धन-समृद्धि के लिए किया जाता है वरलक्ष्मी का व्रत, जानिए इसका महत्व

Varalaxmi Vrat 2020: माता वरलक्ष्मी को महालक्ष्मी का अवतार माना जाता हैं. ये व्रत विवाहित स्त्रियां घर की सुख-समृद्धि के लिए करती हैं लेकिन अगर पति-पत्नी साथ में इस व्रत को रखें तो इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है.

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Varalaxmi Vrat 2020:दरिद्रता दूर करती हैं मां वरलक्ष्मी Varalaxmi Vrat 2020:दरिद्रता दूर करती हैं मां वरलक्ष्मी

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 31 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 12:09 PM IST

Varalaxmi Vrat 2020: श्रावण मास की पूर्णिमा यानी रक्षा बंधन से ठीक पहले वाले शुक्रवार को वरलक्ष्मी व्रत रखा जाता है. इस व्रत को अष्ट लक्ष्मी की पूजा के समान माना जाता है. इस व्रत की दक्षिण भारत में अधिक मान्यता है. माना जाता है कि इस व्रत को रखने से घर की दरिद्रता समाप्त हो जाती है और अखंड लक्ष्मी प्राप्त होती है. इस व्रत को करने से परिवार में सुख-संपत्ति बनी रहती है. वरलक्ष्मी व्रत 31 जुलाई यानी आज मनाया जा रहा है.

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वरलक्ष्मी व्रत का महत्व

माता वरलक्ष्मी को महालक्ष्मी का अवतार माना जाता हैं. माता वरलक्ष्मी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करती हैं, इसलिए उनका नाम वर और लक्ष्मी के मेल से वरलक्ष्मी पड़ा है. मान्यता है इस व्रत को रखने से धन संबंधी सारी दिक्कतें दूर हो जाती हैं और घर में धन-समृद्धि आती है. ये व्रत खासतौर से विवाहित स्त्रियां ही रखती हैं. मान्यता है कि ये व्रत करने से संतान सुख की भी प्राप्ति होती है.

मान्यता है कि इस व्रत को रखने से अष्टलक्ष्मी पूजन जितना फल मिलता है. वैसे तो ये व्रत विवाहित महिलाएं ही रखती हैं लेकिन अगर इस व्रत को पति-पत्नी साथ में रखते हैं तो इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है.

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वरलक्ष्मी व्रत से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

- इस व्रत में श्री सूक्त का पाठ करना जरूरी होता है. ऐसा करना बेहद फलदायी माना जाता है.

- इस पूजा में माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर के सामने चौबीस घंटे घी का अखंड ज्योति जलाएं.

- इस दिन श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ भी करना चाहिए.

- संतान प्राप्ति की चाह रखने वाले दंपति को इस दिन गोपाल और हरिवंश पुराण की पूजा करनी चाहिए.

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