Vat Savitri Vrat 2025: वट सावित्री व्रत पर आज महिलाएं करें ये खास उपाय, दांपत्य जीवन और भी होगा मजबूत

Vat Savitri Vrat 2025: वट सावित्री व्रत 26 मई यानी आज रखा जा रहा है. इस त्योहार के साथ सत्यावान-सावित्री की कथा जुड़ी है, जिसमें सावित्री ने अपने संकल्प और श्रद्धा से यमराज से सत्यवान के प्राण वापिस ले लिए थे. हिंदू परंपरा में स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए व्रत रखती हैं.

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वट सावित्री व्रत के उपाय वट सावित्री व्रत के उपाय

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 मई 2025,
  • अपडेटेड 9:32 AM IST

Vat Savitri Vrat 2025: हिंदू परंपरा में स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए व्रत रखती हैं. वट सावित्री व्रत भी सौभाग्य प्राप्ति के लिए एक बड़ा व्रत माना जाता है. ये ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को मनाया जाता है. वट सावित्री व्रत 26 मई यानी आज रखा जा रहा है. इस त्योहार के साथ सत्यावान-सावित्री की कथा जुड़ी है, जिसमें सावित्री ने अपने संकल्प और श्रद्धा से यमराज से सत्यवान के प्राण वापिस ले लिए थे.

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मान्यताओं के अनुसार, महिलाएं भी इस दिन संकल्प के साथ अपने पति की आयु रक्षा के लिए व्रत रखती हैं. इस व्रत को करने से सुखद, संपन्न दांपत्य का वरदान मिलता है. वट सावित्री का व्रत संपूर्ण परिवार को एक सूत्र में बांधे भी रखता है. ज्योतिषियों के अनुसार, वट सावित्री व्रत के दिन कुछ उपायों को करना बहुत ही शुभ माना जाता है. 

वट सावित्री व्रत उपाय

1. इस दिन वट वृक्ष (बरगद के पेड़) की पूजा के समय भिगोया हुआ काला चना, गेहूं, केले, मौसमी फल और लाल रंग का कपड़ा चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है. ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है. 

2. वट सावित्री के दिन सुबह की पूजा के दौरान या सूर्यास्त के बाद बरगद के पेड़ के नीचे शुद्ध घी का दीपक जलाएं. सा करने से देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है. 

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3. पूजा पूरी हो जाने के बाद अन्य विवाहित महिलाओं को मेहंदी, लाल चूड़ियां, सिंदूर और कुमकुम वितरित करें. ऐसा करने से शुक्र ग्रह मजबूत होता है. 

4. इस दिन वट वृक्ष को लाल गुड़हल और लाल गुलाब के फूल जरूर चढ़ाएं, ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है. इस एक उपाय को करने से वैवाहिक जीवन में शांति बनी रहती है. 

वट सावित्री पूजा मंत्र

अवैधव्यं च सौभाग्यं देहि त्वं मम सुव्रते।
पुत्रं पौत्रंश्च सौख्यं च गृहणाय नमोस्तुते।।

यथा शाखप्रशाखाभिर्वृद्धोसि त्वं महितले।
तथा पुत्रैश्च पौत्रैश्च सम्पूर्णं कुरु मा सदा।।

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