व्रत में लोग क्यों नहीं खाते लहसुन-प्याज, तामसिक भोजन के बारे में क्या कहती है सनातन परंपरा?

आपने व्रत-त्योहारों पर लोगों को लहसुन-प्याज या तामसिक भोजन से परहेज करते देखा होगा. एकादशी, प्रदोष व्रत से लेकर किसी भी बड़े व्रत-त्योहारों पर लोग इन चीजों से दूर रहते हैं. यह नियम व्रत रखने वाले साधक से लेकर घर के अन्य सदस्यों पर समान रूप से लागू होता है. लेकिन क्या आप इसके पीछे की असल वजह जानते हैं?

Advertisement
सनातन पंरपरा में भोजन को तीन हिस्सों में बांटा गया है. पहला सात्विक, दूसरा राजसिक और तीसरा तामसिक भोजन. सनातन पंरपरा में भोजन को तीन हिस्सों में बांटा गया है. पहला सात्विक, दूसरा राजसिक और तीसरा तामसिक भोजन.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 जून 2024,
  • अपडेटेड 8:30 AM IST

Tamsik Bhojan: अक्सर आपने हिंदू धर्म के व्रत-त्योहारों पर लोगों को लहसुन-प्याज या तामसिक भोजन से परहेज करते देखा होगा. एकादशी, प्रदोष व्रत से लेकर किसी भी बड़े व्रत-त्योहार पर लोग इन चीजों से दूर रहते हैं. यह नियम व्रत रखने वाले साधक से लेकर घर के अन्य सदस्यों पर समान रूप से लागू होता है. लेकिन क्या आप इसके पीछे की असल वजह जानते हैं? आइए आज आपको बताते हैं कि आखिर व्रत-त्योहारों पर लोगों को इन चीजों का सेवन न करने की सलाह क्यों दी जाती है.

Advertisement

शास्त्रों के अनुसार, सनातन पंरपरा में भोजन को तीन हिस्सों में बांटा गया है. पहला सात्विक, दूसरा राजसिक और तीसरा तामसिक भोजन. ये तीनों प्रकार के भोजन के इंसान के जीवन पर अलग-अलग तरह प्रभाव डालते हैं.

सात्विक भोजन
सात्विक भोजन में दूध, घी, आटा, हरी सब्जियां, फल आदि जैसी चीजों को शामिल किया गया है. ऐसा कहते हैं कि सात्विक चीजों में सत्व गुण सबसे अधिक होते हैं. इसलिए सात्विक भोजन करने से व्यक्ति का तन-मन सात्विक बना रहता है. ऐसे लोगों के जीवन में निश्चित ही सकारात्मक ऊर्जा का संचार अधिक रहता है. इसको लेकर एक श्लोक भी कहा गया है.

आहारशुद्धौ सत्तवशुद्धि: ध्रुवा स्मृति:. स्मृतिलम्भे सर्वग्रन्थीनां विप्रमोक्ष:॥

इसका अर्थ है- आहार शुद्ध होगा तो व्यक्ति अंदर से शुद्ध होगा और इससे ईश्वर में स्मृति दृढ़ होती है. स्मृति प्राप्त होने से हृदय की अविद्या जनित हर एक गांठ खुल जाती है. सात्विक भोजन करने से व्यक्ति का मन शांत होने के साथ विचार शुद्ध होते हैं.

Advertisement

राजसिक भोजन
अब बारी आती है राजसिक भोजन की. राजसिक भोजन में नमक, मिर्च, मसाले, केसर, अंडे, मछली आदि चीजों का शामिल किया गया है. शास्त्रों के अनुसार, राजसिक भोजन करने वालों का मन बहुत चंचल होता है. इनके जीवन में स्थिरता बहुत कम देखी जाती है.

तामसिक भोजन
लहसुन और प्याज तामसिक भोजन की श्रेणी में आते हैं. ऐसा कहा जाता है कि तामसिक चीजों का अधिक सेवन करने से रक्त प्रवाह बहुत ज्यादा बढ़ जाता है या घट जाता है. ऐसे लोगों में गुस्सा, अंहकार, उत्तेजना, विलासिता का भाव बहुत देखा जाता है. ऐसे लोग आलसी और अज्ञानी भी माने जाते हैं. यही कारण है कि व्रत-त्योहार जैसे पवित्र दिनों में लोगों को इसका सेवन न करने की सलाह दी जाती है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement