क्यों ईरानियों के लिए खास है ग्रैंड मोसल्ला मस्जिद, जहां से ईरान के सुप्रीम लीडर ने भरी हुंकार

इजरायल और ईरान के टकराव के बीच ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामनेई ने राजधानी तेहरान में स्थित ऐतिहासिक ग्रैंड मोसल्ला मस्जिद में केवल ईरान ही नहीं बल्कि दुनिया भर के मुसलमानों को एकजुट होने का संदेश दिया. आइए विस्तार से जानते हैं इस मस्जिद के बारे में.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 04 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 5:17 PM IST

इजरायल और ईरान के बीच चल रहे टकराव के दौरान ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामनेई ने राजधानी तेहरान में स्थित ऐतिहासिक ग्रैंड मोसल्ला मस्जिद में केवल ईरान ही नहीं बल्कि दुनिया भर के मुसलमानों को एकजुट होने का संदेश दिया. ईरान के लोगों के लिए आज का दिन दो मायनों में बेहद खास था. पहला जुमे की नमाज और दूसरा इजरायल के हमले में मारे हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह का अंतिम संस्कार (फ्यूनरल). शुक्रवार को बड़ी संख्या में लोग ग्रैंड मस्जिद में नमाज के लिए जुटे थे. 

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क्यों खास है ग्रैंड मस्जिद

ग्रैंड मोसल्ला मस्जिद ईरान के तेहरान में स्थित एक बेहद विशाल मस्जिद है. यहां हर शुक्रवार को जुमे की नमाज के लिए सैकड़ों नमाजी जमा होते हैं. इसके साथ ही यह मस्जिद ईरान में होने वाले ऐतिहासिक कार्यक्रमों (इवेंट्स), सांस्कृतिक, राजनीतिक, शैक्षिक, मजहबी जलसों, पुस्तक मेले, प्रदर्शनियों और धार्मिक समारोह का भी गवाह रही है. 

ईरान के तेहरान में ग्रैंड मोसल्ला मस्जिद की स्थापना 1982 में हुई थी. claurban.com के अनुसार, सबसे पहले तेहरान विश्वविद्यालय की जगह जुमे की साप्ताहिक नमाज के लिए एक विशाल मोसल्ला मस्जिद का प्रस्ताव रखा गया था. मस्जिद की संरचना का श्रेय ईरानी वास्तुकार परविज मोयेद को दिया जाता है जिन्हें इस बड़े पैमाने की परियोजना के निर्माण और पर्यवेक्षण के लिए चुना गया था. फारसी-इस्लामिक वास्तुकला वाली इस मस्जिद का संपूर्ण वजूद 1990 के दशक में देखने को मिलता है. 

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ऐसे तैयार हुई ईरान की ग्रैंड मस्जिद

विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ग्रैंड मस्जिद के निर्माण के लिए 1985 को एक सार्वजनिक घोषणा जारी की गई थी जिसमें मस्जिद के डिजाइन के लिए ड्राफ्ट प्रस्तुत करने के लिए प्रतिभाशाली और अनुभवी डिजाइनरों को बुलाया गया. साल 1986 में ईरान के जाने-माने लोगों को बतौर जूरी के रूप में मस्जिद के निर्माण कार्य की कमेटी में शामिल किया गया था. इसके अलावा इसमें जापान, सीरिया, पाकिस्तान और नीदरलैंड जैसे देशों के दिग्गज इंजीनियर, वास्तुकार और आर्किटेक्चर भी शामिल थे.

1990 में मस्जिद की डिजाइन तय कर ली गई थी. यह डिजाइन ईरान, ताजिकिस्तान, अजरबैजान और जॉर्जिया की इस्लामी वास्तुकला पर आधारित थी जो ऐतिहासिक रूप से Achaemenid Empire (हख़ामनी साम्राज्य) का हिस्सा थे. अचमेनिद साम्राज्य जिसे प्रथम फारसी साम्राज्य कहा जाता है. यह 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व में साइरस द ग्रेट ने स्थापित किया था. यह साम्राज्य पश्चिमी और मध्य एशिया में फैला था.

मजहबी और सांस्कृतिक महत्व

तेहरान की ग्रैंड मोसल्ला मस्जिद एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल है जिसका इतिहास ईरान की समृद्ध विरासत से जुड़ा हुआ है. तेहरान के केंद्र में स्थित यह मस्जिद ईरानी वास्तुकला की एक अनोखी मिसाल है 

तेहरान की ग्रैंड मोसल्ला मस्जिद एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल है, जो अपनी विशेष वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के कारण प्रसिद्ध है. इसकी एक या दो नहीं, ऐसी कई खासियत हैं जो इसे काफी अनोखा बनाती हैं. 

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फारसी वास्तुकला का शानदार नमूना

- विशाल आकार: ग्रैंड मोसल्ला मस्जिद अपने विशाल आकार के लिए जानी जाती है, जो इसे शहर के प्रमुख धार्मिक केंद्रों में से एक बनाता है.
- स्थापत्य: मस्जिद की वास्तुकला में ईरानी और इस्लामी शैलियों का मिलाजुला रूप देखा जा सकता है जो इसे एक अद्वितीय और आकर्षक स्थल बनाता है.
- धार्मिक महत्व: ग्रैंड मोसल्ला मस्जिद तेहरान के मुसलमानों के लिए एक प्रमुख धार्मिक केंद्र है जहां वो नमाज और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं.
- सांस्कृतिक महत्व: मस्जिद शहर की सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो ईरानी संस्कृति और इतिहास को प्रदर्शित करती है.

इन विशेषताओं के कारण ही ग्रैंड मोसल्ला मस्जिद तेहरान का एक महत्वपूर्ण और आकर्षक स्थल है जो पर्यटकों और स्थानीय लोगों दोनों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है. 

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