जानें, राहु के अलग-अलग भाव के प्रभाव क्या हैं?

राहु की गणना सूर्य और चन्द्र के आधार पर की जाती है. अगर सूर्य प्राण है तो चन्द्रमा मन है, राहु इसी मन और प्राण का रहस्य है. राहु का सहयोगी केतु मुक्ति और मोक्ष का द्वार खोल सकता है.

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राहु का प्रभाव राहु का प्रभाव

प्रज्ञा बाजपेयी

  • नई दिल्ली,
  • 30 मई 2018,
  • अपडेटेड 3:26 PM IST

राहु की गणना सूर्य और चन्द्र के आधार पर की जाती है. अगर सूर्य प्राण है तो चन्द्रमा मन है, राहु इसी मन और प्राण का रहस्य है. राहु का सहयोगी केतु मुक्ति और मोक्ष का द्वार खोल सकता है. यह जीवन के तमाम ज्ञात अज्ञात रहस्यों को खोल सकता है अतः इसे रहस्यमयी ग्रह भी कहते हैं. पूर्वजन्म से किस तरह के कर्म और संस्कार आप लेकर आये हैं और जीवन पर उसका क्या प्रभाव होगा, यह बात कुंडली मैं राहु के अध्ययन से जानी जा सकती है. राहु का पूर्वजन्म और वर्तमान जन्म का सम्बन्ध समझकर ही आप अज्ञात बाधाओं से मुक्ति पा सकते हैं.

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राहु के अलग-अलग भाव के प्रभाव क्या हैं?

- अगर राहु कुंडली के प्रथम भाव में हो तो व्यक्ति पारिवारिक जीवन की समस्याओं का सामनाकरना पड़ता है, क्योंकि उसने अपने पारिवरिक जीवन की कीमत नहीं समझी है.

- अगर राहु कुंडली के द्वितीय भाव में हो तो व्यक्ति भयग्रस्त होता है,क्योंकि उसने पहले अपनी शक्तियों का दुरूपयोग किया है.

- अगर राहु तृतीय भाव में हो तो व्यक्ति दुस्साहसी होता है , और इसी कारण से कभी कभी भीषण दुर्घटनाओं का शिकार भी होता है.

- अगर राहु चतुर्थ भाव में हो तो व्यक्ति को कभी सुख नहीं मिलता क्योंकि पहले उसने केवल लोगों को दुःख ही दिया है.

- अगर राहु पंचम भाव में हो तो संतान होने में या संतान की तरफ से पीड़ा होती है क्योंकि पहले उसने माता-पिता का सम्मान नहीं किया.

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- छठे भाव का राहु व्यक्ति को खूब सम्पन्न बनता है क्योंकि व्यक्ति ने पूर्व जन्म में काफी धर्म कार्य और दान किया है.

- अगर राहु सप्तम भाव में हो तो व्यक्ति को जीवन में काफी उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ता है , क्योंकि उसने पूर्व जन्म में धन और संपत्ति की कीमत नहीं समझी थी.

- अगर राहु अष्टम भाव में हो तो व्यक्ति किसी विशेष उद्देश्य के लिए जन्म लेता है , जो पूर्वजन्म से बाकी है. आमतौर पर ऐसे लोगों का जन्म और मृत्यु आकस्मिक ही हो जाता है.

- अगर राहु नवम भाव में हो तो व्यक्ति धर्म भ्रष्ट होता है,भाग्य साथ नहीं देता क्योंकि पहले उसने धर्म का पालन नहीं किया और समाज के लिए समस्याएँ पैदा की हैं.

- दशम भाव का राहु व्यक्ति को ऊंचाई पर पहुचता है परन्तु पारिवारिक सुख नहीं देता क्योंकि इन्होने केवल पद प्रतिष्ठा की कामना की होती है , अन्य  किसी भी चीज़ की नहीं.

- एकादश भाव का राहु व्यक्ति को वैराग्य की और ले जाता है , और आम तौर पर ये दुनिया का कष्ट उठाने का संकल्प लिया हुआ होता है.

- द्वादश भाव का राहु व्यक्ति को दुर्गुण तथा कुमार्ग पर ले जाता है , और ये संस्कार पूर्व जन्म से चले आते हैं.

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अगर राहु के कारण पूर्वजन्मों की छाया इस जन्म पर हो तो क्या उपाय करें?

- घर में कूड़ा-कबाड़ इकट्ठा न करें.

- ऐसे घर मैं रहने का प्रयत्न करैं जहाँ सूर्य की पर्याप्त रौशनी आती हो.

- नित्य प्रातः जल में गो मूत्र डालकर स्नान करें.

- सुबह ब्रश करने के बाद तुलसी के दो पत्ते खाएं.

- चन्दन की सुगंध का नियमित प्रयोग करें.

- रोज शाम को राहु के मंत्र का 108 बार जप करें    

- पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन निर्धनों को दोपहर के समय भोजन कराएँ.

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