निशिकांत दुबे ने संसद में कहा कि भारत में आदिवासी और मुसलमानों की जनसंख्या में बड़े बदलाव आए हैं। 1951 में आदिवासियों की जनसंख्या पैंतालीस प्रतिशत थी जो 2011 की जनगणना में घटकर सत्ताईस अट्ठाईस प्रतिशत रह गई। डिलिमिटेशन के कारण आदिवासी सीटें खत्म होने लगी, लेकिन राजनीतिक पार्टियों ने इसे रोका ताकि आदिवासी अधिकार सुरक्षित रहें।