Zombie Volcano में 2.50 लाख साल बाद हलचल, विनाशकारी विस्फोट की आशंका

बोलीविया का उतुरुंकु ज्वालामुखी 250000 वर्षों से निष्क्रिय था. अब भूमिगत हलचल दिखा रहा है. वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि इसके नीचे हाइड्रोथर्मल सिस्टम और गैस जलाशय सक्रिय हैं, जो सतह को 1 सेमी/वर्ष ऊपर धकेल रहे हैं. इससे वैज्ञानिक हैरान हैं कि ये अचानक कैसे एक्टिव हो गया.

Advertisement
ये है बोलीविया का जॉम्बी वॉल्कैनो उतुरुंकु. (फोटोः गेटी) ये है बोलीविया का जॉम्बी वॉल्कैनो उतुरुंकु. (फोटोः गेटी)

आजतक साइंस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 02 मई 2025,
  • अपडेटेड 1:17 PM IST

बोलीविया के सुर लिपेज़ प्रांत में स्थित उतुरुंकु ज्वालामुखी, जो पिछले 250,000 वर्षों से निष्क्रिय है, अब वह एक्टिव हो गया है. वैज्ञानिकों ने ज्वालामुखी के नीचे गहरे मैग्मा चैंबर्स में हो रही गतिविधियों का पता लगाया है, जहां लावा और गैस धीरे-धीरे सतह की ओर बढ़ रही है. 

उतुरुंकु: एक 'ज़ॉम्बी' ज्वालामुखी

उतुरुंकु को 'ज़ॉम्बी' ज्वालामुखी कहा जाता है क्योंकि यह तकनीकी रूप से निष्क्रिय है, लेकिन फिर भी इसमें जीवन के संकेत दिखाई देते हैं. इसकी आखिरी विस्फोट 250,000 साल पहले हुआ था, लेकिन हाल के दशकों में यह भूकंपीय गतिविधियों और गैस उत्सर्जन के साथ सक्रियता दिखा रहा है. ये गतिविधियां सामान्य रूप से किसी ज्वालामुखी से जुड़ी चिंताजनक होती हैं.

Advertisement

इस गतिविधि ने उतुरुंकु के आसपास के परिदृश्य को एक 'सोम्ब्रेरो' (टोपी जैसी) आकृति में बदल दिया है, जिसमें ज्वालामुखी का शिखर केंद्र में ऊंचा है. आसपास की भूमि निचली हो गई है. इस तरह की हलचल से स्थानीय आबादी में चिंता पैदा होती है, क्योंकि एक बड़े ज्वालामुखी का विस्फोट विनाशकारी हो सकता है.

यह भी पढ़ें: 1972 का सोवियत उपग्रह अगले हफ्ते अनियंत्रित रूप से पृथ्वी पर गिरेगा... कहीं भी हो सकती है टक्कर

एक अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक दल जिसमें चीन, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका के विशेषज्ञ शामिल थे, उन्होंने उतुरुंकु के नीचे की गतिविधियों को समझने के लिए कई तकनीकों का उपयोग किया.  

1. भूकंपीय टोमोग्राफी (Seismic Tomography)

वैज्ञानिकों ने आसपास के क्षेत्र में 1,700 से अधिक भूकंपों के डेटा का उपयोग करके ज्वालामुखी के नीचे की 'प्लंबिंग सिस्टम'को मैप किया. यह तकनीक चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (MRI) या एक्स-रे इमेजिंग की तरह काम करती है. भूकंप के बाद उत्पन्न होने वाली ध्वनिक तरंगें पृथ्वी के विभिन्न पदार्थों के आधार पर बदलती हैं, जिससे वैज्ञानिक ठोस खनिजों, खोखले चैंबर्स और तरल पदार्थों के क्षेत्रों को मैप कर सकते हैं.

Advertisement

2. भू-भौतिकी और पेट्रोकेमिकल विश्लेषण

वैज्ञानिकों ने पिछले भू-भौतिकी इमेजिंग डेटा और पेट्रोकेमिकल विश्लेषण को जोड़ा, साथ ही रॉक फिजिक्स मॉडलिंग की. इससे उन्हें ज्वालामुखी के नीचे हो रही गतिविधियों का पुनर्निर्माण करने में मदद मिली. उनके परिणामों से पता चला कि उतुरुंकु के नीचे एक उथला हाइड्रोथर्मल सिस्टम है, जिसमें गर्म पानी सतह की ओर बढ़ रहा है.

3. गैस संचय और सतह का उभार

ज्वालामुखी के क्रेटर के नीचे एक जलाशय है, जहां गैस जमा हो रही है, जो सतह को प्रति वर्ष लगभग 1 सेंटीमीटर (0.4 इंच) की दर से ऊपर धकेल रही है. यह 'सोम्ब्रेरो' आकृति का कारण है, जहां केंद्र ऊपर उठता है. किनारे नीचे धंसते हैं. यह गतिविधि ज्वालामुखी के विस्फोट के बजाय गैस और तरल पदार्थों की गति से होती है.

कम जोखिम: उतुरुंकु में निकट भविष्य में विस्फोट की संभावना कम है, क्योंकि गतिविधियां मैग्मा के बड़े पैमाने पर संचय के बजाय हाइड्रोथर्मल तरल पदार्थों और गैसों की गति से संबंधित हैं.

खनिज संसाधन: यह अध्ययन खनिजों, जैसे तांबे, के भंडारण को समझने में मदद कर सकता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि तरल पदार्थ पिघले हुए चट्टानों के माध्यम से खनिजों को उठाते हैं. उन्हें जमा करते हैं, जो प्रौद्योगिकी के लिए उपयोगी हो सकते हैं.

Advertisement

यह भी पढ़ें: IIT Kanpur Professor On Earthquake: भारत में भी म्यांमार जैसे भूकंप का खतरा? IIT कानपुर के साइंटिस्ट ने दी ये चेतावनी

वैज्ञानिक तकनीक: इस शोध ने कई डेटासेट और तकनीकों को संयोजित करके निष्क्रिय ज्वालामुखी प्रणालियों की छिपी गतिविधियों को उजागर करने की क्षमता दिखाई, जो भविष्य में अन्य ज्वालामुखियों के खतरे का आकलन करने में उपयोगी हो सकती है.

उतुरुंकु अल्टिप्लानो-पुना ज्वालामुखी परिसर (APVC) के ऊपर स्थित है, जो पृथ्वी की सबसे बड़ी ज्ञात मैग्मा बॉडी है. इस परिसर में कई बड़े ज्वालामुखी और कैल्डेरा शामिल हैं, जिन्होंने पिछले कुछ मिलियन वर्षों में बड़े पैमाने पर विस्फोट किए हैं. उतुरुंकु की गतिविधियां इस मैग्मा बॉडी से जुड़ी हैं, लेकिन यह मुख्य रूप से हाइड्रोथर्मल प्रणाली के माध्यम से सतह तक तरल पदार्थ और गैसों के प्रवाह से जुड़ी है.

स्थानीय समुदाय के लिए खतरा नहीं

उतुरुंकु के आसपास रहने वाली आबादी के लिए, इस अध्ययन से यह आश्वासन मिलता है कि ज्वालामुखी से तत्काल खतरा नहीं है. हालांकि, वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया है कि बोलीविया के अन्य निष्क्रिय ज्वालामुखियों की निगरानी जारी रखी जाए, क्योंकि उनमें से कुछ सक्रिय हो सकते हैं.

कॉर्नेल विश्वविद्यालय के भूभौतिकीविद् मैथ्यू प्रिचर्ड के अनुसार लोग ज्वालामुखियों को देखते हैं और सोचते हैं, अगर यह विस्फोट नहीं करने वाला है, तो हमें इसमें रुचि नहीं है. लेकिन वास्तव में, सतह पर मृत दिखने वाले ज्वालामुखी नीचे मृत नहीं होते. वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया है कि इस तरह की तकनीकों को विश्व भर के 1,400 से अधिक संभावित सक्रिय ज्वालामुखियों पर लागू किया जा सकता है, ताकि उनके खतरे का आकलन किया जा सके और संभावित संसाधनों की खोज की जा सके. 

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement