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तूफान रागासा ने तोड़ डाली ताइवान की बैरियर झील... पूरा शहर कीचड़-कीचड़

आजतक साइंस डेस्क
  • नई दिल्ली,
  • 25 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:40 PM IST
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सुपर टाइफून रागासा ने ताइवान को बुरी तरह जकड़ लिया. इस तूफान की हवाओं ने भारी बारिश कराई, जिससे बाढ़ आ गई. अब तक 15 लोगों की मौत हो चुकी है. लेकिन सबसे बड़ा खतरा था ह्वालिएन काउंटी में एक बैरियर झील का फटना. मंगलवार को यह झील फट गई. इससे भारी तबाही हुई. Photo:AFP

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बैरियर झील एक प्राकृतिक झील होती है. यह तब बनती है जब पहाड़ों में भूस्खलन या बड़े पत्थर नदी का रास्ता रोक लेते हैं. यह एक तरह का प्राकृतिक बांध बन जाता है. नदी का पानी पीछे जमा हो जाता है. Photo: AFP

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इससे पानी का बहाव रुक जाता है या धीमा हो जाता है. ज्यादातर यह घाटियों में बनती हैं. अगर यह फट जाए, तो भारी बाढ़ आ सकती है. यह झील जुलाई में सैटेलाइट से दिखी. इससे पहले किसी को पता नहीं था. Photo: AFP

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यह पहले के ताइफूनों से बनी. उन तूफानों ने भूस्खलन कराया. पत्थर और मिट्टी ने घाटी को रोक लिया. पानी पीछे जमा हो गया. ह्वालिएन का यह इलाका पहाड़ी और कम आबादी वाला है. झील ह्वालिएन काउंटी के पूर्वी तट पर है. Photo: Reuters

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यह ताइवान के पहाड़ी इलाके में है. गुआंगफू शहर के ऊपर पहाड़ों में बसी है. यह माताई'अन क्रीक की एक सहायक नदी पर बनी है. इलाका बहुत दूर-दराज है. पहुंचना मुश्किल और खतरनाक है. फटने से पहले बांध की ऊंचाई करीब 120 मीटर (390 फीट) थी. Photo: AFP

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पानी का इलाका 500 मीटर लंबा और 1,650 मीटर चौड़ा था. फटने के बाद यह 75% सिकुड़ गई. 91 मिलियन टन पानी में से 60 मिलियन टन बह गया. यह इतना पानी है कि 36,000 ओलंपिक साइज के स्विमिंग पूल भर जाएं. Photo: Reuters

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झील बहुत दूर है. पहाड़ों में पहुंचना जोखिम भरा है. सरकार ने पानी कम करने या मलबा हटाने की कोशिश की, लेकिन मुश्किल हुई. पिछले साल 7.2 तीव्रता का भूकंप आया था. यह ताइवान का 25 सालों में सबसे बड़ा भूकंप था. इससे ह्वालिएन के कुछ पहाड़ अभी भी अस्थिर हैं. खतरा ज्यादा था. Photo: AP

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सुपर टाइफून रागासा ने ताइवान के पूर्वी तट पर भारी बारिश की. इससे झील का पानी बढ़ गया. मंगलवार को यह फट गई. बाढ़ ने इलाके को तबाह कर दिया. सरकार ने राहत काम तेज कर दिया है. Photo: AFP

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यह घटना बताती है कि प्राकृतिक आपदाएं कितनी खतरनाक हैं. ताइवान जैसे पहाड़ी इलाकों में बैरियर झीलें छिपी हो सकती हैं. सैटेलाइट निगरानी जरूरी है. जलवायु परिवर्तन से तूफान और भूस्खलन बढ़ रहे हैं. सरकार को दूर-दराज इलाकों में तैयारी बढ़ानी होगी. Photo: Reuters

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