Putrada Ekadashi 2025: पौष पुत्रदा एकादशी पर 3 शुभ योग, जानें 30 या 31 दिसंबर कब रखा जाएगा व्रत

Putrada Ekadashi 2025 Kab Hai: पौष पुत्रदा एकादशी 30 दिसंबर की सुबह 7:50 बजे शुरू होगी और 31 दिसंबर को सुबह 5 बजे इसका समापन होगा. ऐसे में कुछ लोग 30 दिसंबर तो कुछ 31 दिसंबर को व्रत रखने वाले हैं.

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इस बार पुत्रदा एकादशी पर तीन शुभ योग बन रहे हैं. इस बार पुत्रदा एकादशी पर तीन शुभ योग बन रहे हैं.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:11 PM IST

Putrada Ekadashi 2025: भगवान श्रीहरि विष्णु को प्रसन्न करने के लिए एकादशी का व्रत अत्यंत श्रेष्ठ माना गया है. इसमें भी पौष पुत्रदा एकादशी के व्रत का महत्व विशेष है. यह व्रत शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से बहुत लाभकारी माना जाता है. यह व्रत संतान प्राप्ति और संतान से जुड़ी परेशानियों के समाधान के लिए रखा जाता है. इस साल पौष मास की पुत्रदा एकादशी का व्रत 31 दिसंबर 2025 यानी साल के एकदम आखिर में रखा जाएगा. खास बात ये है कि इस बार पुत्रदा एकादशी पर तीन शुभ योग भी बन रहे हैं.

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कब है पौष पुत्रदा एकादशी?
पौष पुत्रदा एकादशी 30 दिसंबर की सुबह 7:50 बजे शुरू होगी और 31 दिसंबर को सुबह 5 बजे इसका समापन होगा. ऐसे में कुछ लोग 30 दिसंबर तो कुछ 31 दिसंबर को व्रत रखने वाले हैं. अब जो लोग 30 दिसंबर को व्रत करेंगे तो 31 दिसंबर की सुबह पारण करेंगे और जिन लोगों का व्रत 31 दिसंबर को है, वो 1 जनवरी 2026 की सुबह पारण करेंगे.

त्रिपुष्कर योग
पौष पुत्रदा एकादशी पर त्रिपुष्कर योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है. ज्योतिष शास्त्र में इसे अत्यंत शुभ योग माना जाता है. 31 दिसंबर को यह शुभ योग सुबह 5 बजे से लेकर 7 बजकर 14 मिनट तक रहने वाला है. यानी करीब 2 घंटे 14 मिनट तक यह विशेष योग बनेगा. इस दौरान भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा से आपको लाभ मिलेगा.

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सर्वार्थ सिद्धि योग
साल 2025 की इस अंतिम एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहने वाला है. इस दिन यह शुभ योग 31 दिसंबर को सुबह 3 बजकर 58 मिनट से लेकर सुबह 7 बजकर 14 मिनट तक रहेगा. इस  दौरान श्री हरि भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करने वालों को धन-संपन्नता का सुख प्राप्त हो सकता है.

रवि योग
द्रिक पंचांग के अनुसार, 31 दिसंबर को पौष पुत्रदा एकादशी पर रवि योग भी रहने वाला है. यह शुभ योग सुबह 5 बजकर 47 मिनट से लेकर सुबह 9 बजकर 28 मिनट तक रहने वाला है. इस शुभ योग में दान-स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है.

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