Stambheshwar Mahadev Mandir: दिन में 2 बार गायब हो जाता है शिवजी का ये मंदिर, पुत्र कार्तिकेय से जुड़ी है कथा

Stambheshwar Mahadev Temple: गुजरात के भरूच स्थित स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव का अलौकिक चमत्कार देखा जाता है. यहां शिवजी का एक दिव्य मंदिर दिन में दो बार समुद्र जल में डूब जाता है. ऐसा माना जाता है कि यहां समुद्र देवता स्वयं महादेव का अभिषेक करते हैं.

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शिवजी के इस मंदिर का वर्णन स्कंद पुराण और शिव पुराण की रूद्र सहिंता में भी मिलता है. (Photo: stambheshwar mahadev) शिवजी के इस मंदिर का वर्णन स्कंद पुराण और शिव पुराण की रूद्र सहिंता में भी मिलता है. (Photo: stambheshwar mahadev)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:21 PM IST

Stambheshwar Mahadev Mandir: भगवान शिव की महिमा के बारे में तो आपने खूब सुना होगा. लेकिन क्या आपने महादेव के किसी चमत्कार को अपनी आंखों से देखा है. गुजरात के भरूच में स्थित भगवान शिव का स्तम्भेशवर महादेव मंदिर शिवजी के ऐसे ही अलौकिक चमत्कार का प्रमाण है. ऐसी मान्यता है कि यह मंदिर दिन में दो बार जलमग्न हो जाता है. ऐसा कहते हैं कि यहां समुद्र देव स्वंय दो बार महाकाल का अभिषेक करते हैं. इसका वर्णन स्कंद पुराण और शिव पुराण की रूद्र सहिंता में भी मिलता है.

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स्कंद पुराण के अनुसार,  स्तम्भेशवर महादेव मंदिर का शिवलिंग कई युगों से इस स्थान पर है. ऐसा बताया जाता है कि यहां के समुद्र में पांच शिवलिंग स्थापित है, जिसमें से दो प्राक्ट्य हैं. कहते हैं कि इस मंदिर में शिवलिंग की पूजा और अभिषेक करने से इंसान की सारी इच्छाएं पूर्ण हो सकती हैं. ऐसा बताया जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वंय भगवान कार्तिकेय ने की थी और तभी से समुद्र देवता यहां भगवान की चौखट पर आकर दिन में दो बार शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं.

24 में से 12 घंटे जलमग्न रहता है मंदिर
स्तम्भेशवर महादेव मंदिर में आने वाले भक्तों को प्रतिदिन एक टिकट दिया जाता है, जिसमें प्रतिदिन के ज्वारभाटे की समयावली लिखी होती है. यानी मंदिर किस समय जलमग्न होगा, इसकी जानकारी दी जाती है. मंदिर के कार्मचारी कहते हैं कि गुजराती तिथि को ध्यान में रखते हुए हर दिन ज्वारभाटा का समय अलग होता है.

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चूंकि यह मंदिर दिन में दो बार जलमग्न हो जाता है. इसलिए श्रद्धालुओं को जलस्तर कम होने के बाद ही दर्शन करने की अनुमति होती है. दर्शन कब और किस वक्त होंगे, इसकी समय सारणी टिकट पर दी गई है. यह मंदिर 24 में से 12 घंटे जलमग्न रहता है और 12 घंटे दर्शन के लिए खुला रहता है.

स्तम्भेशवर महादेव मंदिर की कथा
शिवपुराण के अनुसार, ताड़कासुर नामक एक असुर ने अपनी कठोर तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न कर लिया था. शिवजी ने उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर उसे मनचाहा वरदान दिया. ताड़कासुर ने वरदान मांगा कि उसकी मृत्यु केवल शिव पुत्र के हाथों ही संभव हो. यह वरदान मिलने के बाद ताड़कासुर का अत्याचार बढ़ गया और उसने ऋषि-मुनियों को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया.

इसके बाद सभी देवी-देवता भगवान शिव के पास पहुंचे और ताड़कासुर के अत्याचार से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना करने लगे. देवताओं की प्रार्थना के बाद कार्तिकेय का जन्म हुआ. भगवान कार्तिकेय ने वीरता के साथ ताड़कासुर का वध किया. हालांकि जब उन्हें ये पता चला कि ताड़कासुर शिवजी का परम भक्त था, तो उन्हें बहुत दुख हुआ. तब भगवान विष्णु ने कार्तिकेय को प्रायश्चित का उपाय बताया. विष्णु जी ने बताया कि जिस स्थान पर उन्होंने ताड़कासुर का वध किया है, वहीं एक शिवलिंग की स्थापना कर दें. कार्तिकेय ने ठीक वैसा ही किया. स्तंभेश्वर महादेव मंदिर में वो शिवलिंग आज भी स्थापित है.

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