Jagannath Rath yatra 2025: कब से शुरू होगी जगन्नाथ रथ यात्रा? जानें इस आध्यात्मिक यात्रा का महत्व

Jagannath Rath yatra 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, द्वितीया तिथि 26 जून को दोपहर 1:24 बजे शुरू होगी और 27 जून को सुबह 11:19 बजे समाप्त होगी. उदयातिथि के आधार पर यह पर्व 27 जून को मनाया जाएगा.

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जगन्नाथ रथ यात्रा जगन्नाथ रथ यात्रा

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 15 जून 2025,
  • अपडेटेड 9:10 AM IST

Jagannath Rath Yatra 2025: जगन्नाथ रथ यात्रा हिंदू धर्म का एक भव्य और श्रद्धा से परिपूर्ण पर्व है, जिसे हर साल ओडिशा के पुरी शहर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. यह उत्सव भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को समर्पित होता है. पंचांग के मुताबिक, हर साल इस शुभ यात्रा की शुरुआत आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से होती है, जो इस साल 27 जून 2025 को मनाई जाएगी.

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2025 में कब से कब तक होगी रथ यात्रा? (Jagannath Rath Yatra 2025 Date)

हिंदू पंचांग के अनुसार, द्वितीया तिथि 26 जून दोपहर 1 बजकर 24 मिनट से शुरू होकर 27 जून सुबह 11 बजकर 19 मिनट तक रहेगी. उदयातिथि के अनुसार, यह पर्व 27 जून को मनाया जाएगा. रथ यात्रा नौ दिनों तक चलेगी और 5 जुलाई 2025 को समाप्त होगी.

रथ यात्रा क्यों निकाली जाती है?

पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने पुरी नगर दर्शन की इच्छा जताई. तब भगवान जगन्नाथ और बलभद्र ने उन्हें रथ पर बैठाकर नगर भ्रमण कराया और रास्ते में वे अपनी मौसी के घर भी कुछ दिन ठहरे. तभी से यह परंपरा हर साल रथ यात्रा के रूप में निभाई जाती है.

तीनों रथों की विशेषताएं क्या हैं?

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पूरी रथ यात्रा में कुल 3 रथ होते है. भगवान जगन्नाथ के रथ का नाम नंदीघोष, बलभद्र के रथ का नाम तालध्वज और सुभद्रा के रथ का नाम दर्पदलन है. इन रथों का निर्माण विशेष ‘दारु’ नीम की लकड़ी से किया जाता है. सबसे खास बात यह है कि रथ बनाने में किसी प्रकार के कील, कांटे या धातु का उपयोग नहीं होता. रथ निर्माण की शुरुआत हर साल अक्षय तृतीया से होती है. यात्रा के दौरान सबसे आगे बलराम जी का रथ चलता है, उसके बाद बहन सुभद्रा का और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ का रथ चलता है. 

रथ यात्रा का आध्यात्मिक महत्व

ऐसा माना जाता है कि रथ यात्रा में शामिल होने या इसका साक्षात दर्शन करने से हजार यज्ञों के बराबर पुण्य प्राप्त होता है. इस यात्रा में भाग लेने से पापों का नाश होता है और भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है. पुरी का जगन्नाथ मंदिर चार धामों में से एक है और यह यात्रा भक्तों को मोक्ष की ओर ले जाने वाली मानी जाती है.

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