जब 19 साल के क्रिकेटर ने वेस्टइंडीज को तहस-नहस किया, डेब्यू मैच में बनाया ऐसा रिकॉर्ड, जो कोई तोड़ नहीं पाया

19 साल के चश्माधारी लेग स्पिनर नरेंद्र हिरवानी ने 1988 में मद्रास टेस्ट में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपने पदार्पण में 16 विकेट लेकर इतिहास रच दिया. 18 अक्टूबर को हिरवानी 57 साल के हो गए....

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19 साल के लेग स्पिनर का अविस्मरणीय डेब्यू... (Photo, Getty) 19 साल के लेग स्पिनर का अविस्मरणीय डेब्यू... (Photo, Getty)

aajtak.in

  • नी दिल्ली,
  • 18 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 8:00 AM IST

कभी-कभी कोई पदार्पण ऐसा होता है कि बस कुछ ही ओवरों में इतिहास बन जाता है. 37 साल पहले मद्रास (मौजूदा चेन्नई) की पिच पर नरेंद्र हिरवानी ने वही किया. लेग स्पिनर भारत की जर्सी में उतरा और वेस्टइंडीज जैसी दिग्गज टीम को धराशायी कर दिया. केवल पदार्पण ही नहीं, बल्कि उनके प्रदर्शन ने भारतीय क्रिकेट में एक पल को हमेशा के लिए अमर कर दिया.

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गोरखपुर में जन्मे और हिरवानी आज (18 अक्टूबर) 57 साल के हो गए. अपने इंटरनेशनल क्रिकेट करियर में भारत के लिए ज्यादा मैच (17 टेस्ट- 66 विकेट, 18 वनडे- 23 विकेट) तो नहीं खेल पाए. लेकिन जब डेब्यू करने उतरे, तो इतिहास रच डाला.

37 साल पहले का जादू

साल 1988... भारत और वेस्टइंडीज के बीच टेस्ट मैच (11-15 जनवरी) चल रहा था. मैदान पर उतरा 19 साल का नौजवान- गोल-मटोल शरीर, मोटा चश्मा और हाथ में लेग स्पिन का हथियार. किसी ने सोचा भी नहीं था कि यह युवा भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक ऐसी दास्तान लिख देगा, जिसे आज भी याद किया जाता है.

हिरवानी ने पहली पारी में 8 विकेट झटके... दूसरी में फिर 8 विकेट- यानी टेस्ट मैच में 136 रन देकर कुल 16 विकेट गिरा दिए. उनका गेंदबाजी विश्लेषण रहा- 33.5-6-136-16 रहा, जो टेस्ट मैच के डेब्यू में 'बेस्ट फिगर' का वर्ल्ड रिकॉर्ड बन गया. यह आज भी बरकरार है.

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डेब्यू टेस्ट में बेहतरीन गेंदबाजी की बात करें तो ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज बॉब मैसी ने भी 8-8 विकेट (विरुद्ध इंग्लैंड, लॉर्ड्स 1972) यानी 16 विकेट हासिल किए थे. इसके लिए उन्होंने 137 रन खर्च किए थे, जबकि हिरवानी ने 136 रन देकर 16 विकेट चटकाए,

... स्टंपिंग का कारनामा

उनकी दूसरी पारी का जादू और भी खास था. 8 में से 5 बल्लेबाज विकेटकीपर किरण मोरे के हाथों स्टंप हुए. एक पारी में सबसे ज्यादा स्टंपिंग का यह वर्ल्ड रिकॉर्ड आज भी कायम है. विव रिचर्ड्स और डेसमंड हेन्स जैसे दिग्गज उस दिन असहाय दिखाई दिए.

भारत ने यह मैच 255 रनों से जीत लिया. लेकिन असली जीत उस युवा की थी, जिसने चश्मे के पीछे छिपी जिद और कौशल के बल पर इतिहास की किताब में अपना नाम अंकित कर दिया.

अंतरराष्ट्रीय करियर में चुनौतियां

फिर भी क्रिकेट का खेल कभी-कभी बेरहम होता है. पहले चार टेस्ट में 36 विकेट लेने के बाद हिरवानी को विदेशी पिचों पर संघर्ष करना पड़ा. अगले 9 टेस्ट में उन्हें सिर्फ 21 विकेट मिले. जादू कम हुआ. लेकिन उनके डेब्यू की चमक हमेशा जीवित रही.

ऐसा रहा घरेलू क्रिकेट 

हिरवानी घरेलू क्रिकेट में भी स्तंभ रहे. उन्होंने 167 प्रथम श्रेणी मैचों में 723 विकेट लिए. इनमें से 400 से अधिक उनके गृह राज्य मध्य प्रदेश के लिए आए. 1996-97 सीजन में उन्होंने बंगाल के लिए खेलते हुए 29 विकेट 23.13 की औसत से झटके.

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2006 में 23 साल का लंबा प्रथम श्रेणी करियर समाप्त करने के बाद, 2008 में वे राष्ट्रीय चयन समिति का हिस्सा बने.

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