नहीं हटेगा धोनी के ग्लव्स से बलिदान बैज! BCCI उतरा माही के समर्थन में

धोनी के दस्तानों पर बलिदान बैज के निशान को लेकर बीसीसीआई और आईसीसी आमने-सामने है. आईसीसी ने धोनी को अपने दस्ताने से बलिदान बैज का निशान हटाने को कहा था.

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तरुण वर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 07 जून 2019,
  • अपडेटेड 4:55 PM IST

धोनी के दस्तानों पर 'बलिदान बैज' के निशान को लेकर बीसीसीआई और आईसीसी आमने-सामने है. आईसीसी ने धोनी को अपने दस्ताने से 'बलिदान बैज' का निशान हटाने को कहा था. जिसके बाद बीसीसीआई माही के समर्थन में उतरी है. बीसीसीआई के COA चीफ विनोद राय ने कहा, 'हम आईसीसी को एमएस धोनी को उनके दस्ताने पर 'बलिदान' पहनने के लिए अनुमति लेने के लिए पहले ही चिट्ठी लिख चुके हैं.'

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इसके बाद आईसीसी अब बीसीसीआई के सामने झुक सकती है. आईसीसी सूत्रों के मुताबिक, 'अगर एमएस धोनी और बीसीसीआई आईसीसी को यह सुनिश्चित करे कि 'बलिदान बैज' में कोई राजनीतिक, धार्मिक या नस्लीय संदेश नहीं है, तो आईसीसी इस अनुरोध पर विचार कर सकता है.'

इससे पहले बीसीसीआई के COA चीफ विनोद राय ने कहा था कि, 'हम अपने खिलाड़ियों के साथ खड़े हैं. धोनी के दस्ताने पर जो निशान है, वह किसी धर्म का प्रतीक नहीं है और न ही यह कमर्शियल है.' विनोद राय ने कहा, 'हम आईसीसी को एमएस धोनी को उनके दस्ताने पर 'बलिदान बैज' पहनने के लिए अनुमति लेने के लिए पहले ही चिट्ठी लिख चुके हैं.'

राजीव शुक्ला ने कहा, 'धोनी ने कुछ भी गलत नहीं किया है. आईसीसी केवल कमर्शियल एनडोर्समेंट के लिए शासन करता है. बीसीसीआई ने इस पर आईसीसी को पत्र लिखकर अच्छा किया है. आईसीसी के किसी नियम ने इसका उल्लंघन नहीं किया.' वर्ल्ड कप में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच में धोनी ने जो दस्ताने पहने थे, उन पर सेना का बलिदान बैज बना हुआ था. इस पर आईसीसी ने बीसीसीआई से अपील की थी कि वह धोनी को दस्तानों से लोगो हटाने को कहे.

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क्या है पूरा मामला-

बुधवार को साउथेम्प्टन में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारत के पहले मैच के दौरान धोनी को बलिदान बैज के साथ विकेटकीपिंग करते देखा गया था. दरअसल, उनके ग्लव्स पर दिखे इस अनोखे निशान (प्रतीक चिह्न) को हर कोई इस्तेमाल में नहीं ला सकता. यह बैज पैरा-कमांडो लगाते हैं. इस बैज को 'बलिदान बैज' के नाम से जाना जाता है.

क्या है बलिदान बैज?

पैराशूट रेजिमेंट के विशेष बलों के पास उनके अलग बैज होते हैं, जिन्हें 'बलिदान' के रूप में जाना जाता है. इस बैज में 'बलिदान' शब्द को देवनागरी लिपि में लिखा गया है. यह बैज चांदी की धातु से बना होता है, जिसमें ऊपर की तरफ लाल प्लास्टिक का आयत होता है. यह बैज केवल पैरा-कमांडो द्वारा पहना जाता है.

भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को क्रिकेट में उनकी उपलब्धियों के कारण 2011 में प्रादेशिक सेना में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल की रैंक दी गई थी. धोनी यह सम्मान पाने वाले कपिल देव के बाद दूसरे भारतीय क्रिकेटर हैं. धोनी को मानद कमीशन दिया गया क्योंकि वह एक युवा आइकन हैं और वह युवाओं को सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए प्रेरित कर सकते हैं. धोनी एक प्रशिक्षित पैराट्रूपर हैं. उन्होंने पैरा बेसिक कोर्स किया है और पैराट्रूपर विंग्स पहनते हैं.

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महेंद्र सिंह धोनी ने प्रादेशिक सेना (टीए) की 106 पैराशूट रेजिमेंट में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में अपनी रैंक को साबित कर दिखाया है. धोनी अगस्त 2015 में प्रशिक्षित पैराट्रूपर बन गए थे. आगरा के पैराट्रूपर्स ट्रेनिंग स्कूल (पीटीएस) में भारतीय वायु सेना के एएन-32 विमान से पांचवीं छलांग पूरी करने के बाद उन्होंने प्रतिष्ठित पैरा विंग्स प्रतीक चिह्न (Para Wings insignia) लगाने की अर्हता प्राप्त कर ली थी. यानी इसी के साथ धोनी को इस बैज के इस्तेमाल की योग्यता हासिल हो गई.

गौरतलब है कि तब धोनी 1,250 फीट की ऊंचाई से कूद गए थे और एक मिनट से भी कम समय में मालपुरा ड्रॉपिंग जोन के पास सफलतापूर्वक उतरे थे. नवंबर 2011 में धोनी को प्रादेशिक सेना (TA) में लेफ्टिनेंट कर्नल के मानद रैंक से सम्मानित किया गया था. तब उन्होंने कहा था कि वह सेना में अधिकारी बनना चाहते थे, लेकिन किस्मत ने उन्हें क्रिकेटर बना दिया.

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