पूरे कोरोनाकाल में फ्लू बीमारी बहुत तेजी से उभर कर अब तक नहीं आई. पर अब वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इस साल फ्लू सीजन काफी भारी पड़ सकता है. क्योंकि इसमें वो कहावत होती दिखाई देगी कि एक तो करेला ऊपर से नीम चढ़ा. अब दो नई स्टडी ऐसी आई हैं, जिसमें यह दावा किया जा रहा है कि इस साल सर्दियों और पतझड़ के मौसम में फ्लू तेजी से फैल सकता है. एक स्टडी में दावा किया गया है कि साल 2021-22 के फ्लू सीजन में दुनियाभर में 1 से 4 लाख लोग फ्लू की वजह से अस्पतालों में भर्ती हो सकते हैं. (फोटोः गेटी)
इस स्टडी के परिणाम प्री-प्रिंट डेटाबेस medrXiv पर प्रकाशित किए गए हैं. हालांकि इस स्टडी का अभी तक पीयर रिव्यू नहीं हुआ है. लेकिन स्टडी इस बात पर जोर डालती है कि इस साल फ्लू की वैक्सीन की जरूरत ज्यादा पड़ सकती है. दोनों ही स्टडीज में यह बात स्पष्ट तौर पर सामने आई है कि फ्लू के केस कम किए जा सकते हैं अगर 20 से 40 फीसदी फ्लू वैक्सीन की व्यवस्था की जाए. (फोटोः गेटी)
यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग ग्रैजुएट स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में स्थित पब्लिक हेल्थ डायनेमिक्स लेबोरेटरी के निदेशक और इन दोनों स्टडी के प्रमुख लेखक डॉ. मार्क रॉबर्ट्स ने अपने बयान में कहा कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को फ्लू की वैक्सीन देकर एक बड़ी मुसीबत को रोका जा सकता है. क्योंकि अगर किसी को फ्लू होता है तो उसे कोरोना की चपेट में आने में ज्यादा समय नहीं लगेगा. यह बेहद खतरनाक साबित हो सकता है. (फोटोः गेटी)
डॉ. मार्क ने कहा कि पिछली साल पूरी दुनिया में फ्लू के केस बहुत कम आए थे, क्योंकि लोग कोरोना से पीड़ित थे. इसकी वजह सोशल डिस्टेंसिंग, स्कूलों का बंद होना, मास्क पहनना और यात्राओं में कमी थी. साल 2020-21 के फ्लू सीजन में अमेरिका में फ्लू की वजह से 1 लाख में 4 लोग अस्पताल में भर्ती हुए थे. जबकि आम दिनों में यह दर 1 लाख में 70 का होता है. इसके अलावा फ्लू की वजह से होने वाली मौतों में 95 फीसदी की कमी आई थी. (फोटोः गेटी)
डॉ. मार्क रॉबर्ट्स कहते हैं कि इसका मतलब ये है कि अमेरिकी लोगों ने अगले फ्लू सीजन के लिए कोई तैयारी नहीं की है. क्योंकि पिछले सीजन में फ्लू को लेकर लोग ज्यादा चिंतित नहीं थे. पर इस बार दुनियाभर से कोविड-19 को लेकर लगाए गए प्रतिबंध हटाए जा रहे हैं. इसलिए फ्लू सीजन में दिक्कत बढ़ने की आशंका ज्यादा है. अमेरिका में तो वैसे भी फेफड़ों और सांस लेने से संबंधित मामले अब तेजी से बढ़ने लगे हैं. इनकी एक वजह रेस्पिरेटरी सिनसिटियल वायरस (RSV) है. (फोटोः गेटी)
दूसरी स्टडी जिसके नेतृत्वकर्ता है पिट पब्लिक हेल्थ के पोस्टडॉक्टोरल रिसर्चर क्यूइयून ली ने फ्लू सीजन के खतरे को मापने के लिए एक गणितीय मॉडल बनाया. इस मॉडल का नाम है सक्सेप्टिबल-एक्सपोस्ड-इन्फेक्टेड-रिकवर्ड (SEIR) मॉडल. उन्होंने इंफ्लुएंजा महामारियों का जनता की फ्लू के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता पर सिमुलेशन किया. इन्होंने 2009 से 2020 तक के आंकड़ों को इस मॉडल पर डालकर उसकी गणना की. (फोटोः गेटी)
ली की स्टडी में यह बात सामने आई कि साल 2020-21 में जितने केस आए थे, वो साल 2021-22 में 6.10 लाख केस हो सकते हैं. यानी 1.02 लाख केस ज्यादा. यानी इतने ज्यादा लोग अस्पतालों की ओर भागेंगे. अगर स्थिति ज्यादा बुरी होती है तो यानी फ्लू के स्ट्रेन बढ़े और वैक्सीनेशन का स्तर कम हुआ तो 4.09 लाख लोग अस्पतालों में भर्ती हो सकते हैं. बेहद गंभीर स्थिति में फ्लू के मामले 9 लाख तक जा सकते हैं. जो कि दुनिया के लिए खतरनाक साबित होगा. (फोटोः गेटी)
हालांकि, ली ने कहा है कि इस चीज को वैक्सीनेशन करके रोका जा सकता है. अगर 20 से 40 फीसदी लोगों को वैक्सीनेट किया जाए तो फ्लू को 50 से 75 फीसदी रोका जा सकता है. साइंटिस्ट मैरी क्रॉलैंड ने कहा कि साल 2021-22 में फ्लू के मामलों में 20 फीसदी इजाफे की आशंका है सामान्य परिस्थितियों में. बच्चों और किशोरों को फ्लू से बचाना जरूरी है क्योंकि ये सबसे पहले इसके शिकार बनते हैं. क्योंकि पिछले दो सालों में फ्लू के मामले कोरोना की वजह से कम हुए लेकिन अब स्थितियां बदल रही है. (फोटोः गेटी)
मैरी क्रॉलैंड ने कहा कि अगर फ्लू के वैक्सीनेशन की दर 10 फीसदी बढ़ा दी जाए तो इससे 6 से 46 फीसदी फ्लू के मामलों में कमी आएगी. इससे फ्लू के संक्रमण और फैलाव की दर घट जाएगी. डॉक्टरों और अस्पतालों को इलाज करने का मौका मिल जाएगा. लेकिन तैयारी अभी से करनी होगी. क्योंकि सर्दियां नजदीक है. ऐसे में फ्लू ओर कोरोनावायरस दोनों ही एकसाथ फैलने लगे तो खतरा और ज्यादा हो जाएगा. (फोटोः गेटी)
अगर फ्लू और कोरोना एकसाथ फैले तो इसे 'ट्विनडेमिक' (Twindemic) यानी दो महामारियां या जुड़वा महामारियां एक साथ फैलेंगी. डॉ. मार्क ने कहा कि पिछले साल कोरोना की वजह से अस्पतालों में नियम कायदे बदले गए थे. लोग कोरोना की वजह से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे थे. मास्क लगा रहे थे. यात्राएं नहीं कर रहे थे. ऐसे फ्लू के फैलने की आशंका खत्म हो गई थी. लेकिन इस बार ऐसा नहीं है. किसी भी देश में अगर फ्लू फैला तो उसके लिए मुसीबत दोगुनी हो जाएगी. (फोटोः गेटी)