kanya Sankranti 2022: भारत में संक्रांति को बेहद शुभ माना जाता है. धार्मिक पंचांग के अनुसार हर महीने संक्रांति आती है. एक साल में सभी बारह संक्रांति दान-पुण्य कार्यों के लिए अत्यधिक शुभ मानी जाती है और इस दिन लोग पूरे मन से दान भी करते हैं. संक्रांति से पहले या बाद में केवल एक निश्चित समय की अवधि के दौरान ही संक्रांति से संबंधित कार्यों के लिए शुभ माना जाता है. ऐसी ही एक संक्रांति है कन्या संक्रांति. इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है. इस साल यह कन्या संक्रांति 17 सितंबर, शनिवार को मनाई जाएगी.
कन्या संक्रांति का महत्व (kanya Sankranti 2022 importance)
हर संक्रांति का अपना अलग महत्व माना जाता है. इसी प्रकार कन्या संक्रांति का भी विशेष महत्व है. कन्या संक्रांति के दिन भगवान विश्वकर्मा जी भी की उपासना की जाती है. कन्या संक्रांति पश्चिमी बंगाल और उड़ीसा में विशेष रूप से मनाई जाती है. इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 17 सितंबर, शनिवार को सूर्य देवता सिंह राशि को छोड़कर कन्या राशि में प्रवेश करेंगे और यहां एक महीने तक वे विराजमान रहेंगे.
कन्या संक्रांति का मुहूर्त (kanya Sankranti 2022 muhurat)
कन्या संक्रांति पुण्य काल का समय सुबह 7 बजकर 36 मिनट से दोपहर 2 बजकर 8 मिनट तक रहेगा. महा पुण्यकाल का मुहूर्त 17 सितंबर, सुबह 7 बजकर 36 मिनट से लेकर सुबह 09 बजकर 38 मिनट तक रहेगा.
क्या करें और क्या न करें (kanya Sankranti do's and dont's)
मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री सूर्यदेव की विधिवत पूजा अर्चना करनी चाहिए. इस दिन उन्हें जल अर्पित करना भी लाभकारी होगा. वही इस दिन सूर्य के कन्या राशि में गोचर से कन्या के साथ कई राशि वालों को शुभ और अशुभ फल भी मिलेगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कन्या संक्रांति के दिन नदी में स्नान करना और दान का विशेष महत्व होता है. इस दिन पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण और उनके नाम से जरूरतमंदों व गरीबों को दान दक्षिण देना बेहद ही शुभ माना जाता है. ऐसा करने से पूर्वज प्रसन्न होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं. इस दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है इनकी विशेष पूजा अर्चना भी की जाती है.
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