इंडोनेशिया के ईस्ट नुसा तेंगारा प्रांत में माउंट लेवोटोबी लकी-लकी ज्वालामुखी फिर से फट गया है. यह ज्वालामुखी 10 किलोमीटर से ज्यादा ऊंची राख का गुबार छोड़ चुका है, जिसकी जानकारी वहां की ज्वालामुखी एजेंसी ने दी है. (Photo: Reuters)
पिछले कुछ महीनों में यह ज्वालामुखी कई बार फटा है. जुलाई की शुरुआत में इसका एक विस्फोट 18 km ऊंची राख छोड़कर बाली जैसे पर्यटन स्थल के लिए उड़ानों में रुकावट पैदा कर चुका है. (Photo: AFP)
माउंट लेवोटोबी लकी-लकी इंडोनेशिया के फ्लोरेस द्वीप पर स्थित एक ज्वालामुखी है. यह एक जुड़वां शिखर वाला ज्वालामुखी है, जिसमें लकी-लकी (पुरुष) और पेरेम्पुआन (महिला) नाम के दो हिस्से हैं. स्थानीय लोग इसे "पति-पत्नी" की तरह मानते हैं. (Photo: AFP)
लकी-लकी हिस्सा ज्यादा सक्रिय है, जो 1584 मीटर ऊंचा है, जबकि पेरेम्पुआन थोड़ा शांत और 1703 मीटर ऊंचा है. यह ज्वालामुखी प्रशांत "रिंग ऑफ फायर" (ज्वालामुखी और भूकंप वाला क्षेत्र) पर स्थित है, जहां बार-बार भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट होते हैं. (Photo: AFP)
1 अगस्त 2025 की रात 8:48 बजे स्थानीय समय पर यह ज्वालामुखी फटा. राख का गुबार 10 किलोमीटर से ज्यादा ऊंचा उठा. एजेंसी ने तस्वीरें शेयर कीं, जिसमें ज्वालामुखी से निकलती लावा की लाल चमक और बिजली की कौंध दिख रही थी. (Photo: AP)
इस साल जुलाई में एक बड़ा विस्फोट हुआ, जिसमें 18 किलोमीटर ऊंची राख निकली. इससे बालि की उड़ानों में देरी और रद्द हुए, क्योंकि राख हवाई जहाज के इंजन के लिए खतरनाक होती है.जून और जुलाई में भी कई छोटे-बड़े विस्फोट हुए, जिनसे आसपास के गांवों में राख और मलबा गिरा. (Photo: AP)
10-18 किलोमीटर ऊंची राख आसमान में फैलती है, जो उड़ानों को रद्द करवाती है. सांस लेने में दिक्कत पैदा करती है. गर्म गैस, पत्थर, और लावा गांवों तक पहुंच सकता है, जिससे जान-माल का नुकसान हो सकता है. नवंबर 2024 में एक विस्फोट में 9 लोगों की मौत हो गई थी. (Photo: AP)
इंडोनेशिया "रिंग ऑफ फायर" पर है, जहां टेक्टोनिक प्लेट्स आपस में टकराती हैं. इससे ज्वालामुखी और भूकंप आम बात है. माउंट लेवोटोबी लकी-लकी में पिछले कुछ सालों से गैस और मैग्मा (गर्म लावा) का दबाव बढ़ रहा है, जो विस्फोट का कारण बन रहा है. नवंबर 2024 से यह लगातार सक्रिय है. (Photo: Reuters)