ऋषभ पंत को टेस्ट में इसलिए मिला मौका, द्रविड़ ने गिनाईं खूबियां

द्रविड़ ने ‘बीसीसीआई.टीवी’ से कहा, ‘ऋषभ ने दिखाया है कि वह अलग-अलग शैली में बल्लेबाजी कर सकता है.'

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ऋषभ पंत (getty) ऋषभ पंत (getty)

विश्व मोहन मिश्र

  • नई दिल्ली,
  • 22 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 3:05 PM IST

ऋषभ पंत ने सीमित ओवरों के प्रारूप में अपनी आक्रामक बल्लेबाजी से खूब वाहवाही लूटी है. भारत-ए के कोच राहुल द्रविड़ का मानना है कि इस प्रतिभावान युवा विकेटकीपर बल्लेबाज में लंबे प्रारूप में विभिन्न तरह से बल्लेबाजी करने का जज्बा और कौशल है.

हाल में संपन्न ब्रिटेन दौरे के दौरान भारत-ए की ओर से प्रभावी प्रदर्शन के बाद पंत को पहली बार भारतीय टेस्ट टीम में शामिल किया गया है. पंत ने इस दौरे पर वेस्टइंडीज-ए और इंग्लैंड लॉयन्स के खिलाफ चार दिवसीय मैचों में अहम मौकों पर अर्धशतक जड़े.

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द्रविड़ ने ‘बीसीसीआई.टीवी’ से कहा, ‘ऋषभ ने दिखाया है कि वह अलग- अलग शैली में बल्लेबाजी कर सकता है. उसके पास अलग-अलग अंदाज में बल्लेबाजी करने का जज्बा और शैली है.’

पूर्व भारतीय कप्तान द्रविड़ भारतीय अंडर-19 टीम में शामिल रहने के दौरान भी पंत के कोच रहे हैं और उसके खेल से अच्छी तरह वाकिफ हैं. ऋषभ लंबे प्रारूप में तेजी से रन बनाने में सक्षम हैं, लेकिन द्रविड़ जिस चीज से सबसे अधिक प्रभावित हैं वह उनकी मैच स्थिति परखने की क्षमता है.

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द्रविड़ ने कहा, ‘वह हमेशा से आक्रामक खिलाड़ी रहा है, लेकिन लाल गेंद से क्रिकेट खेलते हुए स्थिति को पढ़ना महत्वपूर्ण है. हमें खुशी है कि उसे राष्ट्रीय टीम में चुना गया और मुझे लगता है कि वह इसका फायदा उठाएगा.’

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उन्होंने कहा, ‘तीन-चार पारियां ऐसी थीं, जहां उसने दिखाया कि वह अलग तरह से बल्लेबाजी करने को तैयार है. हम सभी को पता है कि वह कैसे बल्लेबाजी करता है. यहां तक कि 2017-18 (2016-17) रणजी ट्रॉफी सत्र के दौरान उसने 900 से अधिक रन बनाए और उसका स्ट्राइक रेट 100 से अधिक था और हमने उसे आईपीएल में इसी तरह बल्लेबाजी करते हुए देखा.’

द्रविड़ का मानना है कि बीसीसीआई ने भारत-ए टीम के ‘शैडो टूर’ की जो रणनीति बनाई है, वह शानदार है और यह राष्ट्रीय टीम के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है. शैडो टूर के अंतर्गत पहले ए टीम उस देश का दौरा करती है जहां सीनियर टीम को खेलना है और ऐसे में दूसरे दर्जे की टीम की भी तैयारी होती है जो मुश्किल की स्थिति में फायदेमंद हो सकती है.

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