अभी आपका पूरा एक दिन करीब 24 घंटे का होता है. 12 घंटे रोशनी के और 12 घंटे अंधेरे के. लेकिन हमेशा ऐसा नहीं था. पृथ्वी का एक दिन सिर्फ 19.5 घंटे का था. ये खुलासा किया है कनाडा के टोरंटो यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोफिजिसिस्ट हान्बो वू और नॉर्मन मुरे ने. (सभी फोटोः NASA/Getty)
हान्बो और नॉर्मन का कहना है कि 200 करोड़ से 60 करोड़ साल के बीच धरती का एक दिन 19.5 घंटे का था. लेकिन अब इसके पीछे की वजह मिल गई है. दोनों वैज्ञानिकों ने बताया कि जब तक चंद्रमा नहीं आया था, तब सूरज का पृथ्वी पर असर ज्यादा था. चंद्रमा के बनने के बाद ये कम हुआ.
अगर चंद्रमा आज नहीं होता तो पृथ्वी का एक दिन करीब 60 घंटे का होता. वो भी क्लाइमेट चेंज की वजह से. चलिए पहले चांद की तरफ चलते हैं. चंद्रमा 450 करोड़ साल पहले बना था. धरती का एक दिन उसकी धुरी पर घूमने की गति से तय होता है.
भूगर्भीय रिकॉर्ड्स बताते हैं कि दिन का समय धीरे-धीरे बढ़ा है. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि चंद्रमा हर साल 3.78 सेंटीमीटर खिसक रहा है. चंद्रमा की ग्रैविटी की वजह से धरती के सभी समुद्रों का बहाव तय होता है. चंद्रमा के खिंचाव की वजह से धरती के घूमने की गति धीमी होती है.
ये ठीक वैसा ही है जैसे तेजी से घूमती कोई स्केटर अपनी गति को कम करने के लिए अपनी बांहें फैलाती है. चंद्रमा हर दिन करीब 1.7 मिलिसेकेंड्स की कमी धरती के घुमाव में लाता है. लेकिन सिर्फ पानी ही इकलौता तरल पदार्थ नहीं है, जो ये असर धरती के लिए पैदा करता है. गैस भी तरल है. धरती पर बहुत ज्यादा है.
सूरज की रोशनी की वजह से वायुमंडल में खिंचाव पैदा होता है. ये ठीक वैसा ही है जैसा समुद्र में पैदा होता है. इससे धरती के घूमने की गति को बढ़ावा मिलता है. जबकि चंद्रमा के खिंचाव की वजह से धरती का घूमना धीमा हो जाता है. इसी वजह से धरती के घूमने की गति का संतुलन बना रहता है. लेकिन चांद का खिंचाव ज्यादा ताकतवर है.
चांद के ताकतवर खिंचाव की वजह से धरती के घूमने की गति धीमी होती है. भविष्य में अगर सूरज या चंद्रमा में से किसी का भी खिंचाव बढ़ेगा तो धरती के घूमने की गति तेज या बेहद धीमी हो सकती है. यह स्टडी हाल ही में साइंस एडवांसेस में प्रकाशित हुई है.