आईपीएल मैच में किंग्स इलेवन पंजाब के कप्तान आर. अश्विन ने सोमवार को राजस्थान रॉयल्स के जोस बटलर को मांकड़िंग कर आउट किया. इसके बाद से खेल भावना को लेकर बहस शुरू हो गई है. अश्विन ने सात साल पहले भी इस तरह से एक बल्लेबाज को आउट करने का असफल प्रयास किया था.
श्रीलंका के खिलाफ ब्रिस्बेन में कामनवेल्थ बैंक सीरिज के एक मैच के दौरान 21 फरवरी 2012 को अश्विन ने दूसरे छोर पर खड़े लाहिरू थिरिमाने को मांकड़िंग आउट किया था. उस समय सबसे सीनियर खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर ने कार्यवाहक कप्तान वीरेंद्र सहवाग से बात की और उन्होंने थिरिमाने के खिलाफ अपील वापिस लेने का फैसला किया.
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अश्विन उस समय जूनियर खिलाड़ी थे और उन्होंने जो किया वह नियमों के दायरे में था, लेकिन सीनियर खिलाड़ियों की सोच अलग थी. जहां तक बटलर का सवाल है तो श्रीलंका के सचित्र सेनानायके ने तीन जून 2014 को एजबस्टन में खेले गए एक मैच के दौरान बटलर को मांकड़िंग आउट करने से पहले चेताया था.
कपिल देव ने तीन दिसंबर 1992 को पोर्ट एलिजाबेथ में वनडे मैच के दौरान पीटर कर्स्टन को इसी तरह आउट किया था. उन्होंने हालांकि इससे पहले कर्स्टन को चेतावनी दी थी. गुस्से से भरे कर्स्टन पवेलियन लौट गए और तत्कालीन कप्तान केपलर वेसल्स को यह नागवार गुजरा.
उसके बाद दूसरा रन लेने के प्रयास में वेसल्स ने अपना बल्ला इस तरह घुमाया कि कपिल को चोट लगी. उस समय मैच रेफरी नहीं होते थे तो वेसल्स को कोई सजा नहीं हुई. घरेलू क्रिकेट में रेलवे के स्पिनर मुरली कार्तिक दो बार बल्लेबाजों को मांकड़िंग आउट कर चुके है.
इंग्लैंड के काउंटी सत्र में सर्रे की ओर से खेलते हुए 2012 में उन्होंने समरसेट के बल्लेबाज एलेक्स बैरो को इसी तरह आउट किया था. इसके अगले साल रणजी मैच में उन्होंने बंगाल के बल्लेबाज संदीपन दास को चेतावनी देने के बाद मांकड़िंग आउट किया.
लेकिन 32 साल पहले लाहौर में विश्व कप 1987 के अहम मैच के दौरान वेस्टइंडीज के पूर्व महान गेंदबाज कर्टनी वॉल्श ने 11वें नंबर के बल्लेबाज सलीम जाफर को दो बार चेताया. वॉल्श ने उन्हें हालांकि रन आउट नहीं किया और अब्दुल कादिर ने छक्का लगाकर पाकिस्तान को जीत दिलाई.
वॉल्श को खेलभावना के प्रदर्शन के लिए पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जिया उल हक ने विशेष पदक दिया था. भारत के महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर को इस बात पर भी ऐतराज है कि इसे मांकड़िंग क्यों कहा जाता है. वीनू मांकड़ ने सबसे पहले 1947 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर ऐसा किया था.
गावस्कर बार बार कहते आएं हैं ,‘बिल ब्राउन आउट हुए थे, तो इसे मांकड़िंग क्यों कहते हैं , ब्राउंड क्यों नहीं .’ निश्चित तौर पर यह बहस जल्दी खत्म होने वाली नहीं है .
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