New Year 2026 Festival Calendar: नया साल 2026 शुरू होने में अब थोड़ा ही समय बाकी रह गया है. नए वर्ष का कैलेंडर शुरू होने से पहले ही लोगों के मन में बड़े पर्व-त्योहार और छुट्टियों को लेकर उत्सुकता रहती है. खासतौर से होली, दीवाली, रक्षाबंधन, दशहरा और करवा चौथ जैसे बड़े पर्व किस दिन-तारीख को पड़ रहे हैं, लोग पहले से ही नोट करके रख लेते हैं. ताकि समय रहते कोई खास प्लानिंग की जा सके. आइए आज आपको बताते हैं कि 2026 में यह सभी बड़े त्योहार किस दिन-तारीख पर आने वाले हैं.
लोहड़ी: बुधवार, 14 जनवरी
लोहड़ी उत्तर भारत का एक बड़ा ही प्रसिद्ध त्योहार है. खासतौर से हरियाणा-पंजाब में तो यह बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. यह पर्व फसलों की कटाई और सर्दियां खत्म होने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. इस दिन लोग आग में तिल, गुड़, मूंगफली डालते हैं और उसके चारों ओर गिद्दा (लोक नृत्य) करते हैं.
होली: बुधवार, 4 मार्च 2025
इस साल 3 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा. फिर अगले दिन यानी 4 मार्च को रंग वाली होली खेली जाएगी. हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका से मदद मांगी थी. होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई. लेकिन भगवान विष्णु ने ऐसी माया रची कि होलिका स्वयं आग में जलकर भस्म हो गई और भक्त प्रह्लाद का बाल बांका भी नहीं हुआ. होलिका दहन के बाद अगली सुबह रंग वाली होली खेली जाती है.
चैत्र नवरात्र: शुक्रवार, 20 मार्च
नए साल 2026 में 20 मार्च से चैत्र नवरात्र प्रारंभ होंगे. चैत्र नवरात्र में मां दुर्गा के नौ अलग अलग स्वरूपों की पूजा का विधान बताया गया है. नौ दिन व्रत-उपासना के बाद अष्टमी या नवमी तिथि पर कन्या पूजन के साथ नवरात्र का पारायण किया जाता है.
अक्षय तृतीया: सोमवार, 20 अप्रैल
वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन दान-स्नान, नई कार्यों की शुरुआत या नई चीजों की खरीदारी करने का विशेष महत्व बताया गया है.
देवशयनी एकादशी: शनिवार, 25 जुलाई
आषाढ़ शुक्ल एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है. देवशयनी एकादशी वो दिन है, जब भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं और सृष्टि का संचालन भगवान शिव के हाथों में आ जाता है. भगवान विष्णु के योग निद्रा में जाते ही शुभ-मांगलिक कार्यों बंद हो जाते हैं.
रक्षाबंधन: शुक्रवार, 28 अगस्त
सावन माह की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा और स्नेह की डोर बांधकर उनके भाग्योदय की कामना करती हैं. इसके बदले भाई अपनी बहन को सामर्थ्य के अनुसार कोई उपहार देता है. उत्तर भारत में यह त्योहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है.
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी: शुक्रवार, 4 सितंबर
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के भक्त कृष्ण लीलाओं को याद करते हुए व्रत-उपासना करते हैं और रात को अष्टमी नक्षत्र के संयोग में खीरे से भगवान का जन्म कराते हैं और फिर पंचामृत से उनका स्नान करवाते हैं.
पितृपक्ष आरंभ: रविवार, 27 सितंबर
भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक चलने वाले पितृपक्ष की भी विशेष महिमा है. इस दौरान तिथिनुसार पितरों का श्राद्ध किया जाता है और उनकी आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया जाता है. 2026 में पितृपक्ष 17 सितंबर से लेकर 10 अक्टूबर तक रहने वाले हैं.
शारदीय नवरात्रि आरंभ: रविवार, 11 अक्टूबर
आश्विन मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्र शुरू हो जाते हैं. इसमें भी देवी के नौ स्वरूपों का पूजन होता है. इस वर्ष शारदीय नवरात्र 11 अक्टूबर से शुरू होंगे.
दशहरा: मंगलवार, 20 अक्टूबर
हिंदू धर्म में दशहरे को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. इसे विजयदशमी भी कहा जता है. इस दिन जगह जगह रावण का पुतला दहन होता है और मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का गुणगान किया जाता है.
करवा चौथ: गुरुवार, 29 अक्टूबर
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है. इस दिन सुहागनें पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. सुहागनें रात को चांद देखने के बाद पति का चेहरा देखकर ये व्रत खोलती हैं.
धनतेरस: शुक्रवार, 6 नवंबर
कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस कहा जाता है. इस दिन भगवान कुबेर और धनवतंरी जी की पूजा का विधान है. धनतेरस पर सोना-चांदी जैसी मूल्यवान चीजों की खरीदारी भी अत्यंत शुभ मानी जाती है.
नरक चतुर्दशी: शनिवार, 7 नवंबर
नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली भी कहा जाता है. नरक चतुर्दशी कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है. इस दिन यमराज की पूजा का महत्व बताया गया है. इसलिए इस दिन यम का दीपक भी जलाया जाता है. कहते हैं कि ये दीपक जलाने से आरोग्य और दीर्घायु का वरदान मिलता है.
दिवाली: रविवार, 8 नवंबर
दिवाली साल के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है. यह पर्व कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है. इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का विधान है. कहते हैं कि इस दिन लक्ष्मी-गणेश की पूजा से धनधान्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.
गोवर्धन पूजा: मंगलवार, 10 नवंबर
दिवाली के बाद कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा की जाती है. इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर उसकी पूजा करने का विधान है. यह पर्व भगवान कृष्ण की उस लीला का समर्पित है, जब उन्होंने छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर इंद्र का अहंकार तोड़ा था.
भाई दूज: बुधवार, 11 नवंबर
कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक कर उनके भाग्योदय की कामना करती हैं.
देवउठनी एकादशी: शुक्रवार, 20 नवंबर
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं और फिर शुभ-मांगलिक कार्यों पर लगी पाबंदी हटती है. इसी दिन से शहनाइयां गूंजनी शुरू होती हैं.
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