Mohini Ekadashi 2024: वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप की पूजा की जाती है तथा एकादशी का व्रत किया जाता है. ऐसा कहा जाता है मोहिनी एकादशी की व्रत कथा सुनने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं.
मोहिनी एकादशी व्रत कथा (Mohini Ekadashi Vrat Katha)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सरस्वती नदी के पास भद्रावती नाम का एक सुंदर नगर था. उस नगर में धनपाल नाम का एक अमीर व्यक्ति रहता था. वह स्वभाव में बहुत ही दयालु और दानपुण्य करने वाला व्यक्ति था. उसके पांच पुत्र थे. जिसमें सबसे छोटे बेटे का नाम धृष्टबुद्धि था. वह गलत कामों में अपने पिता का पैसा बर्बाद करता था. एक दिन पिता धनपाल ने उसकी बुरी आदतों से परेशान होकर उसे घर से निकाल दिया. धृष्टबुद्धि दुखी होकर जंगल की तरफ चला गया और दिन-रात शोक में डूबा रहने लगा. भटकते- भटकते एक दिन वह महर्षि कौण्डिन्य के आश्रम पर जा पहुंचा. उस समय महर्षि गंगा में स्नान करके आए थे.
धृष्टबुद्धि शोक के भार से पीड़ित होकर कौण्डिन्य ऋषि के पास गया और रोते बिलकते हुए हाथ जोड़कर बोला, हे! ''ऋषि मुझ पर दया करके कोई ऐसा उपाय बताएं जिसके अच्छे प्रभाव से मैं अपने दुखों से मुक्त हो जाऊं.'' तब महर्षि कौण्डिन्य बोले, मोहिनी नाम से सबसे फलदायी एकादशी का व्रत के बारे में उसे बताया और कहा कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के जन्मों जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं. धृष्टबुद्धि ने ऋषि की बताई गई विधि के अनुसार व्रत किया. जिसे करने से वह अपने किए गए सभी पापों से मुक्त हो गया और श्री विष्णुधाम को चला गया. माना जाता है कि मोहिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति बड़े से बड़े पापों से मुक्ति पा लेता है.
मोहिनी एकादशी पूजन विधि (Mohini Ekadashi Pujan Vidhi)
एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र स्नान करें और साफ-स्वच्छ कपड़े पहनें. इसके बाद लाल कपड़ा लपेटकर कलश स्थापना करें और घी का एक दीपक जलाएं. फिर भगवान विष्णु को चंदन, अक्षत, पंचामृत, फूल, धूप, दीपक, फल और नैवेद्य आदि अर्पित करें. उसके बाद ''विष्णु सहस्रनाम'' का पाठ करें और भगवान विष्णु की आरती करें. इस दिन मोहिनी एकादशी की व्रत कथा का पाठ अवश्य करें या सुनें. रात में श्री हरि विष्णु का ध्यान करते हुए भजन कीर्तन आदि करें और जागरण करें.
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