B'day Spl: 'बॉल ऑफ द सेंचुरी' ने इस दिग्गज की बदल दी थी जिंदगी

महान लेग स्पिनर शेन वॉर्न का आज जन्मदिन है. 13 सितंबर 1969 को जन्मे वॉर्न आज 49 साल के हो गए. वॉर्न ने अपने टेस्ट करियर में 708 विकेट झटके.

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शेन वॉर्न शेन वॉर्न

विश्व मोहन मिश्र

  • नई दिल्ली,
  • 13 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 9:39 AM IST

भारत के इंग्लैंड दौरे के आखिरी टेस्ट के अंतिम दिन अंग्रेज लेग स्पिनर आदिल राशिद ने अपनी 'जादुई गेंद' पर केएल राहुल की पारी खत्म कर खूब सुर्खियों बटोरीं. इतना ही नहीं, जिस गेंद पर राहुल बोल्ड हुए उसकी तुलना शेन वॉर्न के 'बॉल ऑफ द सेंचुरी' से की जाने लगी है.

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दरअसल, 25 साल पहले शेन वॉर्न ने 1993 के एशेज के दौरान ओल्ड ट्रैफर्ड टेस्ट में इंग्लैंड के माइक गेटिंग को जिस गेंद पर बोल्ड किया था, उसे 'शताब्दी की सर्वश्रेष्ठ गेंद' कही जाती है. उस गेंद ने वॉर्न की जिंदगी बदल कर रख दी थी. आज (गुरुवार) इस दिग्गज का जन्मदिन है. 13 सितंबर 1969 को विक्टोरिया में जन्मे शेन वॉर्न 49 साल के हो गए.

वॉर्न ने कलाई की जादूगरी से अपने समय के लगभग सभी दिग्गजों को अपनी फिरकी के जाल में फंसाया. वॉर्न ने अपने 145 मैचों के टेस्ट करियर में 708 विकेट चटकाए, जो मुथैया मुरलीधरन (800 विकेट) के बाद टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक है.

क्या थी वॉर्न की 'बॉल ऑफ द सेंचुरी'

शेन वॉर्न (1992-2007) ने अपने 15 साल के क्रिकेट करियर में कई बेहतरीन गेंदें फेंकीं, लेकिन 1993 में एशेज सीरीज के दौरान उन्होंने एक ऐसी गेंद फेंकी जिसे 'बॉल ऑफ द सेंचुरी' कहा गया. वॉर्न ने अपनी लेग स्पिन पर माइक गेटिंग को बोल्ड किया, ये गेंद लगभग 90 डिग्री तक घूमी.

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वॉर्न की गेंद लेग स्टंप के काफी बाहर पिच हुई और ऐसा लग रहा था कि गेंद वाइड हो सकती है, गेटिंग ने उसे खेलने का प्रयास नहीं किया. इस बीच तेजी से टर्न हुई गेंद गेटिंग को चकमा देते हुए उनके ऑफ स्टंप पर जा लगी, जिसे देखकर सभी हैरान रह गए.

वॉर्न ने पिछले साल यानी 24 साल बाद स्वीकार किया था कि 'बॉल ऑफ द सेंचुरी' बिल्कुल वैसी ही गेंद थी, जो सभी लेग स्पिन गेंदबाज डालने की कोशिश करते हैं. इस गेंद ने मैदान के अंदर और बाहर की मेरी जिंदगी को बदल कर रख दिया. मुझे बहुत गर्व है कि मैंने गेंद 'बॉल ऑफ द सेंचुरी' डाली थी. खासकर माइक गेटिंग जैसे बेहतरीन खिलाड़ी को, जो इंग्लैंड की टीम में स्पिन गेंदबाजी का माहिर खिलाड़ी था.

रवि शास्त्री वॉर्न के पहले शिकार

वॉर्न ने करियर की शुरुआत जनवरी 1992 में सिडनी टेस्ट मैच में भारत के खिलाफ की थी. उन्होंने रवि शास्त्री को अपना अपना पहला शिकार बनाया था. तब शास्त्री 206 रन बनाकर वॉर्न की गेंद पर लपके गए थे.

कभी कप्तान न बन पाने का मलाल

शेन वॉर्न ने अपना आखिरी टेस्ट जनवरी 2007 में खेला. 1999 में वह ऑस्ट्रेलिया के उपकप्तान भी बने, लेकिन उन्हें कभी कप्तान बनने का मौका नहीं मिला. वैसे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद वॉर्न ने आईपीएल में पहली बार कप्तानी की और पहले ही सीजन में राजस्थान रॉयल्स को चैंपियन बना डाला.

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वॉर्न की छवि दागदार होती रही

2000 में ब्रिटिश नर्स डोना राइट ने वॉर्न पर अश्लील मैसेज भेजने का आरोप लगाया था. इसके बाद ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड ने वॉर्न से उपकप्तानी छीन ली. वॉर्न के कई महिलाओं से संबंध रहे, जिसके चलते उनकी वाइफ सिमोना उनसे अलग हो चुकी हैं.

वॉर्न को सपने में डराते थे सचिन!

एक दिलचस्प वाकया मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर से जुड़ा हुआ है. वॉर्न ने खुलासा किया था कि सचिन उनके सपने में भी छक्का मारकर डराया करते थे. सचिन ने 1998 में शारजाह में वॉर्न की गेंदों की ऐसी पिटाई की थी, कि उन्हें सपने में भी 'सचिन' नजर आने लगे थे.

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