दो साल की सुमैया अंसारी जो भारत के सबसे प्रदूषित शहर बर्निहाट (मेघालय का एक शहर) में रहती है, उसे सांस लेने में समस्या थी. अस्पताल में भर्ती कराया गया था. डॉक्टरों का कहना है कि शहर की प्रदूषित हवा के कारण लोगों को कई तरह की बीमारियां हो रही हैं. (सभी फोटोः रॉयटर्स)
बर्निहाट का वार्षिक औसत PM2.5 स्तर 2024 में 128.2 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था, जो WHO के सुझाव से 25 गुना अधिक है. PM2.5 छोटे कण होते हैं जो फेफड़ों में पहुंचकर गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं.
सुमैया के पिता अब्दुल हलीम ने कहा कि जब उनकी बेटी को सांस लेने में समस्या हुई तो वे बहुत डर गए थे. सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस क्षेत्र में श्वसन संक्रमण के मामले 2022 में 2082 से बढ़कर 2024 में 3681 हो गए हैं.
यह कस्बा Swiss Group IQAir की लिस्ट में प्रदूषण वाले शहरों में टॉप पर है. डॉक्टरों का कहना है कि 90% मरीज जो दैनिक आधार पर आते हैं उनमें खांसी या अन्य श्वसन समस्याएं होती हैं.
स्थानीय निवासियों का कहना है कि जहरीली हवा के कारण त्वचा पर चकत्ते और आंखों में जलन भी होती है. फसलें खराब होती हैं और कपड़े सुखाना मुश्किल हो जाता है.
बर्निहाट की स्थिति भारत के अन्य शहरों की तरह है, जहां तेजी से औद्योगिकीकरण के कारण पर्यावरण संरक्षण की अनदेखी हो रही है. बर्निहाट में वायु गुणवत्ता पूरे वर्ष खराब रहती है, जबकि अन्य शहरों में यह समस्या सर्दियों में ही होती है.
शहर में लगभग 80 उद्योग हैं, जिनमें से कई अत्यधिक प्रदूषणकारी हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि शहर की "बेसिन जैसी स्थलाकृति" के कारण प्रदूषक फैल नहीं पाते हैं. असम और मेघालय सरकारें अब एक संयुक्त समिति बनाकर प्रदूषण से निपटने के लिए साथ मिलकर काम करने पर सहमत हुई हैं.