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चीन के वाटर बम के जवाब में भारत का मेगा-डैम प्लान तैयार

आजतक साइंस डेस्क
  • नई दिल्ली,
  • 03 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 4:23 PM IST
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हिमालय की ऊंची-ऊंची चोटियों के बीच, जहां नदियां जीवन का आधार हैं, वहां एक नया विवाद खड़ा हो गया है. भारत सरकार एक विशालकाय डैम बनाने की योजना बना रही है, जो चीन के पानी के हथियार से बचाव के लिए है. लेकिन अरुणाचल प्रदेश के आदिवासी लोग इसे अपनी मौत का पैगाम मान रहे हैं. Photo: AFP

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ऊंचे पहाड़ों से घिरे एक फुटबॉल मैदान पर आदिवासियों ने जोरदार भाषण दिए और विरोध जताया. यह डैम भारत-चीन के पानी पर चल रहे झगड़े का नया मोड़ है. हिमालय दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला है, जहां से ब्रह्मपुत्र जैसी बड़ी नदियां निकलती हैं. ये नदियां भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को पानी, बिजली और खेती के लिए जीवन रेखा हैं. Photo: AFP

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चीन तिब्बत में ऊपरी हिस्से में एक रिकॉर्ड तोड़ने वाला डैम बना रहा है. भारत को डर है कि चीन इस डैम को हथियार की तरह इस्तेमाल कर सकता है. यानी, अचानक बहुत सारा पानी छोड़कर बाढ़ ला सकता है, जिसे वाटर बम कहा जा रहा है. इस वजह से भारत अब जवाबी कदम उठा रहा है. Photo: AFP

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सरकार अरुणाचल प्रदेश में एक मेगा-डैम बनाने की सोच रही है. यह डैम चीन के डैम के नीचे बनेगा और पानी को स्टोर करके बाढ़ से बचाव करेगा. एक वरिष्ठ इंजीनियर ने बताया (बिना नाम लिए, क्योंकि उन्हें बोलने की इजाजत नहीं) कि यह डैम मुख्य रूप से पानी की सुरक्षा और बाढ़ रोकने के लिए है.  Photo: AFP

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अगर चीन अचानक पानी छोड़े, तो हमारा डैम उसे सोख लेगा. बारिश के मौसम में डैम की ऊंचाई के सिर्फ दो-तिहाई तक पानी भरेगा, ताकि अतिरिक्त जगह बचे. यह प्रस्तावित डैम भारत का सबसे बड़ा होगा.  Photo: AFP

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ऊंचाई: 280 मीटर (लगभग 30 मंजिला इमारत जितनी). स्टोरेज क्षमता: 9.2 अरब क्यूबिक मीटर पानी, जो चार मिलियन ओलंपिक साइज स्विमिंग पूल के बराबर है. बिजली उत्पादन: 11,200 से 11,600 मेगावाट हाइड्रोपावर. यह भारत का सबसे ताकतवर डैम होगा. Photo: AFP

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यह प्रोजेक्ट नेशनल हाइड्रोपावर कॉर्पोरेशन (एनएचपीसी) को दिया गया है, जो केंद्र सरकार की कंपनी है. इंजीनियर ने कहा कि बिजली बनाना मुख्य लक्ष्य नहीं है, बल्कि पानी की सुरक्षा है. लेकिन स्थानीय लोग इससे खुश नहीं. अरुणाचल प्रदेश का यह इलाका आदि लोगों का घर है. Photo: AFP

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जामोह जैसे आदिवासी यहां रहते हैं, जो तिब्बत और म्यांमार से घिरे बर्फीले पहाड़ों के बीच बसावट रखते हैं.  उनकी जमीन हरी-भरी है, जहां संतरे और जैकफ्रूट के पेड़ लहलहाते हैं. सियांग नदी उनके लिए सिर्फ पानी का स्रोत नहीं, बल्कि पवित्र है. वे कहते हैं कि यह नदी हमारी संस्कृति और जीवन का हिस्सा है. डैम से सब डूब जाएगा. Photo: AFP

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प्रस्तावित साइट पर डैम बनने से एक विशाल जलाशय बनेगा, जो लाखों पेड़-पौधों और खेतों को डुबो देगा. आदिवासी लोग डरते हैं कि उनकी दुनिया खत्म हो जाएगी. फुटबॉल मैदान पर हुई सभा में उन्होंने कहा कि यह डैम हमारी मौत का फरमान है. हमारी जमीन, हमारा पानी, सब चला जाएगा. Photo: AFP

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भारत और चीन के बीच हिमालय का पानी लंबे समय से तनाव का कारण है. ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत से आती है और असम, बंगाल तक जाती है. चीन के डैम से भारत को डर है कि पानी की कमी या बाढ़ से करोड़ों लोग प्रभावित होंगे. भारत पहले से ही कई छोटे डैम बना चुका है, लेकिन यह मेगा-डैम सबसे बड़ा कदम होगा. Photo: AFP

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