रॉबिन उथप्पा ने माना- टेस्ट खेलने के लिए गलत समय पर तकनीक बदलने की कोशिश की

पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज रॉबिन उथप्पा को लगता है कि 25 साल की उम्र में टेस्ट क्रिकेट में खेलने की महत्वाकांक्षा के कारण उन्होंने अपनी बल्लेबाजी तकनीक में बदलाव करने की गलती की थी.

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रॉबिन उथप्पा (Twitter) रॉबिन उथप्पा (Twitter)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 19 मई 2020,
  • अपडेटेड 10:17 PM IST

  • उथप्पा ने भारत की ओर से आखिरी मैच 2015 में खेला था
  • बोले- एक गलती की वजह से टेस्ट क्रिकेट नहीं खेल पाया

पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज रॉबिन उथप्पा को लगता है कि 25 साल की उम्र में टेस्ट क्रिकेट में खेलने की महत्वाकांक्षा के कारण उन्होंने अपनी बल्लेबाजी तकनीक में बदलाव करने की गलती की थी. उथप्पा अब 34 साल के हैं और उन्होंने भारत की तरफ से आखिरी मैच 2015 में जिम्बाब्वे के खिलाफ खेला था.

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उथप्पा ने अपनी आक्रामक बल्लेबाजी के लिए जाना जाता है. उन्होंने राजस्थान रॉयल्स के पॉडकास्ट के दौरान कहा, ‘मेरा सबसे बड़ा लक्ष्य भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलना था. अगर मैं 20-21 की उम्र में ऐसी कोशिश करता तो टेस्ट क्रिकेट खेल लिया होता. मैं अपने करियर के आखिर में पछताना नहीं चाहता था और अपनी तरफ से सर्वश्रेष्ठ करना चाहता था.’

उथप्पा ने प्रवीण आमरे की सेवाएं लीं और अपनी तकनीक में कुछ बदलाव किया, लेकिन इससे उनकी नैसर्गिक लय खो गई. उन्होंने कहा, ‘इसलिए मैंने 25 साल की उम्र में प्रवीण आमरे की देखरेख में अपनी बल्लेबाजी तकनीक में बदलाव करने का फैसला किया, जो तकनीकी तौर पर पहले से बेहतर बल्लेबाज हो और लंबे समय तक क्रीज पर टिककर खेल सके. इस प्रक्रिया में मैंने अपनी बल्लेबाजी की आक्रामकता खो दी.’

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उथप्पा ने भारत की तरफ से 46 वनडे और 13 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं सोचता था कि भारत की तरफ से टेस्ट क्रिकेट खेलने के लिए मुझे अपनी तकनीक बदलनी होगी. मुझे लगता है कि मैंने 25 साल की गलत उम्र में ऐसा करने की कोशिश की.’

2007 में टी-20 विश्व कप का पहला संस्करण जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य रॉबिन उथप्पा ने बताया है कि वह यह टूर्नामेंट जीतने के बाद तीन दिनों तक सो नहीं पाए थे.

उथप्पा ने पॉडकास्ट के दौरान कहा, 'विश्व कप जीतने के बाद मैं लगातार तीन दिन नहीं सो पाया था. शुरुआत में पता नहीं चला, हम काफी उत्साहित थे कि हमने विश्व कप के फाइनल में पाकिस्तान को हराया है.'

उन्होंने कहा, 'हम जब भारत लौटे तो इस जीत की भव्यता ने हमें खुश कर दिया. जो स्वागत हमें मिला वो शानदार था. मुंबई किसी के लिए नहीं रुकती, लेकिन उस दिन मुंबई रुकी थी और सिर्फ एक ही दिशा में बढ़ रही, हमारी बस की दिशा में. हमने उस दिन भारत के सभी मौसम देखे.'

उन्होंने कहा, 'मुझे याद है कि लोग हम पर पानी की बोतलें, फल और चॉकलेट फेंक रहे थे, ताकि हमारी ऊर्जा खत्म न हो. हमारे लिए यह बेहतरीन चीज थी और हमने इन पलों का लुत्फ उठाया. 1983 की विश्व कप जीत के बाद यह विश्व कप जीतना बड़ी राहत की बात थी.'

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