Tusli Vivah 2025: 2 या 3 नवंबर कब है तुलसी विवाह ? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, और धार्मिक महत्व

Tusli Vivah 2025: कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि भगवान विष्णु अपनी चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं. इसी दिन से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है. इस दिन तुलसी और भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप की पूजा की जाती है. इस विवाह का बड़ा धार्मिक महत्व है, जिससे कन्यादान के समान पुण्य फल मिलता है.

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तुलसी विवाह (Photo: ITG) तुलसी विवाह (Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 1:23 PM IST

सनातन धर्म में तुलसी का पौधा अत्यंत पवित्र माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि तुलसी में माता लक्ष्मी निवास करती हैं. तुलसी की नियमित पूजा और आराधना करने से धन, धान्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है. हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक माह की द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह का पर्व मनाया जाता है, जिसका धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है. इस दिन भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप और माता तुलसी का विधिपूर्वक विवाह कराया जाता है. ऐसा माना जाता है कि तुलसी विवाह करने से वैवाहिक जीवन में प्रेम, सुख, स्थिरता और खुशहाली आती है. जानते हैं इस वर्ष तुलसी विवाह कब है,  शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व के बारे में

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तुलसी विवाह 2025 शुभ मुहूर्त 

वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि की शुरुआत 02 नवंबर को सुबह 07 बजकर 31 मिनट पर होगी. वहीं, इसका समापन 03 नवंबर को सुबह 05 बजकर 07 मिनट पर होगा. ऐसे में इस साल 02 नवंबर को तुलसी विवाह किया जाएगा. 

तुलसी विवाह की पूजन विधि

घर के आंगन, बालकनी या पूजा स्थल पर तुलसी के पौधे को स्थापित करें, रंगोली बनाकर सुंदर मंडप सजाएं. तुलसी माता को चूड़ी, चुनरी, साड़ी और अन्य शृंगार सामग्री अर्पित करें. शालिग्राम को तुलसी के पौधे के दाहिनी ओर स्थापित करें, दोनों को गंगाजल से स्नान कराएं. शालिग्राम को चंदन और तुलसी माता को रोली का तिलक लगाएं. उन्हें फूल, मिठाई, गन्ने, पंचामृत, सिंघाड़े आदि भोग के रूप में अर्पित करें. धूप और दीप जलाएं. शालिग्राम पर चावल नहीं चढ़ाते, इसलिए उनके ऊपर तिल या सफेद चंदन चढ़ाएं. विधिपूर्वक मंत्रोच्चार के साथ तुलसी माता और शालिग्राम भगवान के सात फेरे कराए जाते हैं. अंत में विवाह की आरती करें और प्रसाद सभी में बांटें.

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धार्मिक महत्व

तुलसी विवाह का अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व है. मान्यता है कि विधिपूर्वक तुलसी माता और शालिग्राम भगवान का विवाह कराने से  कन्यादान के समान पुण्यफल प्राप्त होता है, साथ ही जीवन के सभी दुःख-दर्द दूर हो जाते हैं. तुलसी माता को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है, इसलिए इस दिन विवाह करने से वैवाहिक जीवन में सुख, शांति, प्रेम और समृद्धि आती है. इसके अलावा, अविवाहित कन्याओं के लिए यह दिन विशेष रूप से शुभ होता है और उन्हें मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है. 

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