ऐसा पेड़ जिसकी नुकीली पत्तियों में मिला सोना... इस काम आएगा

फिनलैंड के वैज्ञानिकों ने नॉर्वे स्प्रूस पेड़ों की सुइयों जैसे पत्ते में सोने के नैनोपार्टिकल्स खोजे. किटिला खदान के पास 23 पेड़ों के 138 सैंपल में 4 में सोना मिला. एंडोफाइट बैक्टीरिया जड़ों से सोना सोखकर बायोफिल्म में जमा करते हैं. इस पेड़ से सोना निकालना फायदेमंद नहीं, लेकिन खदान ढूंढने में मददगार साबित होगा.

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ये स्प्रूस ट्री, जिसे आमतौर क्रिसमस ट्री भी कहते हैं, इसकी नुकीली पत्तियों में सोना मिला है. (File Photo: Getty) ये स्प्रूस ट्री, जिसे आमतौर क्रिसमस ट्री भी कहते हैं, इसकी नुकीली पत्तियों में सोना मिला है. (File Photo: Getty)

आजतक साइंस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 10 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 5:16 PM IST

क्रिसमस ट्री पर चमकते सिल्वर और गोल्ड के गहने तो हम सब देखते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि असली स्प्रूस के पेड़ों की सुइयों (नीडल्स) में सोना छिपा होता है? ये सोना छोटे-छोटे कणों (नैनोपार्टिकल्स) के रूप में होता है. फिनलैंड के वैज्ञानिकों ने ये रहस्य खोला है.

एक नई स्टडी के मुताबिक, नॉर्वे स्प्रूस (Picea abies) नाम के पेड़ बैक्टीरिया की मदद से जड़ों से पानी के साथ सोने के कण सोख लेते हैं. ये खोज हाल ही को 'एनवायरनमेंटल माइक्रोबायोम' जर्नल में छपी. 

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खोज कैसे हुई? फिनलैंड के सोने की खदान के पास

वैज्ञानिकों ने फिनलैंड के उत्तरी हिस्से में किटिला खदान के पास के स्प्रूस पेड़ों पर रिसर्च की. ये खदान यूरोप की सबसे बड़ी सोने की खदान है. टीम ने 23 पेड़ों से 138 सुइयों के सैंपल लिए. नतीजा चौंकाने वाला – चार पेड़ों की सुइयों में सोने के नैनोपार्टिकल्स मिले. ये कण इतने छोटे हैं कि एक मिलीमीटर का लाखवां हिस्सा हैं.

स्टडी की प्रमुख लेखिका कैसा लेहोस्मा, जो फिनलैंड के ओउलू यूनिवर्सिटी की इकोलॉजिस्ट हैं, वो कहती हैं कि पेड़ों के अंदर रहने वाले बैक्टीरिया और दूसरे सूक्ष्म जीव सोने के जमा होने में मदद करते हैं. ये बैक्टीरिया  एंडोफाइट्स कहलाते हैं. ये पेड़ों के अंदर रहने वाले अच्छे जीव हैं, जो पेड़ों को हार्मोन बनाते हैं, पोषक तत्व सोखने में मदद करते हैं.

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सोना कैसे इकट्ठा होता है? बैक्टीरिया का जादू

पेड़ जड़ों से पानी सोखते हैं. मिट्टी में घुला सोना भी पानी के साथ आ जाता है. लेकिन सोना जहरीला होता है, इसलिए पेड़ इसे सुइयों में जमा नहीं करना चाहते. यहां एंडोफाइट बैक्टीरिया काम आते हैं. ये बैक्टीरिया बायोमिनरलाइजेशन प्रक्रिया से सोने के कणों को अलग करते हैं.

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बायोमिनरलाइजेशन का मतलब है कि जीव अपने ऊतकों में खनिज बनाते या कंट्रोल करते हैं. बैक्टीरिया सोने के कणों को घेरकर बायोफिल्म बनाते हैं. ये बायोफिल्म चीनी और प्रोटीन से बने होते हैं, जो बैक्टीरिया को पेड़ के अंदर सुरक्षित रखते हैं.

स्टडी में पाया गया कि सोना वाले सुइयों में बैक्टीरिया की संख्या कम थी – जैसे P3OB-42, क्यूटिबैक्टीरियम और कोरिनेबैक्टीरियम. दूसरे अध्ययनों में भी देखा गया कि ज्यादा धातु वाले पेड़ों में बैक्टीरिया की विविधता कम होती है. बैक्टीरिया सोने को कम जहरीला बनाने के लिए ये करते हैं.

सोना निकालना फायदेमंद? नहीं, लेकिन खोज के लिए उपयोगी

सुइयों में सोना इतना कम है कि पेड़ काटकर अमीर बनना असंभव. लेकिन ये खोज सोने की खोज के लिए बहुत काम की है. वैज्ञानिक कहते हैं कि पेड़ों की पत्तियों में ऐसे बैक्टीरिया ढूंढकर सोने की खदानें ढूंढना आसान हो जाएगा. लेहोस्मा कहती हैं कि ये बैक्टीरिया स्क्रीनिंग से खनन कंपनियों को मदद मिलेगी.

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क्यों महत्वपूर्ण है ये खोज?

ये स्टडी दिखाती है कि प्रकृति में बैक्टीरिया कितने चमत्कारी हैं. पेड़ मिट्टी से धातुएं सोखकर पर्यावरण को साफ रखते हैं. इससे खनन इंडस्ट्री को नई तकनीक मिल सकती है. ये हमें सिखाती है कि छोटे जीव बड़े रहस्य खोल सकते हैं.

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