अमेरिकी कंपनियों की निजी अंतरिक्ष उड़ान से सीखने को मिलाः डॉ. सिवन

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) के प्रमुख डॉ. के. सिवन ने कहा है कि निजी कंपनियों और स्पेस स्टार्टअप्स के लिए इसरो के दरवाजे खुले हैं. वो आएं और हमसे अपनी तकनीक शेयर करें, हम उन्हें बेहतरीन प्लेटफॉर्म देने के लिए तैयार बैठे हैं. हाल ही में अमेरिकी निजी कंपनियों की निजी अंतरिक्ष यात्राओं ने दुनियाभर को प्रेरित किया है. इसरो प्रमुख इंटरनेशनल स्पेस कॉन्फ्रेंस एंड एग्जीबिशन-2021 (ISCE) के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे.

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इंटरनेशनल स्पेस कॉन्फ्रेंस एंड एग्जीबिशन में मुख्य वक्ता थे इसरो प्रमुख डॉ. सिवन. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी) इंटरनेशनल स्पेस कॉन्फ्रेंस एंड एग्जीबिशन में मुख्य वक्ता थे इसरो प्रमुख डॉ. सिवन. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 13 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 4:32 PM IST
  • निजी स्पेस कंपनियों और स्टार्टअप्स के लिए इसरो के दरवाजे खुले
  • 40 से ज्यादा निजी कंपनियों-स्टार्टअप्स के एप्लीकेशन हमारे पास
  • इसरो देश-दुनिया की मदद करती आई थी, आगे भी करती रहेगी

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) के प्रमुख डॉ. के. सिवन ने कहा है कि निजी कंपनियों और स्पेस स्टार्टअप्स के लिए इसरो के दरवाजे खुले हैं. वो आएं और हमसे अपनी तकनीक शेयर करें, हम उन्हें बेहतरीन प्लेटफॉर्म देने के लिए तैयार बैठे हैं.

इसरो प्रमुख इंटरनेशनल स्पेस कॉन्फ्रेंस एंड एग्जीबिशन-2021 (ISCE) के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे. ISCE को इसरो, एंट्रिक्स, एनसिल और सीआईआई ने मिलकर किया है. इस तीन दिवसीय वर्चुअल प्रोग्राम में कई देशों की स्पेस एजेंसी, स्टार्टअप्स, स्पेस इंडस्ट्रीज भाग ले रही हैं. आइए जानते हैं कि पहले दिन इसरो चीफ समेत अन्य वक्ताओं ने स्पेस इंडस्ट्री में आ रहे बदलावों पर क्या-क्या कहा.

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इसरो प्रमुख डॉ. के. सिवन ने कहा कि कोरोना महामारी ने इसरो की कार्यप्रणाली को थोड़ा बाधित किया लेकिन हमने और हमारी जैसी कई कंपनियों को वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर काम करने की सीख भी दी. स्पेस इंडस्ट्री बेहतरीन काम कर रही है, जिसकी वजह से दुनिया तेजी से आगे बढ़ रही है.

सैटेलाइट आधारित सर्विसेज चल रही हैं. निजी स्पेस कंपनियों के लिए लगातार मौके आ रहे हैं. दो अमेरिकी निजी कंपनियों ने स्पेस ट्रैवल करके दुनिया को हैरान कर दिया. मोबाइल टेक्नोलॉजी में अब हाई-थ्रू सैटेलाइट्स आ रहे हैं. अब सैटेलाइट्स के नक्षत्र बनाए जा रहे हैं. 

डॉ. सिवन ने कहा कि अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था की बड़ी दिक्कत है स्पेस की कमी, फ्रिक्वेंसी की कमी, पैसे की कमी, समझौतों की कमी और नेतृत्व की कमी. स्पेस टेक्नोलॉजी सहायता और समझौतों से आगे बढ़ेगी. भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने रिमोट सेंसिंग, अर्थ ऑब्जरवेशन पर काम किया है.

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हम लोगों की भलाई के लिए काम करते हैं. हम उन्हें खराब मौसम, खराब फसल, खराब स्थितियों की जानकारी देकर आर्थिक नुकसान से बचाते हैं. भारत की निजी कंपनियां अब तेजी से आगे आ रही हैं. ये इसरो के साथ मिलकर काम करना चाहती हैं, हम खुद उन्हें खुद मदद कर रहे हैं. 

इसरो चीफ ने कहा कि स्पेस इंडस्ट्री में आगे बढ़ने के लिए जरूरी है कि सरकार, एकेडेमिया, इंडस्ट्री तीनों को मिलकर काम करना होगा. तभी स्पेस इंडस्ट्री आगे बढ़ेगी. हमारे पास 40 से ज्यादा निजी कंपनियों के एप्लीकेशन आए हुए हैं.

हम जल्द ही डॉ. पवन गोयनका के साथ मिलकर इनमें से कुछ को अंतिम स्वरूप देंगे. डॉ. सिवन ने कहा कि हमारे स्पेस स्टार्टअप्स काफी तेजी से आगे आ रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को चाहिए कि वो भारतीय स्पेस स्टार्टअप्स के साथ काम कर सकते हैं.

इससे भारत और विदेशी कंपनियों दोनों को फायदा होगा. इसके लिए FDA में बदलाव किया जा रहा है. इसरो लगातार रिसर्च और डेवलपमेंट पर काम करता रहेगा. इसरो निजी कंपनियों को बेहतरीन प्लेटफॉर्म देगा. 

स्पेस मिशन को डिमांड ड्रिवेन मोड में लेते हैंः डॉ. राधाकृष्णन

न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड के प्रबंध निदेशक डॉ. डी. राधाकृष्णन ने कहा कि हम चाहते हैं कि अंतरिक्ष की दुनिया से संबंधित स्पेस टेक्नोलॉजी का उत्पादन तेजी से हो. कंपनियों और स्टार्टअप्स के समझौते हों.

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यह हमारा काम है यानी न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड का. हमें कई स्पेस रिफॉर्म्स करने हैं. ताकि देश में स्पेस इंडस्ट्री को बढ़ावा मिल सके. हम स्पेस मिशन को डिमांड ड्रिवेन मॉडल के तौर पर लेते हैं.

हम कोशिश करते हैं कि हमारे हर मिशन की कीमत निकाली जा सके. ताकि मिशन से स्पेस इंडस्ट्री के अन्य संस्थानों को फायदा भी हो. अब भारतीय कंपनियां इसरो के लॉन्च व्हीकल यानी पीएसएलवी को भारतीय कंपनियां बना रही हैं. यानी देश में ही रॉकेट्स तैयार हो रहे हैं.

हम रॉकेट बनाने की टेक्नोलॉजी प्राइवेट कंपनियों के साथ शेयर कर रहे हैं ताकि इसरो को रॉकेट की दिक्कत न हो. 

भारत में तेजी से बढ़ रहा है स्पेस ईकोसिस्टमः उमामहेश्वरन

इसरो और इन-स्पेस एक्टीविटीज के साइंटिफिक सेक्रेटरी आर. उमामहेश्वरन ने कहा कि देश में स्पेस ईकोसिस्टम तेजी से बढ़ा है. इसरो ने काफी प्रोग्रेस किया है. भविष्य में भी हम कई सफलता हासिल करेंगे.

हम स्पेस बेस्ड सर्विसेज प्रोवाइड बेहतरीन तरीके से कर रहे हैं. हमें अब प्राइवेट सेक्टर को इस क्षेत्र में बढ़ावा देना है ताकि स्पेस इंडस्ट्री को तेजी से आगे बढ़ाया जा सके. हम यह देख रहे हैं कि निजी कंपनियां स्पेस इंडस्ट्री में क्या-क्या बदलाव हो सकता है.

हमें निजी कंपनियों से कई तरह के प्रस्ताव आ रहे हैं. ये रॉकेट डेवलपमेंट से लेकर सैटेलाइट बनाने तक और संचार से सॉफ्टवेयर तक की कंपनियां शामिल हैं. ये एग्जीबिशन और तीन दिवसीय प्रोग्राम स्पेस कंपनियों को आगे बढ़ने का मौका देगी. 

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भारत के साथ नीदरलैंड्स का स्पेस रिलेशन बहुत पुरानाः निको वान पुतेन

नीदरलैंड स्पेस ऑफिस के डिप्टी डायरेक्टर निको वान पुतेन ने कहा कि नीदरलैंड्स स्पेस ऑफिस 2009 में शुरु हुआ था. नीदरलैंड की सरकार के लिए स्पेस नीतियां बनाने का काम था. टेक्नोलॉजी बनाना, कंपोनेंट बनाना, सैटेलाइट बनाना, क्लाइमेट, एग्रीकल्चर आदि से संबंधित सॉफ्टवेयर बनाना.

हमारा देश छोटा है, इसलिए ऐसे अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में शामिल होने से कुछी सीखने को मिलेगा. भारत के साथ हमारा पुराना संबंध है. भारत वायु प्रदूषण और जलवायु, अर्थ ऑब्जरवेशन, नैनो सैटेलाइट्स और कंपोनेंट्स डेवलप करने में मदद करता है. हमारे हर स्पेस संबंधी समस्या में भारत समाधान के रूप में सामने आता है. 

भारत-इसरो से जितना भी सीखो कम हैः एंथनी मर्फेट

ऑस्ट्रेलियन स्पेस एजेंसी के डिप्टी हेड एंथनी मर्फेट ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया की सरकार की तरफ से हम भारत और इसरो को बधाई देना चाहते हैं कि हम दोनों देशों ने कोरोना और स्पेस इंडस्ट्री में बेहतरीन काम किया है.

भारत और इसरो ने दुनिया को अंतरिक्ष विज्ञान के मायने सिखाए हैं. जब हम समझौते करते हैं तब हम यह बात जानते हैं कि हमें एक-दूसरे से सीखने को मिलेगा. हमें इसरो से सीखने को बहुत मिलेगा. गगनयान मिशन के लिए ऑस्ट्रेलिया, भारत सरकार और इसरो को बधाई देना चाहता है.

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अगर भारत इस काम में सफल होता है तो वह चौथा देश होगा जो अपने लोगों को अपने यान और अपनी तकनीक से अंतरिक्ष में पहुंचाएगा. हम लगातार भारत के साथ काम कर रहे हैं. इससे हम दोनों ही देशों की स्पेस इंडस्ट्री को फायदा होगा. 

वैश्विक अंतरिक्ष उद्योग में भारत का हिस्सा 2 से 10% करना हैः पवन गोयनका

इन-स्पेस के चेयरमैन डेसिगनेट डॉ. पवन गोयनका ने कहा कि वैश्विक अंतरिक्ष उद्योग में भारत का हिस्सा सिर्फ 2 फीसदी है. जबकि भारत की क्षमता काफी ज्यादा है. टेक स्टार्टअप्स और बड़ी कंपनियां मिलकर स्पेस इंडस्ट्री में देश और इसरो को आगे बढ़ा सकती हैं.

मैं कोशिश करूंगा कि भारतीय स्पेस इंडस्ट्री से जुड़ी सभी संस्थाओं को एकसाथ मिलाकर आगे बढ़ूं. उनके समझौते कराऊं. मैं चाहता हूं कि भारतीय स्पेस इंडस्ट्री 2 फीसदी से 10 फीसदी के वैश्विक हिस्से तक जाए. मैं कोशिश करूंगा कि जल्द ही नीतियों का निर्धारण करके निजी कंपनियों को एकसाथ खड़ा किया जाए. 

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