ईद: मुस्लिम-यहूदियों के लिए क्यों खास है अल अक्सा मस्जिद, जानें क्यों है विवाद

अल अक्सा को यूनेस्को ने अपनी विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल किया हुआ है जो कि यह तीनों अब्राहमिक धर्मों के लिए महत्वपूर्ण है.

Advertisement
 35 एकड़ में चांदी के गुंबद वाली इस मस्जिद को अल-हरम अल-शरीफ भी कहा जाता है. 35 एकड़ में चांदी के गुंबद वाली इस मस्जिद को अल-हरम अल-शरीफ भी कहा जाता है.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 मई 2020,
  • अपडेटेड 4:04 PM IST

इजरायल की राजधानी येरुसलम में बनी अल अक्सा मस्जिद दुनिया के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में शुमार है. यह मस्जिद फिलिस्तीन और इजरायल के बीच लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष को बयां करती है. 35 एकड़ में चांदी के गुंबद वाली इस मस्जिद को अल-हरम अल-शरीफ भी कहा जाता है.

अल अक्सा को यूनेस्को ने अपनी विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल किया हुआ है जो कि तीन अब्राहमिक धर्मों के लिए महत्वपूर्ण है. यह प्राचीन शहर यहूदी, ईसाई और मुसलमानों का संगम स्थल है. पिछले सैकड़ों सालों से यह जगह विवाद का केंद्र बनी हुई है.

Advertisement

1947 में संयुक्त राष्ट्र ने ब्रिटिश काल के दौरान प्राचीन फिलिस्तीन को दो हिस्सों में विभाजित किया था. इस तरह 55 प्रतिशत हिस्सा यहूदियों को मिला और बाकी 45 प्रतिशत जमीन फिलिस्तीनियों के हिस्से में आई. इसके बाद अल अक्सा मस्जिद मुस्लिमों के लिए तीसरा सबसे बड़ा धार्मिक स्थल बन गया. इसके पास ही 'डोम ऑफ द रॉक' भी है, जिसे सातवीं शताब्दी में मोहम्मद साहब के स्वर्ग जाने से जोड़कर देखा जाता है.

1967 में इजरायल के वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी समेत पूर्वी जेरुसलम पर कब्जा करने के बाद से इस जमीन को लेकर विवाद और बढ़ गया. बाद में, जॉर्डन और इजरायल के बीच इस बात पर सहमति बनी कि इस्लामिक ट्रस्ट वक्फ का कंपाउंड के भीतर के मामलों पर नियंत्रण रहेगा जबकि बाहरी सुरक्षा इजरायल संभालेगा. इसके साथ गैर-मुस्लिमों को मस्जिद परिसर में आने की इजाजत होगी लेकिन उनको प्रार्थना करने का अधिकार नहीं होगा. यथास्थिति बनाए रखने के वादे के बावजूद, पिछले कुछ सालों में यहूदियों ने मस्जिद में घुसकर प्रार्थना करने की कोशिश की जिससे तनाव की स्थिति भी बनी.

Advertisement

पढ़ें: ये हैं दुनिया की पांच सबसे खूबसूरत मस्जिदें

क्या है धार्मिक महत्व?

यहूदी और मुस्लिम दोनों ही इस जगह को धार्मिक रूप से खास मानते हैं. यहूदी दावा करते हैं कि इस जगह पर पहले यहूदियों के प्रार्थना स्थल हुआ करते थे, लेकिन बाद में यहूदी कानून और इजरायली कैबिनेट ने उनके यहां प्रार्थना करने पर प्रतिबंध लगा दिया. यहां मौजूद वेस्टर्न वॉल को वह अपने मंदिर का आखिरी अवशेष मानते हैं.

जबकि मुस्लिम समुदाय इसी दीवार को अल बराक की दीवार कहता है. उनका मानना है कि ये वही दीवार है जहां पैगंबर मोहम्मद साहब ने अल बराक को बांध दिया था. ऐसा माना जाता है कि पैगंबर मोहम्मद ने अल्लाह से बातचीत के लिए अल-बराक जानवर की सवारी की थी.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement