Hanuman Chalisa: हनुमान चालीसा की एक प्रसिद्ध चौपाई है “जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा, होय सिद्धि साखी गौरीसा।” इस चौपाई का अर्थ यह है कि स्वयं भगवान शिव, जिन्हें गौरीसा कहा गया है, हनुमान चालीसा के साक्षी हैं. अर्थात् हनुमान चालीसा की रचना और प्रेरणा भगवान शंकर से जुड़ी मानी जाती है. जो भी श्रद्धा और नियमपूर्वक इसका पाठ करता है, उसे जीवन में अनेक प्रकार की सिद्धियां, साहस, बुद्धि और संकटों से मुक्ति मिलती है.
हनुमान जी को कलियुग का प्रत्यक्ष देवता कहा जाता है. वे शीघ्र प्रसन्न होने वाले और उतनी ही शीघ्र रुष्ट होने वाले देव हैं. इसलिए यह मान्यता है कि यदि हनुमान चालीसा का पाठ विधि-विधान और नियमों के साथ किया जाए, तभी उसका पूर्ण फल प्राप्त होता है. अन्यथा पाठ निष्फल भी हो सकता है. जानते हैं हनुमान चालीसा पढ़ने के नियम और सही समय के बारे में.
रखें इन बातों का ध्यान
हनुमान चालीसा का पाठ हमेशा स्वच्छ और शांत स्थान पर बैठकर करना चाहिए. चाहे वह घर का मंदिर हो या फिर कोई तीर्थ स्थल हो या एकांत ही क्यों ना हो, शुद्धता अत्यंत आवश्यक है. पाठ के लिए आसन का प्रयोग करना चाहिए और स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए. पाठ आरंभ करने से पहले भगवान श्रीराम को याद करें., क्योंकि हनुमान जी स्वयं राम भक्त हैं. उन्हें फूल, दीप या भोग अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है.
इस समय करें पाठ
ब्रह्म मुहूर्त में हनुमान चालीसा का पाठ करना सर्वोत्तम माना गया है.शास्त्रों के अनुसार इस समय वातावरण में शुद्ध ऊर्जा, शांति और सकारात्मक शक्ति प्रचुर मात्रा में होती है, जिससे पाठ का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है.
कुछ समय ऐसे भी हैं जब हनुमान चालीसा का पाठ नहीं करना चाहिए. सूर्यास्त के तुरंत बाद पाठ करने से बचना चाहिए, क्योंकि इस समय इसका प्रभाव कम माना गया है. गुस्से, चिड़चिड़े मन या मानसिक अशांति की अवस्था में भी पाठ नहीं करना चाहिए. बिना स्नान, अशुद्ध अवस्था, जल्दबाजी या दोपहर के समय किया गया पाठ भी फलदायी नहीं माना जाता.
नियम
हनुमान चालीसा का एक, तीन या सात बार पाठ करना शुभ होता है. यदि किसी विशेष मनोकामना पूरी करनी हो, तो 108 बार हनुमान चालीसा का पाठ करना प्रभावशाली उपाय माना गया है.
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