जर्मनी के पुरातत्वविदों ने म्यूनिख (Munich) में एक कंस्ट्रक्शन साइट की जांच के दौरान, एक खास तरह की प्राचीन कैंची की खोज की है. यह कैंची बहुत अच्छी तरह से संरक्षित है और इसकी धार अब भी इतनी तेज़ है कि ये चीज़ें काट सकती है.
एक बम निरोधक दस्ता, म्यूनिख के एक शहर सेंडलिंग में एक कंस्ट्रक्शन साइट पर द्वितीय विश्व युद्ध के विस्फोटित नहीं हुए गोला-बारूद की खोज कर रहा था. यह वहां सामान्य तौर पर किया जाने वाला अभ्यास है. खोज करते हुए उनकी ठोकर एक लकड़ी के बॉक्स से हुई. यह बक्सा कब्र के मकबरे जैसा लग रहा था, जिसे देखकर टीम ने स्मारकों का संरक्षण करने वाले बवेरियन स्टेट ऑफिस (BLfD) के पुरातत्वविदों को बुलाया. यह तीसरी या दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व का बक्सा था. यह वह समय था जब सेल्ट लोग, मृत लोगों के अवशेषों और उनकी चीजों को दफनाने से पहले मृतकों को जला देते थे.
मौत के बाद के जीवन यकीन रखते थे सेल्ट
सेल्ट्स (Celts) शुरुआती इंडो-यूरोपीयन लोग थे जो ज़्यादातर पश्चिमी यूरोप में फैले हुए थे. इन लोगों में असमान जनजातियां और समूह थे. ये लोग ब्रिटिश द्वीपों से लेकर उत्तरी स्पेन तक फैले थे.
सेल्ट लोग मौत के बाद के जीवन को बहुत मानते थे और ये उनकी दफनाने की प्रथाओं में साफ दिखता था. हालांकि उन्होंने इन प्रथाओं के बारे में कहीं कुछ लिखा नहीं था, इसके कहीं कोई रिकॉर्ड नहीं मिले हैं, इसलिए उनकी प्रथाओं के बारे में सिर्फ उनकी छोड़ी गई चीज़ों से ही पता चलता है.
कैंची के साथ और भी कई चीज़ें मिली
BLfD टीम को वहां से कई चीज़ें मिलीं. उन्हें एक मुड़ी हुई तलवार, एक ढाल के अवशेष, एक भाले की नोक, एक उस्तरा और इंसानी पैर की एक हड्डी जैसी चीज़ें मिली हैं.
शोधकर्ताओं का मानना है कि तलवार को मोड़ने से पहले उसे गर्म किया गया था. ऐसा क्यों किया गया, इसके कई कारण हो सकते हैं. लुटेरे कब्र को खराब न करें, इसलिए उन्हें हतोत्साहित करने के लिए तलवार को मोड़ा गया होगा. यह भी हो सकता है कि तलवार को खराब करना किसी चीज़ का प्रतीक हो. लेकिन इन सभी सामानों में सबसे ज़्यादा ध्यान खींचा कैंची ने.
ये कैंची इतनी अच्छी तरह से संरक्षित हैं कि शोधकर्ता उन्हें नई कह रहे हैं. कैंची में अभी भी चमक दिखाई दे रही है. प्राचीन कैंची कई काम आती थीं. इनसे लोग बाल भी काटते थे और कपड़ा भी काटते थे.
BLfD के प्रोफेसर मैथियास फिल (Mathias Pfeil) इस खोज को एक खास खोज मानते हैं. उनका कहना है कि यह कैंची न केवल प्रभावशाली शिल्प कौशल का एक नमूना है, बल्कि जिस तरह से उसे संरक्षित किया गया है, वह भी कमाल है. यह हमारे अतीत की एक आकर्षक झलक भी दिखाती है. प्रोफेसर फिल के मुताबिक, कैंची लगभग 2,300 साल पुरानी है और इसे आज भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
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