एक छोटा सा पेंग्विन अपने घर से बाहर निकला और समुद्र में तैरते हुए 3218 किलोमीटर दूर पहुंच गया. वह रास्ता भटक गया था. उसका घर था अंटार्कटिका में लेकिन तैरते-तैरते वह न्यूजीलैंड के एक तट पर पहुंच गया. बेचारा अकेला 'पिंगू'. एडिली प्रजाति के इस पेंग्विन का नाम पिंगू (Pingu) है. लेकिन इस पर स्थानीय लोगों की नजर पड़ गई. लोगों ने वैज्ञानिकों और वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट्स को सूचना दी. उसके बाद इसे वापस समुद्र में छोड़ दिया गया.
असल में हुआ ये कि यह किसी तरह से रास्ता भटकने के बाद तैरते-तैरते अंटार्कटिका से न्यूजीलैंड के बर्डलिंग फ्लैट तक पहुंच गया. वहां तट पर स्थानीय लोगों ने इसे देखा तो इसका नाम प्रसिद्ध कार्टून कैरेक्टर 'पिंगू' के नाम पर रख दिया. ये बात है 10 नवंबर की. उसके बाद इसे क्राइस्टचर्च पेंग्विन रीहैबिलिटेशन में लाया गया. उसका इलाज किया गया. बिना खाने-पीने और लंबी यात्रा के बाद वह थक गया था. उसका वजन कम हो गया था. साथ ही उसके शरीर में पानी की कमी थी.
तैरते-तैरते कमजोर हो गया था पिंगू
न्यूजीलैंड के काईकोउरा वाइल्डलाइफ के डॉक्टरों ने बताया कि पिंगू की उम्र करीब 1 से 2 साल के बीच है. उसकी सेहत सुधारने के लिए उसे तरल पदार्थों और फिश स्मूदीज पर रखा गया था. दो दिन के बाद उसे समुद्री पानी में वापस उतारा गया ताकि वह अपने निवास क्षेत्र के लिए जाने का मन बन सके. लेकिन ऐसा करने पर वह जाने का इच्छुक नहीं दिख रहा था. उसके बाद इसे वहीं पर छोड़ दिया गया. अब उसकी सेहत अच्छी है.
पिंगू न्यूजीलैंड में अंटार्कटिका से आने वाला तीसरा जीव है. सबसे पहले 1962 में एक मृत समुद्री जीव अंटार्कटिका से बहते हुए न्यूजीलैंड में पहुंचा था. दूसरा साल 1993 में काईकोउरा इलाके में आने वाला जीवित पेंग्विन था. एडिली पेंग्विन (Adélie Penguin) अंटार्कटिका पर रहने वाले पेंग्विन की पांच प्रजातियों में से एक है. ये आमतौर पर 27.5 इंच लंबे होते हैं. इनका वजन करीब 3.8 से 5.4 किलोग्राम तक होता है.
क्षमता से 10 गुना ज्यादा तैर गया 'पिंगू'
अन्य पेंग्विंस की तरह ही ये मछलियां, स्क्विड और क्रिल खाते हैं. ये आमतौर पर अधिकतम 300 किलोमीटर तक तैरने की क्षमता रखते हैं. इसलिए पिंगू की 318 किलोमीटर लंबी यात्रा देखकर वैज्ञानिक हैरान है. वह भी खाने की खोज में. जो कि बेहद कठिन काम है. इतनी लंबी यात्रा में सुरक्षित रहना भी किसी हैरतअंगेज कारनामे से कम नहीं है. वैज्ञानिकों का मानना है कि पिंगू के इतनी दूर आने की वजह खाने की कमी और क्लाइमेट चेंज है.
क्राइस्टचर्च पेंग्विन रीहैबिलिटेशन के थॉमस स्टेक कहते हैं कि आमतौर पेंग्विन अपने समूह या इलाके से अलग तब होते हैं, जब उन्हें खाने की कमी और गर्मी की दिक्कत होती है. क्योंकि ऐसे में मछलियां ज्यादा गहराई में ठंडे पानी में चली जाती है. पेंग्विन ज्यादा गहराई में जा नहीं सकती, इसलिए उन्हें खाने की कमी होने लगती है. साथ ही बढ़ता तापमान उन्हें रहने में दिक्कत करने लगता है.
साल 2016 में साइंटिफिक रिपोर्ट जर्नल में छपी एक स्टडी के अनुसार अगर क्लाइमेट चेंज होता रहा और तापमान बढ़ता रहा तो इस सदी के अंत तक एडिली पेंग्विन (Adélie Penguin) की 60 फीसदी आबादी खत्म हो जाएगी. अगर किसी भी जीव की आबादी खत्म होती है तो उस इकोसिस्टम का पूरा का पूरा फूड चेन बिगड़ने लगता है. इसका असर अन्य जीवों पर भी पड़ता है.
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