Swastik Sign: हिंदुओं का पवित्र चिह्न स्वस्तिक क्यों है अत्यंत शुभ? जानें इसकी आकृति का रहस्य

Swastik Sign: स्वस्तिक की चार रेखाओं को चार वेद, चार पुरूषार्थ, चार आश्रम, चार लोक और चार देवों यानी ब्रह्मा, विष्णु, महेश और गणेश से तुलना की गई है. स्वस्तिक को सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है.

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Swastik Sign: हिंदुओं का पवित्र चिह्न स्वस्तिक क्यों है अत्यंत शुभ? जानें इसकी आकृति का रहस्य (Photo: Getty Images) Swastik Sign: हिंदुओं का पवित्र चिह्न स्वस्तिक क्यों है अत्यंत शुभ? जानें इसकी आकृति का रहस्य (Photo: Getty Images)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 10 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 8:00 AM IST

Swastik Sign: वेदों में स्वस्तिक को सम्पूर्ण जगत का कल्याण करने और अमरत्व प्रदान करने वाला कहा गया है. वैदिक ऋषियों ने अपने आध्यात्मिक अनुभवों के आधार पर कुछ विशेष चिह्नों की रचना की है. स्वस्तिक इन चिह्नों में से ही एक है. स्वस्तिक की चार रेखाओं को चार वेद, चार पुरूषार्थ, चार आश्रम, चार लोक और चार देवों यानी ब्रह्मा, विष्णु, महेश और गणेश से तुलना की गई है. स्वस्तिक को सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. आइए आज आपको स्वस्तिक के बारे में विस्तार से बताते हैं.

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स्वस्तिक का महत्व 
धार्मिक रूप से स्वस्तिक महत्वपूर्ण है. स्वस्तिक का अर्थ होता है- कल्याण या मंगल करने वाला. स्वस्तिक एक विशेष आकृति है. स्वस्तिक किसी शुभ या मांगलिक कार्य से पूर्व बनाया जाता है. ये भगवान गणेश का रूप भी माना जाता है. इसके प्रयोग से सम्पन्नता , समृद्धि और एकाग्रता की प्राप्ति होती है. जिस पूजा उपासना में स्वस्तिक का प्रयोग नहीं होता है, वो पूजा लम्बे समय तक अपना प्रभाव नहीं रख पाती है.

क्यों खास है स्वस्तिक?
स्वस्तिक को ब्रह्माण्ड का प्रतीक माना जाता है. इसके मध्य भाग को विष्णु की नाभि और चारों रेखाएं ब्रह्मा के चार मुख, चार हाथ और चार वेद माने जाते हैं. स्वस्तिक की चारों बिंदुएं चारों दिशाओं को दर्शाती हैं. स्वस्तिक को विष्णु का आसन और लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है. स्वस्तिक के चिह्न को भाग्यवर्धक वस्तुओं में गिना जाता है. चंदन, कुमकुम और सिंदूर से बना स्वस्तिक ग्रह दोषों को दूर कर सकता है.

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शुभ और कल्याण का प्रतीक स्वस्तिक
स्वस्तिक शब्द को सु और अस्ति का मिश्रण योग माना जाता है. सु का अर्थ है शुभ और अस्ति का अर्थ है- होना. यानि शुभ हो, कल्याण हो.
भारतीय संस्कृति में स्वस्तिक को मंगल प्रतीक माना जाता है. इसलिए किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले स्वस्तिक का चिह्न बनाकर उसकी पूजा की जाती है.

स्वस्तिक के प्रयोग के सही नियम 
स्वस्तिक की रेखाएं और कोण बिलकुल सही होने चाहिए. भूलकर भी उलटे स्वस्तिक का निर्माण और प्रयोग ना करें. लाल और पीले रंग के स्वस्तिक ही सर्वश्रेष्ठ होते हैं. अगर स्वस्तिक को धारण करना है तो इसके गोले के अन्दर धारण करें.

मुख्य द्वार पर स्वस्तिक का प्रयोग
लाल और नीले रंग का स्वस्तिक विशेष प्रभावशाली माना जाता है. मुख्य द्वार के दोनों तरफ लाल स्वस्तिक लगाने से वास्तु और दिशा दोष दूर होते हैं. मुख्य द्वार के ऊपर बीचों बीच नीला स्वस्तिक लगाने से घर के लोगों की सेहत ठीक रहती है.

 

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