'मैं शक्कर मांगू तो हलवा बना लाती है...' कॉन्सटेबल ने पत्नी पर सुनाई कविता, हंसी से लोट-पोट हुए प्रेमानंद

Premanand Maharaj: वृंदावन में प्रेमानंद महाराज के दरबार का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें एक पुलिस कॉन्सटेबल ने अपनी पर हास्यप्रद कविता सुनाई है. इस कविता को सुनकर प्रेमानंद महाराज ठहाके मारकर हंसने लगे.

Advertisement
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि सनातन धर्म में पत्नी को अर्धांग यानी शरीर का आधा हिस्सा माना गया है. और पति को परमेश्वर का दर्जा दिया गया है. (Photo: Screengrab/YT_Bhajan Marg) प्रेमानंद महाराज ने कहा कि सनातन धर्म में पत्नी को अर्धांग यानी शरीर का आधा हिस्सा माना गया है. और पति को परमेश्वर का दर्जा दिया गया है. (Photo: Screengrab/YT_Bhajan Marg)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 16 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:11 PM IST

Premanand Maharaj: वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज के दरबार में आशीर्वाद लेने आए एक पुलिस कॉन्सटेबल का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. इस वीडियो में कॉन्सटेबल साहब ने अपनी पत्नी पर एक ऐसी हास्यप्रद कविता लिखी है, जिसे सुनकर प्रेमानंद महाराज हंसी से लोट-पोट हो गए. कॉन्स्टेबल ने कविता के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया है कि प्रेमानंद महाराज का सत्संग सुनने के बाद उसकी पत्नी के व्यवहार में कितना बदलाव आया है.

Advertisement

कविता की कुछ पंक्तियां इस प्रकार है-

दिन कुछ ऐसे बीत रहे थे, आंखों से पानी आता था
मैं कहता था पनीर बना लो, तो सामने टिंडा आता था.

जब मांगता था मीठा उससे, तो नमकीन मुझको वो दे देती थी.
और पहली तारीख आते ही, सारी तनख्वा ले लेती थी.

फिर समय का ऐसा चक्र चला, उसने टीवी खोला
टीवी में कोई संत दिखे, वो बोली कौन हैं ये?

मैंने कहा, स्वयं प्रभु ही हैं
जिन्हें सुनकर आनंद मिले, ये बाबा प्रेमानंद ही हैं.

फिर तो दिन कुछ ऐसे बदले, बिन बोले दौड़े आती है.
मैं शक्कर मांगता हूं उससे, तो हलवा बना लाती है.

यह पंक्तियां सुनते ही प्रेमानंद जी महाराज जोर से ठहाके मारकर हंस पड़े. इसके बाद प्रेमानंद महाराज ने सिपाही से कहा कि जब किसी इंसान को भगवत से प्रेम हो जाता है तो उसका व्यवहार ऐसे ही बदल जाता है.

Advertisement

उन्होंने कहा कि यह हमारे सनातन धर्म की खूबसूरती है कि यहां पत्नी को अर्धांग यानी शरीर का आधा हिस्सा माना गया है. और पति को परमेश्वर का दर्जा दिया गया है. हालांकि मौजूदा दौर में इन नैतिक मूल्यों को समाज भूलता जा रहा है. इसलिए लोगों में विघटन की परिस्थिति पैदा हो रही है. ये वो दौर है जब पति-पत्नी को एक दूसरे पर विश्वास ही नहीं है.

प्रेमानंद महाराज ने यह भी कहा कि यदि कोई लड़का किसी लड़की से प्रेम करे तो हमें कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन व्यभिचार या बुरा आचरण स्वीकार्य नहीं है. यदि प्रेम में लोग एक हो जाएं और आजीवन निर्वाह करें तो इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है. पहले लोग तस्वीर देखे बगैर विवाह करते थे और आजीवन साथ रहते थे. आज लोग प्रेम विवाह करने के बावजूद तलाक ले लेते हैं.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement