दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में 2–0 की घरेलू हार अभी धुंधली नहीं हुई है. लेकिन टीम इंडिया 30 नवंबर से साउथ अफ्रीका के खिलाफ 3 मैचों की वनडे सीरीज खेलने के लिए तैयार है. ये वनडे सीरीज इसलिए भी खास है क्योंकि भारत ने फरवरी 2025 के बाद घरेलू वनडे नहीं खेला है. इस सीरीज में शुभमन गिल गर्दन की अकड़न के कारण बाहर हैं, और कप्तानी की जिम्मेदारी केएल राहुल संभालेंगे. लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा रोहित और कोहली को लेकर है.
रो-को की भारतीय सरज़मी पर वापसी
फरवरी के बाद पहली बार, रोहित शर्मा और विराट कोहली भारतीय जमीन पर वनडे खेलने के लिए तैयार हैं. रोहित शानदार फॉर्म में रांची पहुंचे हैं. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया वनडे सीरीज़ में 202 रन बनाकर भारत के सर्वोच्च स्कोरर के रूप में सीरीज़ खत्म की, जिसमें सिडनी में खेली गई मैच-निर्धारक शतकीय पारी भी शामिल थी. यह उपलब्धि उनके लिए व्यक्तिगत रूप से भी खास रही, क्योंकि इससे वह आईसीसी वनडे बल्लेबाजी रैंकिंग में नंबर 1 स्थान पाने वाले सबसे उम्रदराज खिलाड़ी बने.
कोहली की राह अधिक जटिल रही है. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्होंने दो लगातार वनडे में पहली बार करियर में शून्य पर आउट होने का सामना किया. लेकिन उन्होंने जवाब दिया. सिडनी में उनकी नाबाद 74 रन की पारी ने कहानी स्थिर की और संकेत दिया कि लय सही समय पर लौट रही है.
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उनकी 2027 वनडे वर्ल्ड कप में संभावित भागीदारी को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच, यह सीरीज़ सिर्फ आंकड़ों से कहीं ज्यादा है. हर पारी को अब फिटनेस, भूख और भारत की भविष्य की योजनाओं में उनकी प्रासंगिकता की कसौटी पर तौला जा रहा है.
रोहित के साथ ओपनिंग कौन करेगा?
यशस्वी जायसवाल सभी फॉर्मेट में लगभग नियमित हो चुके हैं, लेकिन वनडे उनके लिए अजीब तरह से बंद दरवाज़ा रहे हैं. फॉर्म की वजह से नहीं, बल्कि भीड़भाड़ के कारण. पिछले दो साल में उन्होंने 52 इंटरनेशनल मैच खेले हैं, लेकिन सिर्फ एक वनडे. वहीं ऋतुराज गायकवाड़ हैं. वह इंडिया-ए के लिए दक्षिण अफ्रीका-ए के खिलाफ तीन मैचों में 210 रन बनाकर आ रहे हैं. ऐसे में चर्चा है कि जब गिल और अय्यर नहीं है तो क्या रोहित के साथ विराट को ओपनिंग करनी चाहिए.
ये कोई बुरा विकल्प इसलिए भी नहीं है क्योंकि दोनों ने टी20 वर्ल्ड कप के दौरान बतौर सलामी बल्लेबाज बैटिंग की थी. वह टीम को ठोस शुरुआत दिला सकते हैं. ऐसे में इस सीरीज में कोहली और रोहित को भी बतौर सलामी बल्लेबाज आजमाया जा सकता है.
यह सीरीज सिर्फ खिलाड़ियों के बारे में नहीं है. यह दिशा के बारे में भी है, और वहीं गौतम गंभीर पर स्पॉटलाइट सबसे ज्यादा है. कोच बनने के बाद उन पर सबसे बड़ी आलोचना इरादे की नहीं, बल्कि अस्थिरता की रही है. बहुत ज्यादा बदलाव, बहुत ज्यादा प्रयोग, और बहुत कम निश्चित भूमिकाएं. हालिया टेस्ट व्हाइटवॉश ने इन संदेहों को और बढ़ा दिया है.
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