घर के अंदर की ऊर्जा को संतुलित और बेहतर बनाए रखना वास्तु शास्त्र कहलाता है. यह आपको विपरीत समय में भी समस्याओं से जूझने और लड़ने का सामर्थ्य देता है. यदि आपका पूरा घर वास्तु दोष रहित है तो ऐसा नहीं कि आपके जीवन में समस्याएं नहीं आएंगी. इससे कुंडली और प्रारब्ध को नकारा नहीं जा सकता. लेकिन घर का सकारात्मक वास्तु आपको सही सोच, हौसला और ताकत देता है. हमारे घर में पांच तत्वों की ऊर्जा विद्यमान रहती है. इनका असंतुलन ही वास्तु दोष और संतुलन अच्छे वास्तु को दर्शाता है.
आपने देखा होगा कि आजकल लोग घर की दीवारों को अलग-अलग रंग से रंगवा लेते हैं, लेकिन सही दिशा में सही रंग का न होना आपके जीवन में परेशानियां ला सकता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार, किसी भी रूप में दिशाओं में एंटी कलर का प्रयोग नहीं करना चाहिए. आइए जानते हैं कि घर की किस दिशा में किस रंग का प्रयोग उचित माना जाता है.
जल तत्व
उत्तर-उत्तर-पश्चिम से उत्तर-पूर्व दिशा जल तत्व की है. यहां नीला और काला रंग के साथ हरा और क्रीम रंग का होना अच्छा. लाल, गुलाबी, नारंगी और मिल्की व्हाइट रंग का प्रयोग किसी भी रूप में यहां न करें. पीले रंग की भी अधिकता परेशानी दे सकती है.
वायु तत्व
पूर्व-उत्तर-पूर्व से लेकर पूर्व-दक्षिण-पूर्व दिशा वायु तत्व की दिशा है. जहां हरा रंग का होना सबसे बेहतर है. इसके साथ, यहां काला, नीला, लाल, नारंगी और गुलाबी रंग भी प्रयोग किया जा सकता है. यहां पीला, मिल्की व्हाइट रंग का प्रयोग उचित नहीं है.
अग्नि तत्व
दक्षिण-पूर्व से दक्षिण तक अग्नि तत्व की दिशा है. जहां आप लाल, नारंगी, गुलाबी रंग का प्रयोग कर सकते हैं. यहां पीले और हरे रंग के शेड भी प्रयोग किए जा सकते हैं. लेकिन काला, नीला और मिल्की व्हाइट रंग का प्रयोग नुकसान दे सकता है.
भूमि तत्व
दक्षिण-दक्षिण-पश्चिम से दक्षिण-पश्चिम दिशा भूमि तत्व की है. यहां सबसे अच्छा पीला रंग का होना है. लाल, नारंगी और गुलाबी रंग के साथ मिल्की व्हाइट रंग भी इस दिशा में प्रयोग किया जा सकता है. इसके विपरीत यहां हरा, काला और नीला रंग का होना परेशानी पैदा करने वाला है.
आकाश तत्व
पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम से पश्चिम-उत्तर-पश्चिम दिशा तक आकाश तत्व का स्थान है. यहां सबसे अच्छा मिल्की व्हाइट कलर है. इसके साथ पीला, काला, नीला रंग भी संतुलित मात्रा में प्रयोग किया जा सकता है. लेकिन लाल और हरा रंग दिक्कत पैदा कर सकता है.
अंशु पारीक