भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से चतुर्दशी तिथि तक भगवान गणेश की उपासना के लिए गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है. श्री गणेश प्रतिमा की स्थापना चतुर्थी को की जाती है और विसर्जन चतुर्दशी को किया जाता है. कुल मिलाकर ये नौ दिन गणेश नवरात्रि कहे जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि प्रतिमा का विसर्जन करने से भगवान पुनः कैलास पर्वत पर पहुंच जाते हैं. स्थापना से ज्यादा विसर्जन की महिमा होती है. इस दिन अनंत शुभ फल प्राप्त किए जा सकते हैं. इसलिए इस दिन को अनंत चतुर्दशी भी कहते हैं.
अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन मुहूर्त
आज गणपति विसर्जन के तीन शुभ मुहूर्त बन रहे हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, विसर्जन का पहला मुहूर्त सुबह 6 बजकर 04 मिनट से सुबह 10 बजकर 43 मिनट तक रहेगा. इसके बाद दूसरा मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 16 मिनट से शाम 04 बजकर 54 मिनट तक रहने वाला है. जबकि तीसरा शुभ मुहूर्त शाम 04 बजकर 55 मिनट से शाम 06 बजकर 27 मिनट तक रहेगा.
अनंत चतुर्दशी का महत्व
इस दिन मोक्ष की प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है. इसके लिए अनंत चतुर्दशी का व्रत रखा जाता है. बंधन का प्रतीक सूत्र हाथ में बांधा जाता है और व्रत के पारायण के समय इसको खोल दिया जाता है. इसमें नमक का सेवन नहीं करते हैं. पारायण में मीठी चीजें जैसे सेवई या खीर खाते हैं. इस दिन गजेन्द्र मोक्ष का पाठ करने से जीवन की तमाम विपत्तियों से मुक्ति मिलती है.
कैसे करें गणपति विसर्जन?
इस दिन प्रातः से उपवास रखना जरूरी है अथवा केवल फलाहार करें. घर में स्थापित प्रतिमा का विधिवत पूजन करें. पूजन में नारियल, शमी पत्र और दूब जरूर अर्पित करें. उसके बाद प्रतिमा को विसर्जन के लिए ले जाएं. अगर प्रतिमा छोटी हो तो गोद अथवा सर पर रख कर ले जाएं.
प्रतिमा को ले जाते समय भगवान गणेश को समर्पित अक्षत घर में अवश्य बिखेर दें. चमड़े की बेल्ट, घड़ी अथवा पर्स पास में न रखें. नंगे पैर ही मूर्ती का वहन और विसर्जन करें. प्लास्टिक की मूर्ती अथवा चित्र न तो स्थापित करें और न ही विसर्जन करें. मिटटी की प्रतिमा सर्वश्रेष्ठ है. विसर्जन के पश्चात हाथ जोड़कर श्री गणेश से कल्याण और मंगल की कामना करें.
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