महिलाओं को होने वाली एक रहस्यमयी बीमारी एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) को ठीक करने के लिए वैज्ञानिकों ने एक गैर-हॉर्मोनल इलाज की पद्धति खोज निकाली है. इस बीमारी का अभी तक कोई सटीक इलाज नहीं था. इस बीमारी में महिलाओं को असहनीय पीड़ा होती है. साथ ही इसकी वजह से उनके अंदर प्रजनन की क्षमता खत्म होती जाती है. यानी वो बांझपन की ओर बढ़ने लगती है. वैज्ञानिक एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) को ठीक करने के लिए 20 सालों से ज्यादा समय से सघन जेनेटिक रिसर्च कर रहे थे. इस इलाज के तरीके में एक खास तरह के जीन को रोका जाता है. जिससे दर्द, सूजन और प्रजनन क्षमता सुधरती रुकती है. इसका परीक्षण चूहों पर सफल रहा है. मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की बायोलॉजिकल इंजीनियर लिंडा ग्रिफिथ ने कहा कि यह एक बेहतरीन इलाज का तरीका है. (फोटोः गेटी)
लिंडा ने कहा कि अभी इसके ट्रायल्स मादा चूहों पर सफल रहे हैं. हमने महिलाओं पर इसका परीक्षण नहीं किया है. लेकिन एक बार ह्यूमन ट्रायल्स शुरु हुए तो इससे एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) जैसी बीमारी को लेकर कई अनसुलझे रहस्यों से परदा हटेगा. यह बीमारी दुनिया में हर 10 में से किसी एक महिला को होने की संभावना रहती है. इस बीमारी का सीधा संबंध महिलाओं के यूट्रेस (Uterus) यानी गर्भाशय से होता है. (फोटोः गेटी)
गर्भाशय के अंदर की दीवार पर ऊतकों (Tissue) की एक परत होती है. जो हर माहवारी के समय हट जाती है. यह परत गर्भाशय के बाहरी तरफ भी पनपने लगती है. तब ऐसी स्थिति में महिलाओं को भयानक दर्द का सामना करना पड़ता है. खासतौर से माहवारी के समय पीड़ा बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. जब ऊतकों की बाहरी परत टूटने लगती है, तब ये परत अंदरूनी अंगों के साथ चिपकती है. इसे हटाने का अब तक एक ही तरीका था, वो है सर्जरी. (फोटोः गेटी)
हार्मोनल ट्रीटमेंट यानी हार्मोन्स देकर इलाज करने पर एस्ट्रोजेन (Estrogen) कम हो जाता था, ताकि माहवारी का चक्र आगे-पीछे हो जाए. लेकिन इस तरीके में महीनों लगते थे और इसमें गलतियों की आशंका ज्यादा रहती थी. यानी साइड इफेक्ट्स ज्यादा हो सकते थे. जैसे- वजन का बढ़ना, मन स्थिर न रहना या फिर सिर दर्द. कुछ लोगों में हार्मोन थैरेपी से कोई फायदा नहीं होता था. (फोटोः गेटी)
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) पर रिसर्च करने वाली क्रिना जोंडेरवान ने कहा कि ये रिसर्च 1990 से चल रही है. तब वैज्ञानिक यह जानते थे कि जेनेटिक्स में इस बीमारी का इलाज संभव है. लेकिन यह नहीं जानते थे कि किस तरह के जीन से यह इलाज किया जा सकता है. स्टडी के दौरान कई ऐसे परिवारों को ट्रैक किया गया है, जहां पर एंडोमेट्रियोसिस बीमारी मौजूद थी. फिर हमें क्रोमोसोम 7 रीजन में खास तरह का जीन मिला. (फोटोः गेटी)
इसके बाद हमने 32 परिवारों की महिलाओं के DNA सैंपल लिए. इनमें से तीन महिलाओं को एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) की दिक्कत थी. हमने क्रोमोसोम 7 रीजन पर फोकस किया. स्टडी करने पर पता चला कि इनके शरीर में NPSR1 नामक जीन के कई वैरिएंट्स हैं. इससे पहले कभी भी इस जीन को एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) से जोड़ा नहीं गया था. जबकि यह अन्य इंफ्लामेट्री बीमारियों से संबंधित था, जैसे दमा और रियूमेटॉयड आर्थराइटिस. (फोटोः गेटी)
इसके बाद क्रिना जोंडेरवान ने लाल मुंह वाले बंदरों (Rhesus Macaques) पर रिसर्च शुरु की. उनमें भी एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) की शिकायत देखने को मिलती है. क्रिना की टीम ने 850 बंदरों का DNA सैंपल लिया. जिनमें से 135 को यह बीमारी थी. इनमें भी वही जीन वैरिएंट देखने को मिला. इसके बाद और स्टडी के लिए 3000 एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) मरीजों और 7000 अन्य सेहतमंद लोगों के डीएनए के सैंपलों की जांच की गई. तब भी इसी NPSR1 जीन की पुष्टि हुई. यह रिपोर्ट साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन में प्रकाशित हुई. (फोटोः गेटी)
क्रिना जोंडेरवान ने एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) के पीछे की वजह खोज ली थी. उन्होंने NPSR1 जीन को सक्रिय होने से रोकने के लिए जेनेटिक इंजीनियरिंग का तरीका निकाला. उनकी टीम ने SHA68R नाम के कण को NPSR1 जीन में इंजेक्ट किया ताकि उसे एनकोड किया जा सके. यह सारे प्रयोग मादा चूहे पर किए गए. जिन चूहों को SHA68R के तरल कण दिए गए थे, उन्हें एंडोमेट्रियोसिस की वजह से दर्द कम हुआ और सूजन भी कम हुई. (फोटोः गेटी)
चूहों की खासियत होती है कि जब उन्हें शरीर के पिछले हिस्से में दर्द होता है तो वो अपना वजन अगले हिस्से खिसकाते हैं. ऐसा ही अगले हिस्से में दर्द होने पर पिछले हिस्से में वजन सरका देते हैं. एमोरी यूनिवर्सिटी की एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) शोधकर्ता स्टेसी मैक्एलिस्टर ने कहा कि यह इलाज की बेहतरीन पद्धति है. उन्होंने कहा कि वो NPSR1 को टारगेट करने वाले कणों से संबंधित और सबूत देखना चाहती हैं. क्योंकि अगर यह तरीका सही होता है तो इससे हजारों-लाखों महिलाओं को बहुत ज्यादा फायदा होगा. (फोटोः गेटी)
हालांकि, क्रिना ने बताया कि हर एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) मरीज के शरीर में NPSR1 के वैरिएंट नहीं मिलते. इसलिए यह बीमारी अब तक रहस्य बनी हुई है. इसलिए इस पर काम करना बेहद मुश्किल हो रहा है. लेकिन हमें भरोसा है कि बाकी वैरिएंट्स के लिए भी इलाज का तरीका खोज निकालेंगे. एक वैरिएंट का तरीका तो निकाल ही लिया है. इससे कई महिलाओं को फायदा मिलेगा. (फोटोः गेटी)