Bajrang Baan: मंगलवार-शनिवार के दिन पढ़ें शक्तिशाली बजरंग बाण, बनी रहेगी हनुमान जी की कृपा

Bajrang Baan: मंगलवार और शनिवार का दिन हनुमानजी के भक्तों के लिए बहुत ही खास माना जाता है. इस दिन हनुमान जी की आरती के साथ बजरंग बाण का पाठ करना भी शुभ माना जाता है. कहते हैं कि बजरंग बाण का पाठ करने से बजरंगबली की कृपा बनी रहती है और सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.

Advertisement
बजरंग बाण बजरंग बाण

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 1:27 PM IST

Bajrang Baan: सनातन धर्म में हनुमान जी को सबसे बलशाली और बुद्धिमान देवता के रूप में पूजा जाता है. हनुमान जी की पूजा अर्चना जीवन में व्याप्त दुखों से मुक्ति पाने के लिए करते हैं. ऐसा कहते हैं कि हनुमान जी की पूजा के दौरान बजरंग बाण के पाठ का विशेष महत्व बताया गया है. तो आइए सुनते हैं बजरंग बाण. 

Advertisement

दोहा 

निश्चय प्रेम प्रतीत ते, विनय करें सनमान ॥ 
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान ॥

चौपाई

जय हनुमंत संत हितकारी ॥ 
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ॥1॥ 

जन के काज विलम्ब न कीजै ॥ 
आतुर दौरि महा सुख दीजै ॥2॥ 

जैसे कूदि सुन्धु वहि पारा ॥ 
सुरसा बद पैठि विस्तारा ॥3॥ 

आगे जाई लंकिनी रोका ॥ 
मारेहु लात गई सुर लोका ॥4॥ 

जाय विभीषण को सुख दीन्हा ॥ 
सीता निरखि परम पद लीन्हा ॥5॥ 

बाग उजारी सिंधु महं बोरा ॥ 
अति आतुर जमकातर तोरा ॥6॥

अक्षय कुमार मारि संहारा ॥ 
लूम लपेट लंक को जारा ॥7॥ 

लाह समान लंक जरि गई ॥ 
जय जय धुनि सुरपुर में भई ॥8॥ 

अब विलम्ब केहि कारण स्वामी ॥ 
कृपा करहु उन अन्तर्यामी ॥9॥ 

जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता ॥ 
आतुर होय दुख हरहु निपाता ॥10॥ 

Advertisement

जै गिरिधर जै जै सुखसागर ॥ 
सुर समूह समरथ भटनागर ॥11॥ 

जय हनु हनु हनुमंत हठीले ॥ 
बैरिहि मारु बज्र की कीले ॥12॥ 

गदा बज्र लै बैरिहिं मारो ॥ 
महाराज प्रभु दास उबारो ॥13॥ 

ऊं कार हुंकार महाप्रभु धावो ॥ 
बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो ॥14॥ 

ऊं ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा ॥ 
ऊं हुं हुं हनु अरि उर शीशा ॥15॥ 

सत्य होहु हरि शपथ पाय के ॥ 
रामदूत धरु मारु जाय के ॥16॥ 

जय जय जय हनुमंत अगाधा ॥ 
दुःख पावत जन केहि अपराधा ॥17॥ 

पूजा जप तप नेम अचारा ॥ 
नहिं जानत हौं दास तुम्हारा ॥18॥ 

वन उपवन, मग गिरि गृह माहीं ॥ 
तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ॥19॥ 

पांय परों कर जोरि मनावौं ॥ 
यहि अवसर अब केहि गोहरावौं ॥20॥ 

जय अंजनि कुमार बलवन्ता ॥ 
शंकर सुवन वीर हनुमंता ॥21॥ 

बदन कराल काल कुल घालक ॥ 
राम सहाय सदा प्रति पालक ॥22॥ 

भूत प्रेत पिशाच निशाचर ॥ 
अग्नि बेताल काल मारी मर ॥23॥

इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की ॥ 
राखु नाथ मरजाद नाम की ॥24॥ 

जनकसुता हरि दास कहावौ ॥ 
ताकी शपथ विलम्ब न लावो ॥25॥ 

जय जय जय धुनि होत अकाशा ॥ 
सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा ॥26॥ 

चरण शरण कर जोरि मनावौ ॥ 
यहि अवसर अब केहि गौहरावौं ॥27॥ 

Advertisement

उठु उठु उठु चलु राम दुहाई ॥ 
पांय परों कर ज़ोरि मनाई ॥28॥ 

ऊं चं चं चं चं चपल चलंता ॥ 
ऊं हनु हनु हनु हनु हनुमंता ॥29॥ 

ऊं हं हं हांक देत कपि चंचल ॥ 
ऊं सं सं सहमि पराने खल दल ॥30॥ 

अपने जन को तुरत उबारो ॥ 
सुमिरत होय आनन्द हमारो ॥31॥ 

यह बजरंग बाण जेहि मारै ॥ 
ताहि कहो फिर कौन उबारै ॥32॥ 

पाठ करै बजरंग बाण की ॥ 
हनुमत रक्षा करैं प्राण की ॥33॥ 

यह बजरंग बाण जो जापै ॥ 
ताते भूत प्रेत सब कांपै ॥34॥ 

धूप देय अरु जपै हमेशा ॥ 
ताके तन नहिं रहै कलेशा ॥35॥ 

दोहा 

प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान ॥ 
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान ॥

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement