Kalpavas Rituals: कल्पवास कब से होगा शुरू? नोट करें संगम स्नान की तिथियां और नियम

Kalpavas Rituals:कल्पवास हिंदू धर्म की एक प्राचीन और पवित्र साधना परंपरा है, जिसे विशेष रूप से माघ मास में प्रयागराज के त्रिवेणी संगम तट पर किया जाता है. यह साधना आत्मशुद्धि, संयम और ईश्वर-स्मरण का मार्ग मानी जाती है.

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माघ मास की शुरुआत 4 जनवरी से होगी (file photo) माघ मास की शुरुआत 4 जनवरी से होगी (file photo)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 21 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:01 AM IST

Kalpavas Rituals: हिंदू पंचांग के अनुसार माघ का महीना आध्यात्मिक साधना और आत्मशुद्धि के लिए श्रेष्ठ माना गया है. शास्त्रों और पुराणों में इस मास को बेहद पवित्र बताया गया है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माघ मास में किए गए जप, तप, स्नान और दान का फल अक्षय होता है, यानी इसका पुण्य कभी समाप्त नहीं होता. इसी पवित्र महीने में कल्पवास की परंपरा का विशेष महत्व है, जिसे प्रयागराज के त्रिवेणी संगम तट पर रहकर पूरा किया जाता है. दृक पंचांग के अनुसार वर्ष 2026 में माघ मास की शुरुआत 4 जनवरी से होगी.

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कल्पवास क्या है?

कल्प’ शब्द का अर्थ एक निश्चित कालखंड होता है, जबकि ‘वास’ का मतलब निवास करना है. आध्यात्मिक रूप से कल्पवास उस साधना को कहा जाता है, जिसमें व्यक्ति कुछ समय के लिए सांसारिक आकर्षणों, भोग-विलास और मोह-माया से दूरी बनाकर ईश्वर की उपासना में लीन रहता है. शास्त्रों में इसे गृहस्थ जीवन से वैराग्य की ओर अग्रसर होने का एक अभ्यास माना गया है. परंपरागत रूप से कल्पवास की शुरुआत पौष पूर्णिमा से होती है और यह माघ पूर्णिमा तक चलता है. हालांकि श्रद्धालु अपनी श्रद्धा, सामर्थ्य और उपलब्ध समय के अनुसार 5, 11 या 21 दिनों का संकल्प लेकर भी कल्पवास कर सकते हैं.

कल्पवास के नियम और विधि

कल्पवास केवल गंगा तट पर रहना नहीं, बल्कि यह एक कठोर आध्यात्मिक अनुशासन है. कल्पवासी को नदी किनारे फूस की कुटिया में रहना होता है और सांसारिक सुखों से दूरी बनानी होती है. इस दौरान दिन में केवल एक बार सात्विक और स्वयं द्वारा तैयार भोजन ग्रहण करने का विधान है. प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त सहित दिन में तीन बार पवित्र गंगा जल में स्नान कर विधिवत पूजा की जाती है.

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कल्पवासी भोग-विलास का त्याग कर भूमि पर शयन करते हैं और मन, वचन व कर्म से ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं. इस अवधि में नशा, क्रोध, झूठ और कटु वाणी पूरी तरह मनाही है. साथ ही कुटिया में तुलसी का पौधा लगाकर नियमित पूजन किया जाता है.  पूरा समय भजन-कीर्तन, संतों के सत्संग और धार्मिक ग्रंथों के पाठ में व्यतीत किया जाता है. कल्पवास की समाप्ति पर सत्यनारायण भगवान की कथा, ब्राह्मण भोज और सामर्थ्य अनुसार दान करना शुभ माना जाता है.

माघ स्नान की प्रमुख तिथियां

पहला स्नान: पौष पूर्णिमा – 3 जनवरी 2026

दूसरा स्नान: मकर संक्रांति – 15 जनवरी 2026

तीसरा स्नान: मौनी अमावस्या – 18 जनवरी 2026

चौथा स्नान: माघ पूर्णिमा – 1 फरवरी 2026

कल्पवास की अवधि

शास्त्रों के अनुसार कल्पवास पौष पूर्णिमा से शुरू होकर माघ पूर्णिमा तक चलता है. वर्ष 2026 में कल्पवास की शुरुआत 3 जनवरी से होगी और इसका समापन 1 फरवरी 2026 को माघ पूर्णिमा के दिन होगा. इसी दिन परंपरागत रूप से माघ मास का कल्पवास पूर्ण माना जाता है.

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