Premanand Maharaj: प्रेमानंद महाराज ने कहा- सबकुछ बेचकर भी आदमी नहीं खरीद सकता है ये एक चीज

प्रेमानंद महाराज का मानना है कि भगवान का नामजप ही मुक्ति का मार्ग है. अपने एक नए प्रवचन में उन्होंने कहा कि मनुष्य अपनी सारी संपत्ति बेच भी दे तो वह एक अतिरिक्त सांस नहीं खरीद सकता है. यह बहुत कीमती है और अपनी हर सांस में भगवान का नाम लेने से ही आपका उद्धार होगा.

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हाल ही में प्रेमानंद महाराज का एक और वीडियो सामने आया जिसमें उन्होंने कहा कि इंसान अपना सबकुछ बेचकर भी एक चीज नहीं खरीद सकता. (Photo: Screengrab/Instagram_BhajanmargOfficial) हाल ही में प्रेमानंद महाराज का एक और वीडियो सामने आया जिसमें उन्होंने कहा कि इंसान अपना सबकुछ बेचकर भी एक चीज नहीं खरीद सकता. (Photo: Screengrab/Instagram_BhajanmargOfficial)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 22 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:31 PM IST

Premanand Maharaj: प्रेमानंद महाराज के प्रवचन आज वृंदावन की गलियों तक सीमित नहीं रह गए हैं. सोशल मीडिया के माध्यम ये यह देश-दुनिया तक पहुंच चुके हैं. प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि भगवत प्राप्ति का एकमात्र रास्ता नामजप करना है. जो लोग नामजप करके ईश्वर की शरण में आते हैं, उनका निश्चित ही उद्धार हो जाता है. हाल ही में प्रेमानंद महाराज का एक और वीडियो सामने आया जिसमें उन्होंने कहा कि इंसान अपना सबकुछ बेचकर भी एक चीज नहीं खरीद सकता. आइए जानते हैं कि वो चीज क्या है.

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वृंदावन में लोगों को संबोधित करते हुए प्रेमानंद ने कहा, 'इंसान की सांसें बहुत कीमती हैं. यदि कोई 50 साल की आयु तक कमाया हुआ सारा रुपया-पैसा, मकान, संपत्ति आदि बेच भी दे तो एक सांस अतिरिक्त नहीं खरीद पाएगा. इसलिए सबसे प्रार्थना है कि अपनी हर सांस में राधा नाम का जाप करें. इसमें कोई मेहनत नहीं लगती है. एक रुपया नहीं लगता है.'

उन्होंने कहा कि राधा नामजप करने से आपका परम कल्याण हो जाएगा. यदि आपको किसी वजह से राधा नाम प्रिय नहीं है तो आप इच्छानुसार राम, कृष्ण, हरि या किसी अन्य देवी-देवता का नाम ले सकते हैं. जो लोग भगवान नाम लेकर आगे बढ़ते हैं, उनका जीवन सार्थक हो जाता है.

मृ्त्यु के बाद सब यहीं छूट जाएगा: प्रेमानंद
प्रेमानंद महाराज ने आगे कहा कि शरीर त्यागने के बाद आदमी कुछ साथ लेकर नहीं जाता है. सांस छूटते ही शरीर, मकान, स्त्री, पुत्र, परिवार और प्रत्येक भौतिक सुख यहीं रह जाता है. इसके बाद इंसान को पाप-पुण्य के आधार पर पशु-पक्ष या किसी दूसरी योनि में जन्म मिलता है. वो जन्म कहां और किस योनि में होगा, ये किसी को नहीं पता है. इसलिए अपनी प्रत्येक सांस में ईश्वर के नाम का स्मरण करें. दुनिया में ऐसे लाखों लोग हैं जिन्होंने राधा नाम अपनाकर बुरे आचरण का त्याग किया है.

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