ऑस्ट्रेलिया हर साल किसी ने किसी प्राकृतिक आपदाओं या खबरों से अपनी ओर ध्यान खींचता रहता है. इस बार उसके एक इलाके में सड़कों के किनारे, खेतों में, खुले मैदानों और झाड़ियों में मकड़ी के बड़े-बड़े जाले चर्चा का विषय बने हुए हैं. हुआ यूं कि ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया स्थित जिप्सलैंड और लॉन्गफोर्ड इलाके में बाढ़ के बाद चारों तरफ ये मकड़ियों के जाले बने हुए दिख रहे हैं. ऐसा लग रहा है जैसे बाढ़ के साथ ही मकड़ियों के जालों की सुनामी आई हो. आइए जानते हैं इस अजीब घटना के पीछे की वजह... (फोटोः रॉयटर्स)
हुआ यूं कि ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया में कुछ दिन पहले तेज बारिश हुई. इसके बाद जब बारिश बंद हुई तो एक से डेढ़ दिन में ही जिप्सलैंड (Gippsland) और लॉन्गफोर्ड (Longford) में मकड़ियों के जाले हर तरफ दिखने लगे. ये छोटी झाड़ियों, पौधों और सड़क के किनारे बहुत ज्यादा मात्रा और बड़े आकार में दिख रहे थे. अचानक इन इलाकों की मकड़ियों का क्या इंसानों पर गुस्सा आ गया, जो चारों तरफ जाल बना डाला. या फिर वे किसी चीज से खुद को बचाने की कोशिश कर रही थीं. (फोटोः रॉयटर्स)
जब कीट विज्ञानियों ने इसके बारे में पता किया तो जानकारी ये मिली की बारिश के बाद मकड़ियों का घर तबाह हो रहा था. उससे बचने के लिए ऊंचाई वाली झाड़ियों के ऊपर गईं. झाड़ियों के ऊपर ये तेजी से जाल बुनती हैं, ताकि वो बाढ़ और तेज बारिश से खुद को बचा सके. इस प्रक्रिया को बैलूनिंग (Ballooning) कहते हैं. अब समझते हैं इस पूरे प्रोसेस को...ताकि इस प्राकृतिक प्रक्रिया की वजह को बारीकी से जान सकें. (फोटोः रॉयटर्स)
विक्टोरिया इलाके में पिछले हफ्ते तेजी से बारिश हुई. तेज हवाएं चलीं. जिसकी वजह से काफी फ्लैश फ्लड आए और संपत्तियों को नुकसान पहुंचा. जमीन के अंदर रहने वाली लाखों मकड़ियां तेजी से ऊंचे पेड़ों की तरफ भागीं, ताकि खुद को बचा सकें. पेड़ों पर चढ़ने के दौरान इन्हें रास्ते में जितने छोटे पौधे और झाड़ियां मिलीं उनपर ये जाल बनाते चले गए. इन्हें गॉसमर शीट्स (Gossamer Sheets) कहते हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
जिप्सलैंड में एक किलोमीटर लंबा जाल देखने को मिला. वहीं सेल और लॉन्गफोर्ड इलाके में भी कई जगहों पर मकड़ियों के जाल बने हुए दिखे. सेल और लॉन्गफोर्ड के बीच की दूरी करीब 8 किलोमीटर है. आमतौर पर यह मकड़ियां इस तरह के जाल सर्दियों में बनाती हैं. यह इतनी पतली होती हैं कि कई बार तेज सर्द हवा के साथ ये 100 किलोमीटर दूर तक उड़ जाती हैं. बैलूनिंग प्रक्रिया से बने जाल इतने हल्के होते हैं कि ये हवाओं के साथ उड़ती हैं. एक जगह से दूसरी जगह जाकर अटक जाती हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
बैलूनिंग से बनी गॉसमर शीट्स यानी मकड़ियों के जाल पेड़ों के ऊपर, ऊंचीं घास पर, सड़क के किनारे बने साइन बोर्ड्स पर चिपक जाती हैं. क्योंकि जो मकड़ियां इन्हें बनाती हैं उन्हें वैगरेंट हंटर्स (Vagrant Hunters) कहते हैं. ये मकड़ियां कभी भी ऊंचाई वाली जगह पर जाल नहीं बनाती. हर जाल का एक धागा एक मकड़ी बनाती है, यानी लाखों मकड़ियां मिलकर पूरा एक जाल बुनती हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
इसलिए बारिश के बाद सड़कों पर, खेतों में, झाड़ियों के ऊपर और पेड़ों पर ऐसे बड़े-बड़े जाल दिखाई देते हैं. इनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. वैसे ये जाल इंसानों के लिए किसी भी तरह से खतरनाक नहीं होती. लेकिन कुछ मकड़ियों द्वारा बनाए गए जाल संभावित खतरा हो सकते हैं. साल 2000 से 2013 के बीच मकड़ियों के काटने से 12,600 लोग अस्पतालों में भर्ती हुए थे. (फोटोः गेटी)
इस साल ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी राज्यों में चूहों की बारिश भी हुई थी. जिसकी वजह से किसानों और स्थानीय लोगों को काफी ज्यादा नुकसान हुआ था. फसलें खराब हो गई थीं. इसे रोकने के लिए ऑस्ट्रेलिया की सरकार को मजबूरी में ब्रोमाडियोलोन (Bromadiolone) जहर का उपयोग करना पड़ा था. ऑस्ट्रेलिया में ऐसी घटनाएं अक्सर होती हैं. इससे पहले भी एक बुरा कदम ऑस्ट्रेलिया की सरकार को उठाना पड़ा था. (फोटोः गेटी)
पिछले साल जनवरी में दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में पांच दिनों तक 10 हजार ऊंटों को हेलिकॉप्टर से उड़ने वाले शिकारियों ने गोली मारी थी. क्योंकि ऊंटों की आबादी तेजी से बढ़ रही थी. यहां पर 10 लाख से ज्यादा ऊंट है. जिन्हें 19वीं सदी में भारत से ऑस्ट्रेलिया ले जाया गया था. कई बार ये ऊंट खाने-पीने की कमी की वजह से इंसानी इलाकों में घुसकर नुकसान पहुंचाने लगते हैं. इसलिए इन्हें मारा गया था. (फोटोः गेटी)
उससे पहले ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में आग लगी थी. जिसकी वजह से करोड़ों जीवों की मौत हो गई थी. कई प्रजातियां तो खत्म हो गईं. करोड़ों पेड़ जलकर खाक हो गए थे. कई दशकों में पहली बार ऐसी आग लगी थी. जिसकी वजह से कई तट और पर्यटन स्थल बंद थे. क्योंकि चारों तरफ धुआं और प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा था. (फोटोः गेटी)