Premanand maharaj : वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज अपने सरल, मधुर और गहरे प्रवचनों के लिए जाने जाते हैं. उनके उपदेश न केवल आध्यात्मिक ज्ञान देते हैं बल्कि जीवन के हर छोटे-बड़े सवाल का हल भी बताते हैं. हाल ही में एक महिला ने प्रेमानंद महाराज से सवाल पूछा कि “क्या नाम जप करना स्वार्थ नहीं है? मुक्ति या मोक्ष के लिए नाम जप करना भी तो स्वार्थ ही है?”
इस पर प्रेमानंद महाराज ने बहुत ही सुंदर उत्तर दिया. उन्होंने कहा कि नाम जप कोई स्वार्थ नहीं, बल्कि आत्मा को ईश्वर से जोड़ने का सबसे सरल और पवित्र तरीका है. नाम जप मन को शांत करता है, जीवन में संतुलन लाता है और व्यक्ति को भीतर से निर्मल बनाता है. मोक्ष की इच्छा भी स्वार्थ नहीं मानी जाती, क्योंकि यह किसी भौतिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि आत्मिक उन्नति के लिए होती है.
करें भगवान के नाम का जप
महाराज ने महिला के सवाल का जवाब देते हुए आगे कहा कि अगर हम स्वार्थ के लिए अमृत पिएंगे तो अमर हो जाएंगे. भगवान का नाम भी अमृत है. अगर स्वार्थ से भी भगवान का नाम जपोगे, तो भी वो तुम्हारा भला ही करेगा. उन्होंने समझाया कि भक्ति की शुरुआत अक्सर स्वार्थ से ही होती है, लेकिन धीरे-धीरे मन शुद्ध होता है और भक्ति निस्वार्थ बन जाती है.
भक्ति की शक्ति ने परमार्थ के मार्ग पर चलाया
प्रेमानंद महाराज ने आगे कहा कि माया पर विजय पाने की इच्छा तो मेरी भी थी. उसी इच्छा ने मुझे परमार्थ के मार्ग पर चलाया. हर व्यक्ति अपनी किसी न किसी कामना के कारण ही आगे बढ़ता है.हमारी सबसे बड़ी इच्छा है कि हम भगवान को प्राप्त करें. अगर इच्छा ही न हो, तो हम आगे बढ़ेंगे कैसे?” अंत में महाराज ने कहा कि जब व्यक्ति भगवान को पा लेता है, तब सारी इच्छाएं खुद ही समाप्त हो जाती हैं.
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