट टू मैच कार्ड इस्तेमाल करने का मौका मिलेगा.

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IPL 2025 सीजन के लिए मेगा ऑक्शन होना है. (File Photo/BCCI) IPL 2025 सीजन के लिए मेगा ऑक्शन होना है. (File Photo/BCCI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 2:31 PM IST

Right To Match Rules in IPL: इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) 2025 सीजन से पहले मेगा ऑक्शन होना है, जो इसी साल नवंबर या दिसंबर में हो सकती है. इससे पहले सभी 10 फ्रेंचाइजी को अपने रिटेन खिलाड़ियों की लिस्ट बनाकर 31 अक्टूबर तक सौंपनी होगी.

बता दें कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने हाल ही में रिटेंशन को लेकर नए नियम जारी किए हैं. इसके मुताबिक, एक फ्रेंचाइजी ज्यादा से ज्यादा 6 खिलाड़ी ही रिटेन कर सकती है. यदि कोई टीम 6 से कम खिलाड़ियों को रिटेन करती है, तो उस स्थिति में फ्रेंचाइजी को ऑक्शन के दौरान राइट टू मैच (RTM) कार्ड इस्तेमाल करने का मौका मिलेगा.

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यही RTM नियम इस बार मेगा ऑक्शन में रोमांच बढ़ाने वाला है. इसकी वजह से खिलाड़ियों पर पैसों की जमकर बरसात भी हो सकती है. मगर यहां कुछ फैन्स के मन में यह सवाल जरूर होगा कि आखिर यह RTM नियम क्या है और यह कैसे काम करता है? इस नियम की वजह से खिलाड़ियों पर पैसों की बरसात कैसे हो सकती है? आइए जानते हैं इनके बारे में...

क्या है ये राइट टू मैच नियम?

बता दें कि यह RTM नियम सबसे पहले 2017 में लागू किया गया था. मगर 2022 में हुए मेगा ऑक्शन के लिए इसे हटा दिया गया था. फ्रेंचाइजी और खिलाड़ियों के बीच काफी उलझनों को देखते हुए इसे एक बार फिर लागू किया गया है. मगर इस बार इस नियम में थोड़ा बदलाव हुआ है.

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राइट टू मैच कार्ड नियम फ्रेंचाइजी के लिए एक तरह का ऑप्शन होता है, जिसका इस्तेमाल कर वो नीलामी में उस खिलाड़ी को वापस अपनी टीम में शामिल कर सकती है, जिसे उसने हाल ही में रिलीज कर दिया था. नीलामी में दूसरी फ्रेंचाइजी भले उस प्लेयर पर ऊंची बोली लगा दे, लेकिन पुरानी फ्रेंचाइजी को RTM नियम से उस प्लेयर को वापस खरीदने में एक मौका मिलता है.

कैसे काम करता है RTM नियम?

किसी खिलाड़ी के लिए बोली लगती है, तो आखिरी बोली लगाने वाली टीम खरीदने की स्थिति में होती है. तब पुरानी टीम से पूछा जाएगा कि क्या वो RTM नियम का इस्तेमाल करना चाहती है या नहीं? यदि हां, तो जिस टीम ने आखिरी बोली लगाई उसे आखिरी बोली लगाने का मौका मिलेगा. फिर उसके बाद पुरानी टीम RTM नियम इस्तेमाल करती है, तो उसे बढ़ी हुई राशि देनी होगी. अन्यथा बोली लगाने वाली टीम उस प्लेयर को खरीद लेगी.

उदाहरण के साथ इस तरह समझें.... मान लीजिए कि गुजरात टाइटन्स (GT) टीम तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी को रिटेन नहीं करती और वो नीलामी में जाते हैं. तब मान लीजिए चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) टीम उन पर आखिरी बोली 10 करोड़ रुपये की लगाती है. तब गुजरात टीम को RTM नियम इस्तेमाल कर वापस अपनी टीम में शामिल करने का मौका मिलेगा.

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यदि गुजरात टीम हां करती है, तो चेन्नई को आखिरी बोली लगाने का मौका मिलेगा. तब मान लीजिए चेन्नई फ्रेंचाइजी 15 करोड़ रुपये की आखिरी बोली लगाती है. तब गुजरात को RTM नियम के तहत इसी कीमत पर शमी को खरीदना होगा. यदि वो ऐसा नहीं करती है, तो इस 15 करोड़ की कीमत में चेन्नई टीम शमी को खरीद लेगी.

खिलाड़ियों पर होगी पैसों की भी बरसात

इसी उदाहरण से आप यह भी समझ सकते हैं कि कुछ इसी तरह खिलाड़ियों पर जमकर पैसों की भी बरसात हो सकती है. जब नई फ्रेंचाइजी और पुरानी फ्रेंचाइजी के बीच खिलाड़ी को खरीदने की होड़ रहेगी तो आखिरी बोली तक उस खिलाड़ियों को मोटी रकम मिलने की भी काफी उम्मीद रहेगी. इस तरह ऐसे प्लेयर्स पर जमकर पैसों की भी बरसात हो सकती है.

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