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साइंस न्यूज़

चीन ने मंगल ग्रह पर उतारा रोवर, US के बाद ऐसा करने वाला दूसरा देश बना

aajtak.in
  • बीजिंग,
  • 15 मई 2021,
  • अपडेटेड 2:07 PM IST
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चीन ने सफलतापूर्वक मंगल ग्रह पर अपना रोवर उतार लिया है. इसी के साथ चीन अमेरिका के बाद यह कीर्तिमान बनाने वाला दूसरा देश बन गया है. चीन ने साल 2020 के जुलाई महीने में तियानवेन-1 मिशन मंगल की तरफ भेजा था. जो 15 मई 2021 की अलसुबह करीब पांच बजे के आसापास मंगल की सतह पर उतरा है. ऐसा नहीं है कि चीन का यह रोवर धरती से उड़ा और सीधे मंगल ग्रह की सतह पर उतरा है. लाल ग्रह की सतह पर उतरने से पहले तियानवेन-1 ने तीन महीने मंगल ग्रह का चक्कर लगाया है. (फोटोःगेटी)
 

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इसके बाद तियानवेन-1 लैंडर अपने साथ झुरोंग रोवर को लेकर सतह की ओर बढ़ा. ये दोनों अपने ऑर्बिटर से अलग हुए. जैसे ही ये मंगल ग्रह के वायुमंडल में आए...इनका भी 'डर का सात मिनट' शुरु हो गया. लेकिन चीन के डर का समय 9 मिनट का था. इसके बाद झुरोंग मंगल ग्रह के यूटोपिया प्लैनिशिया इलाके में उतरा है. यह मंगल ग्रह के उत्तरी गोलार्ध में उल्कापिंड के टकराने से बनी घाटी में स्थित है. (फोटोःसीएनएसए)

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तियानवेन-1 ने लैंडिंग से पहले अपने छोटे लैंडिंग रॉकेट्स ऑन किए. इनकी वजह से तियानवेन की गति कम हो गई और कुछ ही सेकेंड्स में वो धीरे-धीरे करके लाल ग्रह की सतह पर उतरा. चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (CNSA) ने शुरुआत में अपनी लैंडिंग की सफलता की खबर आधिकारिक रूप से नहीं बताई थी. इसकी जानकारी चीन की सरकारी मीडिया CGTN ने दी. इसके अलावा मकाउ यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इन चाइना ने इसकी जानकारी दी. (फोटोःसीएनएसए)

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चीन झुरोंग (Zhurong) नाम अपने आग के देवता के नाम पर दिया है. तियानवेन लैंडर पर एक रैंप बना है, जिसके जरिए रोवर नीचे उतरेगा. ये माना जा रहा है कि रोवर को मंगल ग्रह पर 90 दिन बिताने हैं. जो धरती के 93 दिनों के बराबर होते हैं. मंगल ग्रह पर दिन धरती के दिन से 40 मिनट लंबा होता है. (फोटोःगेटी)

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मंगल पर उतरने से पहले तियानवेन के ऑर्बिटर लाल ग्रह की मिट्टी के मिश्रण और बर्फ आदि की खोज की है. माना जाता है कि यूटोपिया प्लैनेशिया में बर्फीले पानी की मात्रा बहुत ज्यादा है. क्योंकि यहां मिट्टी के नीचे बर्फ की चादरें हो सकती हैं. नासा का वाइकिंग-2 भी साल 1976 में इसी जगह पर उतरा था. (फोटोःगेटी)

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झुरोंग (Zhurong) एक छह पहिये वाला रोवर है. यह नासा के मार्स रोवर स्पिरिट और ऑप्च्यूनिटी के बराबर ही है. इसपर छह साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट्स लगे हैं. जिसमें दो पैनोरोमिक कैमरा, ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार और मैग्नेटिक फील्ड डिटेक्टर है. इसमें एक लेजर भी है जो पत्थरों को तोड़ सकता है, ताकि उनके कंपोजिशन का अध्ययन किया जा सके. (फोटोःसीएनएसए)

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झुरोंग लाल ग्रह पर जमीनी अध्ययन करेगा वहीं ऑर्बिटर उसके चारों तरफ चक्कर लगाता रहेगा. ऑर्बिटर को 687 दिन चक्कर लगाने का मिशन दिया गया है. जबकि लैंडर झुरोंग और ऑर्बिटर के बीच संपर्क स्थापित करेगा. वहीं, ऑर्बिटर के जरिए धरती से भी संपर्क साधा जाएगा. (फोटोःगेटी)

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तियानवेन-1 चीन का पहला मंगल पर लैंड होने वाला मिशन है. चीन ने अपना पहला मंगल मिशन 2011 में लॉन्च किया था. इसका नाम था यिंगहुओ-1 यह रूस के फोबोस ग्रंट मार्स सैंपल रिटर्न मिशन के साथ भेजा गया था. लेकिन ये विफल हो गया था. यह सीधे प्रशांत महासागर में गिरा था. इसमें स्पेसक्राफ्ट खत्म हो गया था. (फोटोःसीएनएसए)

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चीन और अमेरिका के अलावा सोवियत यूनियन ही ऐसा देश था जिसने मार्स पर लैंडर भेजा था, लेकिन वह असफल था. लैंडिंग से कुछ मिनट पहले ही स्पेसक्राफ्ट फेल हो गया था. यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने मंगल ग्रह पर दो बार लैंडिंग का प्रयास किया है. लेकिन दोनों स्पेसक्राफ्ट मंगल ग्रह पर क्रैश हो गए. (फोटोःगेटी)

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