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साइंस न्यूज़

क्या है वो क्लस्टर बम, जिसके नाम से टेंशन में हैं पुतिन... क्या भारत के पास भी हैं ऐसे हथियार?

aajtak.in
  • कीव/मॉस्को,
  • 17 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 12:07 PM IST
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अमेरिका ने कहा कि वो यूक्रेन को क्लस्टर बम की सप्लाई करेगा. ये सुनते ही रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की हालत खराब हो गई. डरे भी. फिर कहा कि ऐसा कोई काम न करे अमेरिका और यूक्रेन. क्योंकि हमारे पास भी क्लस्टर बम का पर्याप्त भंडार है. (सभी फोटोः रॉयटर्स/गेटी/विकिपीडिया/एएफपी)

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अमेरिका के इस ऐलान से उसके मित्र देश यानी जर्मनी, इंग्लैंड, स्पेन और इटली भी चिंता में आ गए हैं. इन नाटो सदस्यों ने क्लस्टर बमों के इस्तेमाल पर चिंता जताई है. विरोध दर्ज किया है. इस बम को 100 से ज्यादा देशों ने प्रतिबंधित कर रखा है. आइए जानते हैं कि आखिर ये क्लस्टर बम होते हैं क्या है? 

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क्लस्टर बम ऐसा हथियार होता है, जिसके अंदर छोटे-छोटे बम रखे जाते हैं. यह बड़े इलाके में एक साथ घातक हमला करने के लिए इस्तेमाल होता है. इन्हें क्ल्स्टर म्यूनिशन भी कहते हैं. छोटे बमों को सबम्यूनिशन या बॉम्बलेट्स कहते हैं. इन बमों को फाइटर जेट, बमवर्षक विमान से छोड़ सकते हैं. या फिर मिसाइल में लगाकर दाग सकते हैं. 

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इस बम का इस्तेमाल सबसे ज्यादा द्वितीय विश्व युद्ध में हुआ था. इसे विमान से गिराकर काफी ज्यादा बड़े इलाके को नुकसान पहुंचाया जाता था. ये जरूरी नहीं कि क्लस्टर बम से निकला हर छोटा बम फट ही जाए. कई गिरने के बाद सालों तक मिट्टी में धंसे रहते हैं. जो बाद में इंसानों के संपर्क में आने पर फट पड़ते हैं. नतीजा लोगों की मौत. 

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इंटरनेशनल कमेटी ऑफ रेडक्रॉस के मुताबिक क्लस्टर बम के 10 से 40 फीसदी छोटे बम फटते नहीं हैं. इसे डड रेट कहते हैं. कई देशों में ऐसे न फटे बमों की संख्या बहुत ज्यादा है. इन्हें लगातार निकाला जा रहा है. बिना फटे बम देखने में खिलौने जैसे लगते हैं. इसलिए अक्सर इनका शिकार बच्चे होते हैं. 

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क्लस्टर का मतलब होता है समूह. जब समूह में छोटे-छोटे हथियारों को एक साथ रख दिया जाता है. तो वो ज्यादा खतरनाक हो जाते हैं. इनका ऊपरी हिस्सा एक हल्के विस्फोट के साथ खुलता है. इसके बाद अंदर के सारे बम बड़े इलाके में फैल कर तबाही मचाते हैं. 

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अब भी दुनिया में 34 देशों के पास 200 अलग-अलग प्रकार के क्लस्टर हथियारों के प्रकार मौजूद हैं. आमतौर पर एक क्लस्टर बम के अंदर छोटे-छोटे बॉम्लबेट्स होते हैं. जिनका वजन 20 किलोग्राम से कम होता है. ये बम अलग-अलग तरह के वजन के बनाए जाते हैं. यानी जैसी जरुरत वैसा वजन और ताकत. 

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इन बमों की वजह से आम लोगों को ज्यादा नुकसान होता है, इसलिए इन्हें 100 से ज्यादा देशों में बैन किया गया है. अब बात करें कि भारत के पास ऐसे हथियार हैं या नहीं. तो भारत उन 34 देशों में शामिल हैं जो क्लस्टर हथियार बनाने की क्षमता रखता है. उन्हें स्टोर करने की क्षमता भी रखता है. भारत के पास M395 क्लस्टर हथियार है. 

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अमेरिका यूक्रेन को 155 मिलिमीटर वाले तोप के गोलों में ड्यूस पर्पज इंप्रूव्ड कन्वेंशनल म्यूनिशन (DPICM Grenades) दे रहा है. ये गोले हवा में हिस्सों में बंट जाते हैं. इनके अंदर से ग्रैनेड्स निकलते हैं. जो एक साथ बड़े इलाके में धमाके करते हैं. अमेरिका द्वारा यूक्रेन को दिए जाने वाले गोले का नाम है M483. इसके अंदर 88 ग्रैनेड्स आते हैं. 

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इसके अलावा अमेरिका M864 हथियार भी दे रहा है. इसमें 72 ग्रैनेड्स आते हैं. लेकिन अभी यह तय नहीं हो पाया है कि यूक्रेन की सेना इसमें से कौन सा गोला इस्तेमाल करेगा. यूक्रेन के क्रामातोस्क में ट्रेन स्टेशन पर अप्रैल 2022 को मिसाइल हमला हुआ था. जिसमें क्लस्टर हथियार लगा था. इसकी वजह से दर्जनों लोग मारे गए थे. 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. 

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