दिल्ली में इस समय घना स्मॉग छाया हुआ है. हवा की गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है. 15 दिसंबर को दिल्ली का AQI 447 तक दर्ज किया गया, जो गंभीर श्रेणी में आता है. वहीं, चीन की राजधानी बीजिंग, जो कभी दुनिया की स्मॉग कैपिटल कहलाती थी, अब काफी साफ हवा में सांस ले रही है – उसी दिन बीजिंग का AQI सिर्फ 67 था.
इस बीच, भारत में चीनी दूतावास ने दिल्ली की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है. दूतावास की प्रवक्ता यू जिंग ने सोशल मीडिया X पर एक सीरीज शुरू की है, जिसमें बीजिंग ने प्रदूषण से कैसे लड़ाई जीती, इसका स्टेप-बाय-स्टेप गाइड शेयर किया जा रहा है.
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यू जिंग ने लिखा कि चीन और भारत दोनों तेज शहरीकरण के बीच वायु प्रदूषण की चुनौती से गुजरे हैं. चुनौती जटिल है, लेकिन पिछले एक दशक में चीन के लगातार प्रयासों से काफी सुधार हुआ है. उन्होंने बीजिंग के पहले और बाद के फोटो शेयर किए, जो प्रदूषण कम होने की कहानी बयां करते हैं.
चीनी दूतावास ने सबसे पहले वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर फोकस किया...
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इसके अलावा औद्योगिक पुनर्गठन किया – कोयले पर निर्भर फैक्टरियां बंद या शिफ्ट कीं, क्लीन एनर्जी अपनाई. 2013 में चीन ने 'प्रदूषण पर युद्ध' घोषित किया और बड़े निवेश किए. बीजिंग में अब साल में ज्यादा 'ब्लू स्काई' दिन हैं.
दिल्ली में हर सर्दी यही कहानी – दिवाली के बाद स्मॉग, सांस की बीमारियां बढ़ना. भारत ने BS-VI मानक लागू किए (2020 से), लेकिन पुराने वाहनों का प्रवेश रोकने में देरी हुई. इस हफ्ते ही नॉन-BS-VI गाड़ियों पर बैन लगा. ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) चल रहा है, लेकिन पड़ोसी राज्यों से पराली जलना और क्षेत्रीय समन्वय की कमी बड़ी समस्या है.
विशेषज्ञ कहते हैं कि बीजिंग का मॉडल अपनाया जा सकता है – सख्त नियम, क्षेत्रीय सहयोग और लंबे समय की योजना. चीनी दूतावास की यह पहल दोनों देशों के बीच पर्यावरण सहयोग का संकेत है. यू जिंग ने कहा कि आने वाले दिनों में और स्टेप्स शेयर करेंगे. साफ आसमान की यात्रा में साथ चलें. यह गाइड दिल्ली और पूरे उत्तर भारत के लिए उम्मीद की किरण है, अगर सही तरीके से लागू किया जाए.
आजतक साइंस डेस्क