शिवरात्रि: 'शक्ति' के बिना अधूरे हैं 'शिव', करें साथ पूजन

देवों के देव महादेव अर्द्धनारेश्‍वर के रूप में भी पूजे जाते हैं. कहा जाता है उनके इस रूप के पूजन का विशेष महत्‍व है. अगर शिव-पार्वती का साथ पूजन कर लिया जाए, तो कहने ही क्‍या. जानिए इसके महत्‍व के बारे में...

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ऐसे करें शिव पूजा ऐसे करें शिव पूजा

शिवरात्रि को शिव-पार्वती के विवाह की रात्रि माना जाता है. इसलिए इस दिन इन दोनों की साथ पूजा करने का विशेष महत्‍व बताया गया है. ज्‍योतिषी प्रवीण मिश्र कहते हैं कि शक्ति का हर रूप शिव के साथ निहित है, इसलिए महाशिवरात्रि पर इन दोनों की साथ आराधना करनी चाहिए.

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शिव और शक्ति के पूजन से धन-धान्‍य, सुख-समृद्धि का वरदान मिलता है. पौराणिक कथा यह भी है कि एक बार पार्वती जी ने भगवान शंकर से पूछा था, 'ऐसा कौन-सा व्रत है, जिससे मृत्युलोक के प्राणी आपकी कृपा सहज प्राप्त कर लेते हैं?' उत्तर में शिवजी ने पार्वती को 'शिवरात्रि' के व्रत का उपाय बताया था. इसलिए इस दिन पूजा करने से भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्‍त होती है.

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माना जाता है कि इस दिन शिवपुराण का पाठ सुनना चाहिए. साथ ही, शिव पूजन के समय मां पार्वती का भी पूजन अवश्‍य करना चाहिए.

ये होते हैं लाभ
- चूंकि शिवरात्रि, शिव-शक्ति के विवाह की रात है इसलिए दोनों का साथ पूजन हर तरह के सुख-सुविधाएं-संपत्ति प्रदान करता है.

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- माता पार्वती के साथ सभी गणों और नंदी से घिरे भगवान शिव की पूजा करने से मान-सम्मान मिलता है.

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- सिर पर चंद्रमा और जटा पर गंगा धारण किए भगवान शिव की गोद में मां पार्वती और साथ में कार्तिकेय-गणेश की पूजा करने से सभी झगड़े खत्म होते हैं और घर में सुख-शांति आती है.

- भगवान शिव के अर्द्धनारीश्वर रूप की महिमा भी कम नहीं है. इसकी पूजा करने से पत्नी सुख प्राप्‍त होता है और वैवाहिक जीवन सुखी रहता है.

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- भगवान शिव-पार्वती के साथ कार्तिकेय का पूजन करने से सभी इच्‍छाएं पूरी होती हैं.

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