अफगानिस्तान के उत्तरी शहर मजार-ए-शरीफ के पास सोमवार सुबह 6.3 तीव्रता का भूकंप आया. इसमें कम से कम 20 लोग मारे गए और 150 से ज्यादा घायल हो गए. ये घटना अगस्त के अंत में आए भूकंपों की याद दिला देती है, जब 2,200 से ज्यादा लोगों की जान गई थी. Photo: AFP
अफगानिस्तान पहाड़ों से घिरा देश है, जहां प्राकृतिक आपदाएं जैसे बाढ़, सूखा और भूस्खलन तो होते ही हैं, लेकिन भूकंप सबसे ज्यादा जानें लेते हैं. हर साल औसतन 560 लोग भूकंप से मरते हैं. नुकसान 80 मिलियन डॉलर (करीब 670 करोड़ रुपये) का होता है. Photo: AFP
पृथ्वी की सतह 7 बड़े टेक्टोनिक प्लेट्स (भूखंडों) में बंटी है. ये प्लेट्स धीरे-धीरे हिलती रहती हैं – कुछ 2-10 सेंटीमीटर प्रति साल. जब दो प्लेट्स आपस में टकराती हैं या रगड़ खाती हैं, तो ऊर्जा जमा हो जाती है. ये ऊर्जा अचानक निकलती है, जिससे भूकंप आता है. Photo: AFP
अफगानिस्तान इसी ट्रांसप्लेट जोन (सीमा क्षेत्र) पर है, जहां प्लेट्स की गति से लगातार कंपन होता रहता है. अफगानिस्तान यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट के किनारे पर स्थित है. दक्षिण में अरेबियन प्लेट और पूर्व में इंडियन प्लेट इससे टकराती हैं. ये दुनिया के सबसे सक्रिय टेक्टोनिक क्षेत्रों में से एक है. Photo: AFP
इंडियन प्लेट हर साल 4-5 सेंटीमीटर उत्तर की ओर बढ़ रही है. ये यूरेशियन प्लेट से टकराती है, जिससे 'थ्रस्ट फॉल्ट' बनता है. यहां चट्टानें ऊपर की ओर धकेली जाती हैं. दबाव जमा होता है. जब दबाव ज्यादा हो जाता है, तो चट्टानें फिसल जाती हैं – ये रिक्टर स्केल पर 5-7 तीव्रता के भूकंप पैदा करता है. Photo: Reuters
दक्षिण से अरेबियन प्लेट का दबाव 'सबडक्शन जोन' (नीचे धंसाव क्षेत्र) बनाता है, जहां एक प्लेट दूसरी के नीचे चली जाती है. इससे मैग्नीट्यूड 6+ के भूकंप आते हैं. अफगानिस्तान में हिंदूकुश फॉल्ट जैसी 100+ फॉल्ट लाइन्स हैं. ये पुरानी चट्टानों की दरारें हैं, जहां ऊर्जा जमा होती है. Photo: Reuters
सिस्मोग्राफ (भूकंप मापक यंत्र) से पता चलता है कि यहां सालाना 1,000 छोटे-बड़े भूकंप आते हैं. अगस्त 2025 का भूकंप भी इसी थ्रस्ट फॉल्ट से आया था, जहां आफ्टरशॉक ने नुकसान बढ़ाया. अफगानिस्तान के पूर्वी और उत्तर-पूर्वी हिस्से सबसे संवेदनशील हैं – खासकर उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और पाकिस्तान की सीमाओं पर. Photo: AP
काबुल जैसे घनी आबादी वाले शहरों में खतरा ज्यादा है. ये इलाके हिंदूकुश पर्वत श्रृंखला पर हैं, जहां फॉल्ट लाइन्स सतह के करीब हैं. काबुल में हर साल भूकंप से 17 मिलियन डॉलर का नुकसान होता है. पहाड़ी इलाकों में भूकंप से भूस्खलन (लैंडस्लाइड) होते हैं – चट्टानें और मिट्टी खिसक जाती हैं, जो जान-माल का और नुकसान करते हैं. Photo: Reuters
बड़े भूकंपों में ऊर्जा लॉग-स्केल पर मापी जाती है – 1 यूनिट बढ़ने से ऊर्जा 31 गुना बढ़ जाती है. 7.5 तीव्रता का भूकंप 15 हिरोशिमा बमों के बराबर होता है. अफगानिस्तान जैसे देश को भूकंप-प्रतिरोधी बनाना जरूरी है. नई इमारतें मजबूत बनाएं. कंक्रीट में स्टील बार डालें, जो कंपन सोख लें. Photo: AP
वैज्ञानिक रूप से ये डंपिंग तकनीक से 50% नुकसान कम करती है. दीवारों में ब्रेसिंग लगाएं. ये फॉल्ट के झटके को बांट देती है. सिस्मोग्राफ और जीपीएस से फॉल्ट लाइन्स मॉनिटर करें. अर्ली वॉर्निंग ऐप्स 10-20 सेकंड पहले अलर्ट देते हैं, जिससे लोग बाहर निकल सकते हैं. Photo: Reuters